New Delhi: अब ट्रेनों में टॉयलेट की सफाई महज 56 सेकंड में पूरी की जा सकेगी. इससे बदबू और गंदगी से छुटकारा मिलेगा. भारतीय रेलवे ने लंबे समय से यात्रियों की परेशानी बनी ट्रेन टॉयलेट की सफाई को सुधारने के लिए नई तकनीक विकसित किया है. बता दें कि पहले एक टॉयलेट की सफाई में करीब सात मिनट लग जाते थे, जबकि कई स्टेशनों पर ट्रेनों का ठहराव सिर्फ दो मिनट का होता है.
पहले की तकनीक में टॉयलेट साफ करने में लगता था समय अधिक
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस नई तकनीक की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि पहले की तकनीक में टॉयलेट पूरी तरह से साफ करने में समय अधिक लगता था, इसलिए लंबी दूरी की ट्रेनों में यात्रियों को गंदे शौचालय का सामना करना पड़ता था. कम समय में सफाई न हो पाने के कारण यह समस्या लगातार बनी रहती थी. नई तकनीक में सेंसर और ऑटोमेटेड क्लीनिंग मशीनों का इस्तेमाल किया गया है. ये सेंसर लगातार टॉयलेट की स्थिति पर नजर रखते हैं और आवश्यकता पड़ते ही सफाई प्रक्रिया शुरू कर देते हैं.
वंदे भारत जैसी प्रीमियम ट्रेनों में गंध सेंसर भी लगाए
इसके अलावा सिस्टम पानी की कमी, पाइप में रुकावट या गंध जैसी समस्याओं की जानकारी भी देता है. वंदे भारत जैसी प्रीमियम ट्रेनों में गंध सेंसर भी लगाए गए हैं. जैसे ही टॉयलेट से दुर्गंध आती है, सेंसर तुरंत कर्मचारियों और अधिकारियों को अलर्ट भेजते हैं ताकि सफाई तुरंत की जा सके. रेल मंत्रालय की योजना है कि यह तकनीक पूरे देश में प्राथमिकता के आधार पर लागू की जाए. 2026 के मध्य तक प्रमुख ट्रेनों में यह सिस्टम उपलब्ध होगा. इससे यात्रियों को गंदे टॉयलेट्स की समस्या से पूरी तरह राहत मिलेगी.
ट्रेन स्टॉप पर कर्मचारी तुरंत उस कोच में कर सकेगा सफाई
नई प्रणाली के तहत चलती ट्रेन में ही टॉयलेट की स्थिति का डेटा कंट्रोल रूम तक पहुंच जाएगा. अगले स्टेशन पर तैनात सफाईकर्मी को तुरंत जानकारी मिल जाएगी कि किस कोच का टॉयलेट गंदा है. ट्रेन स्टॉप पर कर्मचारी तुरंत उस कोच में सफाई कर सकेगा, जिससे कम ठहराव वाले स्टेशनों पर भी टॉयलेट साफ रहेगा.
इसे भी पढ़ें. बड़ी खबर: वर्ल्ड कप खेलने भारत नहीं आएगी पाकिस्तान की जूनियर हॉकी टीम

