लीडरशिप, धर्म और राष्ट्रवाद: भारत लिटरेचर फेस्टिवल में CMD उपेंद्र राय ने बताई नेतृत्व की असल परिभाषा

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Bharat Literature Festival: दिल्ली के अंबेडकर सभागार में भारत लिटरेचर फेस्टिवल की डॉयरेक्टर दीपाली वाशिष्ठ की अगुवाई में लीडरशिप समिट का आयोजन किया गया. जिसमें भारत एक्सप्रेस के CMD और एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय ने समारोह का उद्घाटन कर कार्यक्रम की शुरुआत की. इस दौरान भारत लिटरेचर फेस्टिवल के मंच पर मध्य प्रदेश के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी संजय के शुक्ला (IAS), बिजनेसपर्सन रूपा कुदवा, लेखक बीएस नागेश, टाटा ग्रुप के डॉयरेक्टर हरिश भट्ट और Incedo के सीईओ नीतिन सेठ ने भी शिरकत की.
लीडरशिप के सेशन को संबोधित करते हुए भारत एक्सप्रेस के CMD उपेंद्र राय ने कहा कि दुनिया में जितने लीडर हुए उन्हें नेतृत्वकर्ता क्यों माना गया. उनके भीतर क्या खूबी रही. परिवार चलाने की जिम्मेदारी ज्यादा अहम है. इसी कारण देश चलाना बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. समय बदलने के साथ विकास की रफ्तार बदल गए हैं. पहले 3 लाख साल में जो विकास होता था. अब उसे 30 दिन में करने की क्षमता दुनिया ने हासिल कर ली है.
भारत एक्सप्रेस के CMD उपेंद्र राय ने उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि चीन और मुंबई में एक ही समय में दो पुल बनाने की बात हुए. चीन में वह 3 साल में बनकर तैयार हो गया. लेकिन, भारत में इसके लिए लंबा समय लग गया. इस उदाहरण का मतलब यह बताना है कि लीडरशिप काम में तेजी लाती है.

राजा भरत का उदाहरण

राजा भरत का उदाहरण देते हुए भारत एक्सप्रेस के एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय ने बताया कि भरत के पुत्रों में से कोई युवराज नहीं बन पाया. जब वो अपने गुरु के पास पहुंचे तो उन्होंने कहा कि मुझे समझ नहीं आता तुम्हारे पुत्र युवराज नहीं बन सकते तो तुम मुझसे ये पूछने के लिए क्यों आए हो? तुम्हें पता होना चाहिए कि तुम्हारे 9 पुत्रों में कोई भी युवराज बनने के काबिल नहीं है. इससे भरत को धक्का लगा और उन्होंने मनु पुत्र को हस्तिनापुर का युवराज नियुक्त किया. उनके और उनकी पत्नी के बीच इसे लेकर लड़ाई हुई. हमारे देश में ऐसा उदाहरण रहे हैं जहां रिश्ते को किनारे रखकर लोगों ने नेतृत्व किया है.

‘दंड का विधान जरूरी’

भारत एक्सप्रेस के CMD उपेंद्र राय ने कहा कि, मैं लीडरशिप को 2 हिस्सों में बांटता हूं. कुछ लोगों ने धर्म और राजनीति को जहर बताया. उनका मानना था कि धर्म अगर राजनीति में आता है तो छल का साधन बन जाएगा. ऐसा हुआ भी. तो नेतृत्व कैसा होना चाहिए? लीडरशिप ऐसी हो जो लोगों को स्वतंत्रता से सोचने की क्षमता दे.
CMD उपेंद्र राय ने शेरशाह सूरी का एक और उदाहरण देते हुए बताया कि एक दिल्ली लोहे वाला पुल के एरिया में एक महिला से लूट हुई तो सूरी में सजा का ऐसा विधान बताया कि उसने एरिया के कोतवाल के हाथ कटवा दिए. अगले 5 साल में एक भी और न तो लुटी और न ही छेड़ी गई. कहने का मतलब है कि समाज में व्यापक रूप से नियम को लागू करने के लिए दंड का विधान जरूरी है.

क्षमता साबित करनी होता है’

भारत एक्सप्रेस के CMD उपेंद्र राय ने उदाहरण देते हुए एक कहानी सुनाया. उन्होंने कहा कि अकबर के दरबार में 2 राजपूत बच्चे पहुंचे. उन्होंने अकबर से कहा कि हम बहादुर हैं, हमें सेना में भर्ती कर लो. अकबर ने कहा कि हम तुम्हारी बातों का विश्वास कैसे करें. क्योंकि, बहादुरी का सर्टिफिकेट देने वाली कोई संस्था नहीं है. तुम लोग कई बड़ी लड़ाई भी नहीं लड़े हो. बच्चों ने अकबर को जवाब दिया कि इससे यह भी साबित नहीं होता है कि हम कायर है.
बात आगे बढ़ी तो दोनों सगे भाइयों ने तलवार उठाई और बोला कि तुम्हें राजपूतों के बारे में पता होना चाहिए. दोनों भाइयों ने एक दूसरे के सीने में तलवार उतार दी. अकबर घबरा गया भागा-भागा नीचे आया और पूछा की तुमने ऐसा क्यों कर दिया. इसपर बच्चों ने कहा कि तुम्हें राजपूतों के बारे में पता होना चाहिए. आगे जब कोई राजपूत बच्चा आए तो सवाल मत करना.
इसके बाद अकबर ने राजपूतों की एक बैठक बुलाई और पूछा की क्या आप लोग ऐसा जीवन जीते हैं? तो अकबर को बताया गया कि राजपूत ऐसे ही जीते हैं. इसके बाद अकबर के मन में उनके लिए सम्मान जाग गया कि राजपूत बहादुर होते हैं. कहानी का सार यह है कि लीडरशिप डर से नहीं आती है.

स्पिरिचुअल लीडरशिप में नहीं मिला महिलाओं को सम्मान

स्पिरिचुअल लीडरशिप को लेकर भारत एक्सप्रेस के एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय ने अपनी बातें रखी. उन्होंने कहा, अब बात स्पिरिचुअल लीडरशिप की आती है. तो यह क्यों जरूरी है? इस देश में आध्यात्मिक नेतृत्व करने वाले के साथ भी भद्दा व्यवहार हुआ है. मैं आपको जीजस की एक कहानी बताता हूं. जब जीजस को सूली लगी तो उसके 12 प्यारे शिष्यों में 11 भाग गए. 12वां उन्हें बेच दिया. जब उनके चेले भाग गए तो उन्हें औरतों ने सूली से उतारा. एक उनकी मां थी जिन्होंने उन्हें जना था और दो अन्य औरतें थीं. उसमें से एक वैश्या था. दूसरी उसकी बहन थी. लेकिन, उन दोनों औरतों के साथ ही उनकी मां को वह सम्मान नहीं दिया गया.
भारत एक्सप्रेस के CMD उपेंद्र राय ने कहा कि भारत में भी महिलाओं को सम्मान नहीं दिया गया. पश्चिम की संस्कृति भारत से बहुत पीछे थी लेकिन उन्होंने विकास किया. दूसरी और हम उतने ही पिछड़ते चले गए. आज हम अमेरिका से लड़ने की बात कर रहे हैं. लेकिन, अपने देश में देखिए की एक भी उद्योगपति रिसर्च में पैसा खर्च नहीं करता है. वो कोई ऐसा प्रोडक्ट नहीं बनाते जिसे दुनिया माने.

CMD Upendra Rai at Bharat Literature Festival

इतिहास लिखने वालों का इतिहास टटोलिये

भारत एक्सप्रेस के CMD उपेंद्र राय ने भारत में रिसर्च की कमी को भी उजागर किया. उन्होंने कहा कि, अगर अमेरिका गूगल को बंद कर दे तो आपका सिस्टम डूब जाएगा. क्योंकि, हमने रिसर्च पर पैसे नहीं लगाए. अल्लामा इकबाल ने कहा है कि कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी. यह बात सच है कि हमारी हस्ती थी. लेकिन, यह किस रात मिट गए हमें पता नहीं चला.
एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय ने आगे कहा कि हमें गुलाम हमारे लोगों ने, हमारे लालच ने बनाया. जब पूरे एशिया की आबादी 60 करोड़ थी. तब कुछ 1 लाख अंग्रेजों ने हम पर शासन किया. ऐसा कैसे हो सकता है. क्योंकि, हम दिमागी रूप से गुलाम हो चुके थे. ऐसे वक्त में नेता आता है. जैसे एक बीच का थोड़ा, पानी और हवा मिली तो मिट्टी के भीतर से अंकुरित हो जाता है. हमारे देश में कोई बच्चा पैदा होता है तो उसका नाम, पता, जाति, धर्म, समाज तय होता है. यह खास तरह की जेल है जहां हम पैदा होते हैं. जिन लोगों ने इतिहास लिखा, उनके जीवन को टटोलिये कि वो कैसे आगे बढ़ गए.

प्रकृति के प्रति आभार जरूरी

भारत एक्सप्रेस के CMD उपेंद्र राय ने मनुष्य को प्रकृति को लेकर भी अपनी बातें रखी. उन्होंने कहा कि मान लीजिए तेज बारिश में मुंबई में बाढ़ आ गई तो हम दोष देते हैं. धूप आ गई तो हम कहते हैं बड़ी धूप है. लेकिन, हम वहां भूल जाते हैं कि अगर पानी न हो तो ये शरीर सूख जाएगा. किसान की फसल सूख जाएगी. लेकिन, यह जरा भी ज्यादा हो जाए तो हम उलाहना देने लगते हैं. सूरज की रोशनी न हो तो हम मर जाएंगे.
CMD उपेंद्र राय ने आगे कहा, मतलब यह है कि हमें हर चीज चाहिए जरूर. लेकिन, हम यह समझने को तैयार नहीं है कि अगर प्रकृति कहीं अधिक पानी न फैसला तो वह जरूरत का पानी भी नहीं दे पाएगा. अगर सूरज कहीं एक जगह ज्यादा रोशनी न दे तो वह बराबर मात्रा में कहीं रोशनी नहीं दे पाएगा. हम खुद अपने स्वभाव में इतने स्वार्थी है कि जिससे हमारा जीवन संचालित होता है हम उसे भी कोसते रहते हैं. हम उसे भी आभार नहीं देते हैं. हम प्रकृति के प्रति आभारी नहीं है. इसी तरह हमारे लीडरशिप में कमी है.

कमर्शियल लीडरशिप बेहद कमजोर

भारत में कमर्शियल लीडरशिप की जरूरत पर जोर देते हुए भारत एक्सप्रेस के CMD उपेंद्र राय ने कहा कि हमारे यहां कमर्शियल लीडरशिप की बात करते हैं. सभी को पता है कि अमेरिका से हमारे रिश्ते अच्छे नहीं है. उसे पता है कि हम कुछ ऐसा नहीं बताते कि उसका काम रुके. वीजा में उसने फीस रख दी. उसने कह दिया कि तुम मत आओ तुम्हारी हैसियत नहीं है. हम विश्व गुरु थे लेकिन अब हम उस स्थान में नहीं है.

भारत का कोडिंग ज्ञान वापस लाना जरूरी

भारत एक्सप्रेस के एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय ने कहा कि मेरा मानना है कि अपनी खोई गरिमा को पाने के लिए कुछ ऐसे संस्थान बनाने चाहिए जो हमें वापस जड़ों की तरफ ले जाएं. कृष्ण के शब्दों को खोजें. जैसे दुनिया के देशों ने तर्क रखा है कि 5000 साल पहले कृष्ण की कही बातों को ट्रांजिस्टर के जरिए पकड़ा जा सकता है. यानी आकाश और शब्द में गहरा संबंध है. मतलब इस प्रकृति के रहस्य को जितना भारत ने डिकोड किया उतना किसी ने कभी नहीं किया. हालांकि, अब हम खुद भूल गए सब करना. जब हम भूल गए तो दूसरों ने उसे जाना.

आचार्य रजनीश का उदाहरण

ओशो का आधुनिक समाज में महत्ता को लेकर एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय ने कहा कि आज के समय लोग आचार्य रजनीश का नाम लेने में लोग संकोच करते हैं. हमारे देश में जितने बाबा है कि उनके बाहर के कमरे में किताबें दिखती हैं. लेकिन, अंदर के कमरे में आचार्य रजनीश हैं. उस आदमी को क्रेडिट देना पड़ेगा. उसने 20वीं सदी में जो काम किया. वो काम किसी ने नहीं किया.
ओशो के कथन की चर्चा करते हुए CMD उपेंद्र राय ने कहा कि तुम अपनी हैसियत को पहचानो. तुम्हारे यहां सप्तऋषि पैदा हुए, तुम्हारे यहां विश्वामित्र आया. उसने जीते जी स्वर्ग की रचना कर दी. लेकिन, तुम अपनी हैसियत भूलते जा रहे हो. इसके लिए जरूरी है कि ऐसे संस्थान बने जो इसे डिकोड करें. सभी मिलकर खोज करें और दुनिया को बताएं कि भारत क्या है तब बात बनती है.

जो खुद को भारतीय मानेगा वही भारत की बात करेगा

भारत एक्सप्रेस के एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय ने कहा कि भारत की IIT से कई धुरंधर निकले लेकिन किसी सुंदर पिचई, सत्या नडेला ने जाकर नहीं बोला. ऐसे में हम इंडियन डायसपोरा पर क्या नाच करें? वह मानते हैं कि भले वो भारत में पैदा हुए. उनका शरीर भारत को हो सकता है कि लेकिन वह अमेरिकन हैं. उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. उन्हें भारत की चिंता नहीं है. इसकी चिंता तो उसे होगी जो खुद को भारतीय मानेगा.
उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि एक गूगल भारत बंद कर दे तो हम नहीं लड़ पाएंगे. आज टैलेंटेड लोग भागकर अमेरिका जा रहे हैं. मैं आलोचना नहीं कर रहा हूं लेकिन एक सकारात्मक बात कर रहा हूं. क्योंकि, हमें जरूरत है हमारे देश के टैलेंट को रोकने की. आपने कई कानून बनाकर पैसा रोक दिया. लेकिन, इससे क्या होगा. यह तो बाइप्रोडक्ट है.

हमें टैलेंट रोकने की जरूरत

भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन उपेंद्र राय ने कहा, हमारी सरकार करों को ऐसा माहौल बनाना होगा कि वह रुकें. मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि किसी के दिमाग में रोज-रोज आइडिया नहीं आते हैं. जो दावा करता है कि उसे रोज आइडिया आते हैं. वह बकवास करता है. ब्रिलियंट आइडिया आने में युग लगते हैं.

9 हिस्सों में समझें विकास

भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन और एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय ने कहा, मैं इतिहास को कुछ हिस्सों में बांट देता हूं. पहला जब आदमी पेड़ों पर छुप जाता था. तब आदमी जानवरों के जैसा था. दूसरा जब आदमी ने आग की कला सीख ली तो ताकतवर बन गया. तूसरा आग के कारण आदमी सामाजिक हो गया. समूह में रहकर बस्ती बना लिया. चौथा युग जब इंसान ने खेती करना सीखा और कई आविष्कार किए. पांचवा युग जब आया जब उसी समूह में से ताकतवर लोग सामने आए. उन्हीं में से कोई राजा बन गया. छठवां युग तब आया जब राजशाही के बाद तकनीकी आई. सातवां युग जब फुल इंडस्ट्री आ गईं. आठवा युग मैं मानता हूं जब कंप्यूटर आया. नौंवा युग तब हुआ जब स्टार्टअप आया. अब आब ध्यान दीजिए कि स्टार्टअप और AI के बीच में 10 साल का समय भी नहीं लगा.

आने वाला वक्त AI का है

AI के भविष्य पर बोलते हुए CMD उपेंद्र राय ने कहा कि आने वाले समय में जो विकास होने वाला है उसकी रफ्तार और अधिक होगी. जो पहले 3000 साल में हुआ अब वो घंटो में होगा. इस तरह की टेक्नोलॉजी आ गई है.  तो तैयार रहिए. क्योंकि, इंसान का वर्चस्व बहुत नहीं रहने वाला है. मैं मान रहा हूं कि AI के सामने मनुष्यता हारेगी. क्योंकि, करने के लिए हमारे लिए कुछ बचेगा नहीं. हां, इंसानों का इंटरफेयर रहेगा लेकिन उसका भी मॉड्यूल लोगों ने तैयार कर लिया है.
उन्होंने आगे कहा कि इन सब में खुशी की बात यह है कि ऐसे ज्यादा मॉड्यूल हमारी बहनों ने बनाया है. क्योंकि, जो रचना, धौर्य परमात्मा ने औरतों में दी है वो पुरुषों में नहीं दिया. इसी कारण औरतों में बेस्ट AI मॉड्यूल बनाए हैं. इस कारण मैं इस भारत लिटरेचल फेस्टिवल में औरतों को सलाम करता हूं.

नए युग में प्रवेश के लिए तैयार

अपनी बात को खत्म करते हुए भारत एक्सप्रेस के CMD उपेंद्र राय ने कहा कि हम युग के प्रवेश द्वार पर हम खड़े हैं. इस नए युग को देखने और समझने की क्षमता हमारे अंदर 3 साल में आ जाएगी. इस कारण हमें इस तमाम चीजों के लिए तैयार रहना चाहिए. इन्ही शब्दों के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं.
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