100th anniversary of Kakori incident: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को काकोरी कांड की 100वीं वर्षगांठ के मौके पर इस घटना में शामिल सभी भारतीयों की वीरता और देशभक्ति को श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने कहा कि सौ साल पहले काकोरी में देशभक्त भारतीयों द्वारा दिखाए गए साहस ने औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लोगों में आक्रोश को पैदा किया. भारत के लोग उनकी बहादुरी को सदैव याद रखेंगे.
पीएम मोदी ने एक्स पर अपने एक पोस्ट में लिखा कि ” सौ साल पहले आज ही के दिन काकोरी में देशभक्त भारतीयों द्वारा दिखाए गए साहस ने औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध लोगों के आक्रोश को उजागर किया था. वे इस बात से नाराज थे कि किस तरह जनता के पैसे का इस्तेमाल औपनिवेशिक शोषण को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा था. उनकी वीरता को भारत के लोग हमेशा याद रखेंगे. हम एक मजबूत और समृद्ध भारत के उनके सपनों को साकार करने के लिए काम करते रहेंगे.”
सीएम योगी ने भी अमर क्रांतिवीरों को किया नमन
काकोरी कांड के सौ साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पोस्ट पर लिखा, “ब्रिटिश शासन की चूलें हिला देने वाले ‘काकोरी रेल एक्शन’ की वर्षगांठ पर सभी अमर क्रांतिवीरों को शत-शत नमन. मां भारती के सपूतों की यह शौर्य गाथा देश वासियों के लिए प्रेरणापुंज है. इन वीरों का त्याग, साहस और राष्ट्रप्रेम सदैव हमारे हृदयों को ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना से कार्य करने की प्रेरणा देता रहेगा.”
क्या है काकोरी कांड?
बता दें कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण घटना, काकोरी कांड, 9 अगस्त 1925 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ के निकट ‘काकोरी रेलवे स्टेशन’ के पास घटी थी, जिसने न सिर्फ अंग्रेजी हुकूमत को हिलाकर रख दिया, बल्कि देश के युवाओं में स्वतंत्रता की ललक को भी जगाया.
‘काकोरी कांड’ का उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ हथियार खरीदने के लिए धन जुटाना और उनकी सत्ता को चुनौती देना था. दरअसल, ‘काकोरी कांड’ की योजना हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचआरए) के क्रांतिकारियों ने बनाई थी, जिसकी स्थापना 1924 में सशस्त्र क्रांति के माध्यम से भारत को स्वतंत्र कराने के लिए की गई थी. इस संगठन के प्रमुख नेताओं में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, चंद्रशेखर आजाद, राजेंद्र लाहिड़ी, ठाकुर रोशन सिंह, शचीन्द्रनाथ बख्शी, केशव चक्रवर्ती, मुरारी लाल खन्ना, बनवारी लाल और मन्मथनाथ गुप्ता शामिल थे.
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