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विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) आज यानी 19 से 24 मई तक नीदरलैंड, डेनमार्क और जर्मनी की छह दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे. रविवार को विदेश मंत्रालय ने कार्यक्रम की घोषणा की. यह यात्रा ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के बाद भारत की कूटनीतिक गतिविधियों का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य रणनीतिक संबंधों को मजबूत करना और प्रमुख यूरोपीय भागीदारों के साथ सहयोग बढ़ाना है. इन देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी, व्यापार, निवेश और आपसी हितों के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक, यात्रा के दौरान एस. जयशंकर तीनों देशों के शीर्ष नेतृत्व से मिलेंगे और अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय संबंधों और आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मामलों के संपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करेंगे.
यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत सक्रिय रूप से यूरोप में अपनी पहुंच को मजबूत कर रहा है, जिसमें व्यापार, निवेश, डिजिटल सहयोग, जलवायु कार्रवाई और साझा सुरक्षा चिंताओं पर जोर दिया जा रहा है. उनकी बैठकों में भू-राजनीतिक घटनाक्रम, वैश्विक आर्थिक चुनौतियों और बहुपक्षीय मंचों पर समन्वय सहित कई मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है. भारत और डेनमार्क ने फरवरी 2024 में एक गतिशीलता और प्रवासन भागीदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे भारतीय नागरिकों को डेनमार्क में काम करने के लिए एक संरचित ढांचा तैयार करने में मदद मिली, खासकर स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में. इस समझौते में डेनमार्क में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले भारतीय छात्रों के लिए भी प्रावधान शामिल हैं, जिससे उन्हें पढ़ाई पूरी करने के बाद रोजगार की तलाश के लिए अतिरिक्त समय मिल सके.
इसके अलावा, डॉ. एस. जयशंकर ने सितंबर 2024 में डेनमार्क के उद्योग, व्यापार और वित्तीय मामलों के मंत्री मोर्टेन बडस्कोव से मुलाकात की और ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को आगे बढ़ाने पर चर्चा की. यह साझेदारी अक्षय ऊर्जा सहयोग पर केंद्रित है, जिसमें भारत डेनिश कंपनियों को अपने बढ़ते अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने के लिए आमंत्रित करता है.
इससे पहले, विदेश मंत्री डा. एस. जयशंकर ने अक्टूबर 2024 में जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बैरबॉक के साथ व्यापक वार्ता की और विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मामलों पर चर्चा की. उन्होंने जर्मनी के वाइस-चांसलर रॉबर्ट हेबेक के साथ भी सार्थक बातचीत की। ये चर्चाएं सातवें भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) बैठक का हिस्सा थीं.