PM Modi का कर्नाटक-गोवा दौरा आज, उडुपी श्री कृष्ण मठ में करेंगे दर्शन

Divya Rai
Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को कर्नाटक का दौरा करेंगे. वे सुबह लगभग 11:30 बजे ऐतिहासिक उडुपी श्री कृष्ण मठ में दर्शन करेंगे. वे ‘लक्षकंठ गीता’ के सामूहिक जाप कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे.

मंदिर में PM Modi का होगा स्वागत

प्रधानमंत्री मोदी का मंदिर में पारंपरिक तरीके से स्वागत किया जाएगा. वे माधव सरोवर जाएंगे, भगवान के दर्शन करेंगे और एक खास पूजा करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी कृष्ण गर्भगृह के सामने स्थित सुवर्ण तीर्थ मंडप का भी उद्घाटन करेंगे और पवित्र कनकना किंदी के लिए कनक कवच (स्वर्ण कवच) समर्पित करेंगे. पर्याय पुट्टिगे मठ के द्रष्टा सुगुनेंद्र तीर्थ स्वामी ने गुरुवार को कहा कि इसके बाद वे उस जगह जाएंगे जहां एक लाख से ज्यादा भक्त भगवद गीता के श्लोकों का पाठ करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मठ में दिव्य ‘कनकना किंदी’ के लिए ‘कनक कवच’ का अनावरण करेंगे.

भगवान को सुवर्ण तीर्थ मंडप चढ़ेगा

द्रष्टा सुगुनेंद्र तीर्थ स्वामी ने कहा, “मठ पीएम नरेंद्र मोदी के जरिए भगवान को सुवर्ण तीर्थ मंडप चढ़ाएगा. प्रधानमंत्री सर्वज्ञ पीठ, गोशाला और नए गीता मंदिर जाएंगे. वे चंद्रशाले में अष्ट मठों के सभी संतों से बात करेंगे और उनका आशीर्वाद लेंगे. उन्होंने ‘पत्रोड़े’ समेत उडुपी के खास पकवानों को चखने की इच्छा जताई है.” एक बयान में कहा गया, “इस दौरे में भक्ति, परंपरा और लोगों की भारी भागीदारी शामिल है, जो भारत की हमेशा रहने वाली सभ्यता, गीता के हमेशा काम आने वाले संदेश और भक्ति की भावना के शिखर को दिखाता है. दुनिया भर में लाखों लोगों के पसंदीदा आठ सदी पुराने श्री कृष्ण मंदिर के गर्भगृह में, प्रधानमंत्री मोदी खास प्रार्थना करेंगे और दर्शन करेंगे.”

क्या है उडुपी कनकना किंदी की कहानी

कनकना किंदी एक पवित्र द्वार है. ऐसा माना जाता है कि संत कनकदास ने इसी द्वार से भगवान कृष्ण के दिव्य दर्शन किए थे. उडुपी स्थित श्री कृष्ण मठ की स्थापना 800 वर्ष पूर्व वेदांत के द्वैत दर्शन के संस्थापक श्री माधवाचार्य ने की थी. उडुपी कनकना किंदी की कहानी 16वीं सदी के कवि-संत कनकदास से जुड़ी है, जिन्हें श्री कृष्ण मंदिर में एंट्री नहीं दी गई थी. बाहर से प्रार्थना करते हुए उनकी गहरी भक्ति ने मंदिर की भगवान कृष्ण की मूर्ति को हिला दिया, जो चमत्कारिक रूप से घूमकर उनकी ओर मुड़ गई. दीवार में एक दरार आ गई, जिससे कनकदास भगवान को देख पाए. इस जगह को बाद में एक छोटी खिड़की बना दिया गया, जिसका नाम कनकना किंदी रखा गया.

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