Judge Cash Row: सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के वजह से केंद्र असमर्थ… बोले उपराष्ट्रपति धनखड़

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Delhi High Court Judge Cash Row: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एडवांस्‍ड लीगल स्‍ट्डीज में छात्रों और संकाय सदस्‍यों से वार्ता की. इस दौरान उन्‍होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नई दिल्ली में एक जज के आधिकारिक आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने के मामले की आपराधिक जांच शुरू की जाएगी. उन्होंने इस घटना की तुलना शेक्सपीयर के नाटक जूलियस सीजर के एक संदर्भ ‘इडस आफ मार्च’ से की, जिसे आने वाले संकट का प्रतीक माना जाता है. रोमन कलैंडर में इडस का अर्थ होता है, किसी महीने की बीच की तारीख. मार्च, मई, जुलाई और अक्टूबर में इडस 15 तारीख को पड़ता है.

शासन व्‍यवस्‍था को तत्‍काल करनी चाहिए थी कार्रवाई…

इस घटना के बारे में बात करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि अब मुद्दा यह है कि अगर नकदी बरामद हुई थी तो शासन व्यवस्था को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए थी और पहली प्रक्रिया यह होनी चाहिए थी कि इससे आपराधिक कृत्य के रूप में निपटा जाता, दोषी लोगों का पता लगाया जाता और उन्हें कठघरे में खड़ा किया जाता. उपराष्‍ट्रपति ने उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश के आवास से भारी मात्रा में नकदी बरामद की तुलना ‘आइडस आफ मार्च’ से की. बता दें कि रोम के सम्राट जूलियस सीजर की हत्या 15 मार्च, 44 ईसा पूर्व को हुई थी.

इस वजह से असमर्थ है केंद्र

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि 14-15 मार्च की रात को न्यायपालिका को भी ‘इडस आफ मार्च’ का सामना करना पड़ा, जब बड़ी मात्रा में नकदी मिलने की बात सार्वजनिक रूप से स्वीकार की गई थी, लेकिन अब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई.

जगदीप धनखड़ ने कहा कि इस मामले से शुरुआत से ही एक आपराधिक मामले के रूप में निपटा जाना चाहिए था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के 90 के दशक के एक फैसले के वजह से केंद्र सरकार के हाथ बंधे हुए हैं. धनखड़ का बयान उन खबरों के बीच आया है कि न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास पर आग लगने के बाद वहां बड़ी मात्रा में अघोषित नकदी बरामद होने के बाद संसद में उनके खिलाफ महाभियोग लाने की प्रक्रिया चल रही है.

जस्टिस यशवंत वर्मा ने सभी आरोपों से किया इनकार

न्‍यायाधीश यशवंत वर्मा ने सभी आरोपों को खारिज किया है. वर्मा ने कहा कि वह दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति को जवाब सौंप चुके हैं. इसके बावजूद उनसे न्यायिक कार्य वापस ले लिए गए हैं और बाद में उनका तबादला इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया गया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश को उन्हें कुछ समय के लिए कोई न्यायिक दायित्व न सौंपने का निर्देश दिया है. इस मामले की जांच कर रही समिति ने दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा और दिल्ली दमकल सेवा प्रमुख अतुल गर्ग सहित 50 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए हैं.

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