Lucknow: राज्यसभा सांसद व यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा ने अटल शताब्दी जयंती वर्ष समारोह के अंतर्गत संगीत नाटक अकादमी मैं आयोजित कवि सम्मेलन तथा अन्य कई समारोहो में बोलते हुए कहा कि अटल जी की स्मृतियां देश के लिए धरोहर की तरह है जिनसे पीढियां प्रेरणा लेती रहेंगी। उनके लिए देश प्रथम था और वे कभी भी अपने बारे में कुछ नहीं सोंचते थे।

सत्ता का उन्हे तिल भर भी मोह नहीं था। वे मानते थे कि सत्ता का आना जाना रहेगा पर सिद्धान्त और राष्ट्र के प्रति कर्तव्य सर्वोपरि हैं। वे ऐसे प्रधानमंत्री थे जिनकी सरकार मात्र एक वोट से गिर गई थी पर उन्होंने सरकार को बचाने के लिए कोई सिद्धान्तहीन कार्य नहीं किया। राजनीति में शुचिता जहां उनकी पहचान थी वही नेशनल हाइवे का नया स्वरूप उनके विकास दर्शन का सही प्रतिबिम्ब हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी के नजदीकियों में रहने वाले डा शर्मा ने उन्हें याद करते हुए कहा कि विपक्ष के लोग भी उनकी राजनीति का लोहा मानते थे। वे ऐसे राजनेता थे जिन्होने कांग्रेस सरकार के समय में संयुक्त राष्ट्र में देश का प्रतिनिधित्व किया था। हिन्दी में दिए गए उनके भाषण ने भारत की दुनिया भर में छवि को बदलने और देश में सांस्कृतिक मूल्यों के मजबूत होने का सदेश दिया। उन्होंने एक ओर जहां नवाज शरीफ को गले लगाया वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के विश्वासघात का कारगिल में करारा जवाब दिया। युद्ध के दौरान ही सैनिको के बीच में जाकर उनका मनोबल बढाने का काम भी किया था। वे सरल हृदय और मानवता के पोषक थे पर जब जरूरत पडी तो उतना ही कडा जवाब भी देते थे। विदेशी चुनौतियों का जवाब परमाणु विस्फोट के परीक्षण से भी दिया था।
जनता के सपनों को साकार करने वाले इस राजनेता ने भारत में नदियों को जोडने का अनूठा प्रयोग किया। वे बडी से बडी और गंभीर बात भी कम शब्दों में कह देते थे। चुनाव के समय का किस्सा कहते हुए सांसद ने बताया कि नामांकन के बाद आयोजित सभा में अटल जी को हार पहनाने की बात आने पर उन्होंने हार पहनने से मन कर दिया था। इसके पीछे उनका कहना था कि हार उन्हे मंजूर नहीं है। व्यक्ति को जीवन में हार नहीं माननी चाहिए। उनकी एक एक बात के काफी गहरे अर्थ होते थे जिस पर शोध भी हो सकते हैं। वे कश्मीर से कन्याकुमारी तक लोगों के सबसे प्रिय राजनेता थे।


