किसान भाग्य विधाता…खेत से ही होकर जाएगा विकसित भारत का रास्ता: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Jagdeep Dhankhar: हिमाचल प्रदेश के सोलन में डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय में  उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि आजकल जब हम Artificial Intelligence की चर्चा करते हैं, तो युवा पीढ़ी भाग्यशाली है क्योंकि वे Agriculture Intelligence से Artificial Intelligence की यात्रा कर सकते हैं.

इस दौरान उपराष्‍ट्रपति ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में वृद्धि का सुझाव दिया. साथ ही सीधी सब्सिडी, मूल्य संवर्धन और ग्रामीण उद्यमिता पर जोर दिया. उन्‍होंने स्पष्ट रूप से कहा कि विकसित भारत का रास्ता एक ही तरीके से जाएगा. किसान के खेत से और वो तभी होगा, जब किसान का आप हाथ पकड़ेंगे. साथ ही उन्होंने किसानों को सिर्फ अन्नदाता ही नहीं बल्कि भाग्य विधाता बताया.

एक्सपोर्ट की मानसिकता पर व्यक्त की चिंता

इसके अलावा, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने एक्सपोर्ट की मानसिकता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि  “मुझे बड़ी परेशानी होती है जब लोग कहते हैं. ‘यह export माल है, यह export के लिए है. भाई, क्यों? सबसे अच्छा तो हमको खाना है, सबसे अच्छा तो हमको पहनना है. उन्होंने कहा कि आज भारतीय दुनिया की बड़ी संस्थाओं का नेतृत्व कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्‍होंने हर क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी की सराहना की.

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को बढ़ाने पर दिया जोर

वहीं, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को लेकर उपराष्ट्रपति ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से अनुरोध किया कि वर्तमान में मिलने वाली 6,000 रुपये की राशि में मुद्रास्फीति के अनुपात में वृद्धि होनी चाहिए. उन्‍होंने कहा कि कृषि क्षेत्र को जो भी अप्रत्यक्ष वित्तीय सहायता को मिल रही है वो अगर सीधी किसान परिवारों को मिलती है तो हर किसान परिवार मेरा आकलन है और मेरा आंकलन अध्ययन के पश्चात है. जहां 6000 रुपये PM किसान निधि के मिल रहे हैं. उसमें 30,000 रुपये सालाना जुड़ेंगे.

उपराष्ट्रपति ने प्रत्यक्ष सब्सिडी के फायदों का जिक्र करते हुए कहा कि यदि फर्टिलाइजर सब्सिडी सीधे किसानों को मिले तो किसान तय करेगा कि मैं वो फर्टिलाइजर खरीदूं या पशुधन गोबर की खाद का उपयोग करें. किसान सोचेगा मैं ऑर्गेनिक कृषि करूं, नेचुरल फार्मिंग करूं, किसान स्वयं इसका निर्धारण करें.

कृषि उद्यमी बनाने के लिए युवाओं को करें प्रशिक्षित

इसके अलावा, ग्रामीण उद्यमिता पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि कृषक समुदाय के ग्रामीण लड़के और लड़कियों को उद्यमी, कृषि उद्यमी बनने के लिए यहां प्रशिक्षित किया जाना चाहिए. उनकी फौज खड़ी होनी चाहिए. इस दौरान अमेरिका का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि वहां किसान परिवारों की औसत आमदनी आम परिवारों से अधिक है, क्‍योंकि वहां सरकारी  मदद सीधे किसानों को मिलती है.

सड़कों पर क्‍यों जाए टमाटर?

धनखड़ ने कहा कि “आज के दिन ग्रामीण व्यवस्था की ओर ध्यान देना पड़ेगा. गांव में सब्ज़ी शहर से आती है, फल शहर से आते हैं. यह कैसे हम देश में बर्दाश्त कर सकते हैं कि टमाटर ज्यादा हो गया तो टमाटर सड़कों पर जाएगा? उन्होंने खेत पर ही मूल्य संवर्धन और खाद्य प्रसंस्करण की जरूरत पर जोर दिया.

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