Yoga Day 2025: आचार्य प्रशांत ने बताया योग का वास्तविक स्वरूप, देशभर के सिनेमाघरों में कराई गई गीता सत्र की लाइव स्ट्रीमिंग

Divya Rai
Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

International Yoga Day 2025: प्राशांतअद्वैत फाउंडेशन और पीवीआर-आईएनओएक्स की ओर से आयोजित एक ऐतिहासिक कार्यक्रम में, प्रसिद्ध दार्शनिक और बेस्टसेलिंग लेखक आचार्य प्रशांत ने “भगवद्गीता के प्रकाश में योग” विषय पर देश को संबोधित किया. यह संबोधन गोवा के पीवीआर-आईएनओएक्स ओसिया से हुआ और इसे भारत भर के 40 से अधिक सिनेमा सिनेमाघरों में एक साथ लाइव प्रसारित किया गया.

आत्मज्ञान के लिए दर्शकों ने खरीदे टिकट

दर्शकों ने इस बार टिकट मनोरंजन के लिए नहीं, आत्मज्ञान के लिए खरीदे. इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि सिनेमा हॉल में भगवद्गीता पर चर्चा हुई. गुड़गांव, मुंबई, पुणे, पटना, भोपाल, इंदौर सहित कई शहरों के दर्शकों ने थिएटर भरे, जहां आधुनिक भ्रांतियों को चुनौती देने वाला एक गहन गीता सत्र हुआ, जिसने भारत के योग से संबंध को फिर से जाग्रत किया. “गीता का योग शारीरिक लचीलापन नहीं, आंतरिक अजेयता है,”

आचार्य प्रशांत ने योग के बाजारीकरण की आलोचना की

आचार्य प्रशांत ने वैश्विक स्तर पर योग के बाजारीकरण की आलोचना करते हुए कहा. “प्राचीन योगी सोशल मीडिया लाइक्स के लिए आसन नहीं कर रहे थे. वे सत्य के योद्धा थे. अर्जुन से उठकर लड़ने को कहा गया था, आसन जमाने को नहीं. योग मूलतः तुम्हारी आंतरिक जड़ता से लड़ाई है.” यह तीखी सांस्कृतिक समीक्षा उस विचारक की है जिसने अपना जीवन शास्त्रों के वास्तविक अर्थ को पुनर्जीवित करने में समर्पित कर दिया है. प्राशांतअद्वैत फाउंडेशन के संस्थापक और 160 से अधिक पुस्तकों के लेखक के रूप में आचार्य प्रशांत ने प्राचीन वेदांत को जलवायु परिवर्तन, मानसिक विघटन, पशु क्रूरता और आध्यात्मिक भ्रम जैसे समकालीन संकटों के समाधान से जोड़ा है.

भगवद्गीता शिक्षण कार्यक्रम का कर रहे नेतृत्व

वे विश्व के सबसे बड़े भगवद्गीता शिक्षण कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसमें 100,000 से अधिक प्रतिभागी जुड़े हैं, और जो अविश्वसनीय गति से फैल रहा है—जिसे पर्यवेक्षक “न्यूक्लियर चेन रिएक्शन” की तरह मानते हैं. फाउंडेशन ने हाल ही में विश्व की सबसे बड़ी गीता-आधारित ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की, जिसमें दुनियाभर से साधकों ने भाग लिया. आचार्य प्रशांत का अध्यात्मबोध वेदांत, बौद्ध दर्शन, अस्तित्ववाद और आधुनिक मनोविज्ञान का समावेशी संगम है, जो यूसी बर्कले, बार्ड कॉलेज, आईआईटी, आईआईएम, आईआईएस, और एआईआईएमएस जैसे संस्थानों में युवाओं को प्रशिक्षित कर रहा है.

द संडे गार्जियन में संपादकीय लेखक हैं

वे एनडीटीवी और (International Yoga Day 2025) द संडे गार्जियन में संपादकीय लेखक भी हैं. हाल ही में, आईआईटी दिल्ली एलुमनाई एसोसिएशन ने उन्हें “राष्ट्रीय विकास में असाधारण योगदान” (ओसीएनडी) सम्मान से नवाज़ा है, और “सबसे प्रभावशाली पर्यावरणविद्” पुरस्कार भी ग्रीन सोसायटी ऑफ इंडिया से प्राप्त हुआ है.

योग की बताई असली परिभाषा

कार्यक्रम से पहले पत्रकारों से बातचीत में आचार्य प्रशांत ने योग की लोकप्रिय छवि पर सवाल उठाए: “आज योग चमकदार मंचों पर मनाया जा रहा है, सेलिब्रिटीज़ द्वारा किया जा रहा है, मैट्स और आउटफिट्स के साथ बेचा जा रहा है. लेकिन क्या हम जानते हैं कि योग को जीना क्या होता है? गीता कहती है: ‘योगः कर्मसु कौशलम्’ और ‘योगः समत्वम्’. जब तक यह नहीं समझा, तब तक यह योग नहीं, सिर्फ़ करतब है.” उन्होंने चेतावनी दी कि आजकल योग शब्दावली को वेलनेस इंडस्ट्री ने हड़प लिया है: उन्होंने कहा “योग कोई फैशन नहीं है. यह आंतरिक प्रतिबद्धता है—क्रांतिकारी, स्पष्ट और साहसी. गीता अर्जुन को ध्यान लगाने के लिए नहीं कहती, बल्कि युद्ध के बीच विवेकपूर्ण कर्म करने के लिए प्रेरित करती है.”

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