“कांग्रेस पार्टी तुष्टिकरण राजनीति की जननी…”, आखिर कांग्रेस पर क्यों भड़क उठे BJP MLA डॉ. राजेश्वर सिंह

Shivam
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लखनऊ की सरोजिनी नगर सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक डा. राजेश्वर सिंह (Rajeshwar Singh) ने कांग्रेस (Congress) को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कांग्रेस पार्टी को राजनीतिक तुष्टिकरण की जननी बताया है.

उन्होंने कहा, कांग्रेस आजादी के पहले से ही राजनीतिक तुष्टिकरण कर रही है. विधायक ने ट्वीट कर कहा कि आजादी से पहले से ही कांग्रेस ने मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति को जन्म दिया था. इस बारे में ब्योरा देते हुए विधायक राजेश्वर सिंह कहते हैं,

कांग्रेस पार्टी तुष्टिकरण राजनीति की जननी है!

  • 1916 – लखनऊ पैक्ट : मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्र मानकर कांग्रेस ने साम्प्रदायिकता को वैधता दी.
  • 1920 – खिलाफ़त आंदोलन : तुर्की के खलीफा के समर्थन में आंदोलन, मालाबार में मोपला नरसंहार, कांग्रेस ने निंदा तक नहीं की.
  • 1942 – मुस्लिम लीग प्रतिनिधि को मंत्रिमंडल में जगह.
  • 1947 – विभाजन : 1.5 करोड़ विस्थापित, 15–20 लाख की हत्या, लाखों महिलाओं पर अत्याचार.

जिसका परिणाम यह हुआ कि, राष्ट्रीय एकता की कीमत पर मुस्लिम appeasement, देश और दिलों का विभाजन हुआ.

विधायक राजेश्वर सिंह ने आगे कहा कि कांग्रेस ने आजादी के बाद तुष्टिकरण का संस्थानीकरण शुरू कर दिया.

  • 1947–50 – पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों की अनदेखी, पर भारत में रह गए मुस्लिमों को विशेष संरक्षण.
  • नेहरू-लियाकत समझौता (1950) – भारत में मुस्लिमों को सुरक्षा, लेकिन पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा जारी.
  • 1955–56 – केवल हिंदू कानूनों में सुधार, मुस्लिम पर्सनल लॉ untouched.
  • आर्टिकल 25, 28, 30 – धर्मांतरण व अल्पसंख्यक संस्थानों को खुली छूट.
  • 1959 – हज सब्सिडी की शुरुआत, पर हिंदू-सिख शरणार्थियों के लिए कोई योजना नहीं.
  • 1972 – शिमला समझौता : 90,000 पाक सैनिक छोड़ दिए, 54 भारतीय सैनिक वापस नहीं लाए.
  • 1976 – आपतकाल के दौरान संविधान की प्रस्तावना में संशोधन कर ‘धर्मनिरपेक्षता’ शब्द जोड़ा.

उन्होंने आगे कहा कि 1978–2000 का साल राजनीतिक तुष्टिकरण की पराकाष्ठा थी.

  • 1978 – अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना.
  • 1985 – शाह बानो केस : सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटा, मुस्लिम कट्टरपंथ के आगे झुके.
  • 1990 – मुस्लिमों को OBC आरक्षण में शामिल करने की पहल.
  • 1991 – Places of Worship Act : काशी-मथुरा आदि के पुनर्निर्माण में बाधा.
  • 1995 – वक्फ अधिनियम : वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार.
  • 2006 – सच्चर समिति : मुसलमानों को “सबसे पिछड़ा समुदाय” घोषित, 15 सूत्रीय कार्यक्रम.
  • 2006 – मनमोहन सिंह : “देश के संसाधनों पर पहला हक़ मुसलमानों का.”

बीजेपी विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने इन सालों में जमकर देश के बहुसंख्यक समाज के साथ भेदभाव किया. इस दौरान कांग्रेस ने मुस्लिम तुष्टिकरण को संस्थागत रूप दिया.

कांग्रेस वोट बैंक की पॉलिटिक्स कर रही है

विधायक डॉ. सिंह ने आगे कहा कि यूपीए काल से लेकर आज तक कांग्रेस वोट बैंक की पॉलिटिक्स कर रही है. जिसका समय-समय पर उसने उदाहरण भी दिया.

  • 2009 – शर्म-अल-शेख में पाकिस्तान की भाषा बोली.
  • 2011 – Communal Violence Bill : दंगों में बहुसंख्यक को दोषी मानने का प्रावधान.
  • 2004–2014 – आतंकवाद पर नरमी, POTA हटाया, SIMI पर ढील, अफजल गुरु को बचाया.
  • RTE (2009) – मदरसों को छूट, 2.5 करोड़ बच्चे आधुनिक शिक्षा से वंचित.
  • “हिंदू आतंकवाद” थ्योरी (2007–11) : भारत की सांस्कृतिक छवि धूमिल करने की कोशिश.
  • CAA, हिजाब विवाद, शाहीनबाग आंदोलन में कांग्रेस का खुला समर्थन.
  • दशकों तक राम मंदिर का विरोध, अदालत में अड़ंगे.

कांग्रेस आज भी कर रही है मुस्लिम तुष्टिकरण

बीजेपी विधायक ने कहा कि, कांग्रेस आज भी वही कर रही है, जो 1916 में शुरू किया था. मुस्लिम तुष्टिकरण का कांग्रेस ना सिर्फ खुला समर्थन करती है, बल्कि उसको लेकर नई-नई पॉलिसी भी लाई.

राजेश्वर सिंह ने कहा कि, आज भारत को मध्यमार्गी और प्रगतिशील मुस्लिम नेतृत्व की आवश्यकता है. देश को उन मुल्लाओं और मौलवियों की आवश्यकता नहीं है, जो धर्म के नाम पर राजनीति करते हैं. धार्मिक नेताओं को मस्जिदों तक सीमित रहना चाहिए, न कि राजनीति तय करनी चाहिए.

मुस्लिम महिलाओं को सम्मान, शिक्षा और बराबरी का अधिकार मिलना चाहिए. समाज को पीछे खींचने वाली परंपराएँ और बंदिशें अब अस्वीकार्य हैं. बीजेपी विधायक ने कहा कि सच्चा नेतृत्व वही है जो आत्ममंथन करे और यह स्वीकार करे कि अशिक्षा और कट्टरपंथी सोच ने मुस्लिम समाज की तरक्की को रोका है.

उन्होंने मध्यमार्गी मुसलमानों को आह्वान करते हुए कहा कि उन्हें खुद अपनी आवाज बनना होगा और तानाशाही मानसिकता का विरोध करना होगा. मुस्लिम समाज को आगे बढ़ने के लिए महिला विरोधी प्रथाओं को नकारना होगा और शिक्षा, रोज़गार तथा भारत की प्रगति से समुदाय को जोड़ना होगा.

बीजेपी विधायक ने कहा कि भविष्य उन्हीं का है जो प्रगतिशील हैं, न कि उन पुरानी जकड़नों का.

राजेश्वर सिंह ने मुस्लिम समाज को नेतृत्व का चुनाव और प्रगति व पतन जैसे मुद्दों पर विचार करने को कहा. उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज को इन मुद्दों पर गहराई से सोचना चाहिये.

1. नेतृत्व का चुनाव

क्यों महान व्यक्ति जैसे डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम – एक वैज्ञानिक, दूरदर्शी और भारत के राष्ट्रपति जैसी हस्तियाँ मुस्लिम समाज से बड़ी संख्या में नेतृत्व के रूप में नहीं उभरीं? और क्यों इसके बजाय अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी, तस्लीमुद्दीन और शाहबुद्दीन जैसे अपराधियों को नेता बनाया गया, चुनाव जिताया गया और वोट दिए गए? क्या अब समय नहीं आ गया है कि सोचा जाए कि वोट ऐसे लोगों को क्यों दिए गए जिन्होंने समाज की छवि को बिगाड़ा, न कि संवारने का काम किया?

2. प्रगति अथवा पतन

क्यों दुबई – जो कभी एक बंजर रेगिस्तान था आज एक विश्वस्तरीय, आधुनिक और प्रगतिशील शहर बन रहा है, जहाँ शिक्षा, रोज़गार और विकास के अवसर हैं? और क्यों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान – जिनकी अपनी समृद्ध परंपराएँ और संसाधन हैं, आज चरमपंथ, अस्थिरता और आर्थिक बर्बादी की ओर जा रहे हैं? क्या मुसलमान समाज को यह आत्ममंथन नहीं करना चाहिए कि बिना चरमपंथ, अशिक्षा और तानाशाही को छोड़े, कभी प्रगति संभव नहीं होगी?

बीजेपी विधायक राजेश्वर सिंह ने कहा कि, असली सवाल यही है. मुस्लिम समुदाय के लोग नेता ऐसे चुनो जो प्रेरणा दें, न कि जो समाज का शोषण करें. रास्ता तरक़्क़ी और सुधार का अपनाओ, न कि पतन और कट्टरपंथ का. उन्होंने कहा कि भारत को आज ज़रूरत है प्रगतिशील और अग्रगामी मुस्लिम समाज की, जो नई सोच और सुधार का नेतृत्व करे.

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