भारतीय नौसेना को मिला स्वदेशी पनडुब्बी रोधी पोत अंजदीप, जानिए क्‍यों है खास

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Indian navy: भारत लगातार अपनी सैन्‍य ताकत में वृद्धि कर रहा है. ऐसे में ही अब पनडुब्बी रोधी युद्धपोत अंजदीप सोमवार को चेन्नई में नौसेना के हवाले कर दिया गया. खास बात ये है कि यह जहाज कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) ने स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया है. बता दें कि कंपनी ऐसे आठ पनडुब्बी रोधी युद्धपोत बना रही है जिनमें से अंजदीप तीसरा है. इस युद्धपोत से नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता में वृद्धि होगी.

समुद्र में खतरों को देगा मात

रक्षा मंत्रालय ने इस युद्धपोत के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि करीब 77 मीटर लंबे इस श्रेणी के युद्धपोत वॉटरजेट से चलने वाले नौसेना के अब तक के सबसे बड़े युद्धपोत हैं. इनमें अत्याधुनिक हल्के टॉरपीडो, स्वदेशी पनडुब्बी रोधी रॉकेट और उथले पानी में काम करने वाला सोनार सिस्टम लगाया गया है, जिससे समुद्र के काफी अंदर तक मौजूद दुश्मन के खतरों का पता लगाने और उनको नष्ट करने की क्षमता बढ़ेगी.

इसके अलावा, यह जहाज नौसेना की पनडुब्बी रोधी कार्रवाई, तटीय निगरानी और समुद्री बारूदी सुरंग बिछाने की क्षमता को मजबूत करेगा. अंजदीप नौसेना के इसी नाम वाले पुराने युद्धपोत का नया अवतार है. पुराना युद्धपोत 2003 में रिटायर हो गया था.

बता दें कि अंजदीप नाम कर्नाटक के कारवार तट के पास स्थित अंजदीप द्वीप के नाम पर रखा गया है. यह युद्धपोत 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ बना है. नौसेना के अनुसार यह पोत आत्मनिर्भर भारत की दिशा में स्वदेशी जहाज निर्माण यात्रा में एक अहम कदम है. इससे देश की रक्षा निर्माण क्षमता को बल मिलेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी.

अंजदीप का नौसेना में आना बेहद अहम

अंजदीप का नौसेना में आना इसलिए भी अहम है क्योंकि पाकिस्तान ने चीन से पांच अरब डॉलर में आठ उन्नत डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों का सौदा किया है. इसके तहत पहली पनडुब्बी के 2026 में पाकिस्तान को मिलने की संभावना है. नौसेना ने बताया, स्वदेशी अंजदीप का निर्माण जीआरएसई और एलएंडटी शिपयार्ड, कट्टुपल्ली के बीच सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत किया गया है.

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