पूर्व ISRO प्रमुख कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन का निधन, 84 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Former ISRO Chief K Kasturirangan: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन का शुक्रवार को निधन हो गया. कस्‍तूरीरंगन ने बेंगलुरु स्थित अपने आवास पर 10 बजे के करीब अंतिम सांस ली. कस्‍तूरीरंगन ने 84 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. रविवार को अंतिम संस्कार से पहले रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट में उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा.

स्पेस साइंटिस्ट के तौर पर दी सेवाएं

कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन सबसे लम्बे समय तक इसरो अध्‍यक्ष के पद पर कार्यरत रहे हैं. वह 10 साल तक ISRO के चेयरमैन रहे. इसके अलावा कस्तूरी रंगन ने सरकारी नीतियों के फार्मूलेशन में भी योगदान दिया. डॉ कस्तूरीरंगन ने 27 अगस्त, 2003 को रिटायरमेंट से पहले इसरो, अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग में भारत सरकार के सचिव के रूप में 9 वर्ष से अधिक समय तक काम किया.

कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में ISRO ने रचा इतिहास

डॉ. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में इसरो ने भारत के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) के सफल प्रक्षेपण और संचालन सहित कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की. डॉ. कस्तूरीरंगन ने जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) के पहले सफल उड़ान परीक्षण की भी देखरेख की. उनके कार्यकाल में आईआरएस-1सी और 1डी समेत प्रमुख उपग्रहों का विकास और प्रक्षेपण और दूसरी और तीसरी पीढ़ी के इनसैट उपग्रहों की शुरुआत हुई. इन प्रगति ने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में मजबूती से स्थापित कर दिया.

ISRO के चीफ बनने से पहले डॉ. कस्तूरीरंगन इसरो उपग्रह केंद्र के निदेशक थे, जहां उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (इनसैट-2) और भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रहों (IRS-1A और IRS-1B) जैसे अगली पीढ़ी के अंतरिक्ष यान के विकास का नेतृत्व किया. उपग्रह IRS-1A के विकास में उनका योगदान भारत की उपग्रह क्षमताओं के विस्तार में महत्वपूर्ण था.

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