IIT मद्रास ने विकसित किया उपकरण, जो तेजी से करेगा एंटीबायोटिक प्रतिरोध की पहचान

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

आईआईटी मद्रास (IIT Madras) के वैज्ञानिकों ने एक नया और किफायती उपकरण विकसित किया है, जो केवल 3 घंटे में यह निर्धारित कर सकता है कि कोई बैक्टीरिया दवाओं से मरेगा या दवाओं का उस पर कोई प्रभाव नहीं होगा. इस उपकरण को “लैब-ऑन-चिप” नाम दिया गया है, जिसमें विशेष प्रकार के छोटे इलेक्ट्रोड लगे होते हैं, जो बैक्टीरिया की प्रतिक्रिया को तुरंत पहचान लेते हैं.

यह उपकरण इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पारंपरिक जांच में 48 से 72 घंटे तक का समय लगता है. इतनी लंबी प्रतीक्षा के कारण डॉक्टर अक्सर मरीज को तुरंत ठीक करने के लिए व्यापक प्रभाव वाली एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं.

बैक्टीरिया के एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की वजह से हुईं 49.5 लाख मौतें

कई बार ये दवाएं गलत साबित होती हैं और बैक्टीरिया में और भी ज्यादा रेजिस्टेंस (प्रतिरोध) पैदा हो जाता है. यही कारण है कि दुनिया भर में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस (AMR) एक गंभीर समस्या बन चुकी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के मुताबिक, एएमआर को दुनिया की सबसे बड़ी 10 स्वास्थ्य चुनौतियों में गिना जाता है. अनुमान है कि वर्ष 2019 में ही करीब 49.5 लाख मौतें बैक्टीरिया के एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की वजह से हुईं.

ICU मरीजों के लिए वरदान बन सकता है IIT मद्रास का नया उपकरण

आईआईटी मद्रास के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर एस. पुष्पवनम (S. Pushpavanam) ने कहा, यह उपकरण गहन चिकित्सा इकाइयों (ICU) में भर्ती उन मरीजों पर वास्तविक प्रभाव डाल सकता है जो जीवाणु संक्रमण के कारण जटिलताओं से जूझ रहे हैं. इससे डॉक्टरों को सही उपचार करने में मदद मिलेगी और यह जीवन रक्षक भी हो सकता है. आईआईटी मद्रास के वैज्ञानिकों ने इस उपकरण का परीक्षण दो अलग-अलग तरह के बैक्टीरिया, ई. कोलाई और बी. सबटिलिस, पर किया। उन्होंने दो दवाओं, एम्पीसिलीन और टेट्रासाइक्लिन, का इस्तेमाल किया.

तीन घंटे में पता चलेगा कौन-सी दवा असरदार

नतीजा यह हुआ कि यह उपकरण केवल तीन घंटे में यह स्पष्ट कर देता है कि कौन सा बैक्टीरिया किस दवा से प्रभावी रूप से ठीक होगा और किस दवा का उस पर कोई असर नहीं होगा. जब इसे मरीज के मूत्र के नमूने पर टेस्ट किया गया, तब भी इसने सही तरीके से पहचान किया कि बैक्टीरिया टेट्रासाइक्लिन दवा पर प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है. इस उपकरण की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह किफायती है और इसके लिए बड़े लैब या विशेषज्ञ तकनीकी स्टाफ की आवश्यकता नहीं होती.

छोटे अस्पतालों और ICU मरीजों के लिए नई उम्मीद

इसे छोटे अस्पतालों और ग्रामीण क्लीनिकों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. खासकर आईसीयू में भर्ती गंभीर मरीजों के लिए यह जीवन रक्षक साबित हो सकता है, क्योंकि डॉक्टर तुरंत सही दवा दे पाएंगे. IIT Madras का यह आविष्कार न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए बड़ी उम्मीद लेकर आया है. यह उपकरण समय बचाएगा, जान बचाएगा और दवाओं के गलत इस्तेमाल को भी रोकने में मदद करेगा.

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