वाराणसी: डबल इंजन की सरकार द्वारा कुम्भकारों को दिए गए इलेक्ट्रिक चाक की रफ्तार ने उनका उत्पादन करीब 6 से 7 गुना बढ़ा दी है। इससे कुम्हार कम समय में अधिक डिज़ाइनर दीये समेत अन्य मिट्टी के सामान बना रहे हैं। जिससे उनकी सेहत भी ठीक रह रही है। डबल इंजन की सरकार ने कुम्हारों के लिए शुरू की गई इलेक्ट्रिक चाक योजना के जरिए वाराणसी मंडल के 4,753 कुम्हारों को स्वरोजगार से जोड़कर उनकी जिंदगी में नई रोशनी लाई है। इस पहल से उनकी आमदनी 4 से 5 गुना बढ़ गई है। दीपावली के मौके पर दीयों की बढ़ती मांग को पूरा करने में यह इलेक्ट्रिक चाक कुम्हारों के लिए वरदान साबित हो रहा है। जिससे उनके चेहरों पर मुस्कान और घरों में समृद्धि आ रही है।
इलेक्ट्रिक चाक – कुम्हारों के लिए क्रांतिकारी बदलाव
खादी और ग्रामोद्योग आयोग कार्यालय के अनुसार ग्रामोद्योग विकास योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2016-17 से अब तक वाराणसी मंडल में 4,753 कुम्हारों को इलेक्ट्रिक चाक वितरित किए गए हैं। इस चाक की कीमत लगभग 13,000 रुपये है। जो बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) श्रेणी के कुम्हारों को मुफ्त और जनरल तथा ओबीसी कुम्हारों को 20% के भुगतान पर उपलब्ध कराया जाता है। इस योजना ने कुम्हारों को न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बनाया। बल्कि उनकी सेहत और कार्यक्षमता को भी बेहतर किया है।
इलेक्ट्रिक चाक से स्वास्थ्य, आमदनी और उत्पादकता में सुधार
विकास प्रजापति ने बताया कि यह इलेक्ट्रिक चाक हमारे लिए सिर्फ एक मशीन नहीं। बल्कि हमारे परिवारों की खुशहाली का जरिया है। दीपावली पर कुंभकार न केवल अपने घरों को। बल्कि दूसरों के घरों को भी रोशन करते हैं। उन्होंने जानकारी दी कि पहले पारंपरिक हाथ से चलने वाले चाक पर काम करना शारीरिक रूप से थकाऊ और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक था। हाथ, कंधे और सीने में दर्द, साथ ही जख्मों की समस्या आम थी। पहले दिन में केवल दो घंटे काम हो पाता था। बाकी समय आराम में चला जाता था। लेकिन इलेक्ट्रिक चाक ने इस स्थिति को पूरी तरह बदल दिया। अब परिवार के सभी सदस्य मिलकर 10-12 घंटे आसानी से काम कर लेते हैं। बिहारी प्रजापति ने सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी कला को नई रफ्तार मिली है। और अब हम बड़े ऑर्डर भी आसानी से पूरे कर लेते हैं।
उत्पादन क्षमता में गुणात्मक वृद्धि
क्लस्टर और काशी पॉटरी के महासचिव राजेश त्रिवेदी ने बताया, “इलेक्ट्रिक चाक ने हमारी उत्पादन क्षमता को 6-7 गुना बढ़ा दिया है। पहले जहां 50-60 दीये बन पाते थे। अब उतने ही समय में 300-400 डिज़ाइनर दीये और अन्य मिट्टी के सामान आसानी से बना लेते हैं। इससे हमारी आमदनी 4-5 गुना बढ़ गई है।” दीपावली के ऑर्डर पूरे करने में यह चाक कुम्हारों के लिए गेम-चेंजर साबित हो रहा है।
दीपावली की मांग और कुम्हारों की खुशहाली
दीपावली के त्योहार पर दीयों और मिट्टी के अन्य सामानों की मांग में भारी वृद्धि होती है। इलेक्ट्रिक चाक की तेजी और दक्षता के कारण कुम्हार न केवल समय पर ऑर्डर पूरे कर रहे हैं। बल्कि डिज़ाइनर और आकर्षक दीये बनाकर बाजार में अपनी अलग पहचान भी बना रहे हैं। यह योजना कुम्हारों के लिए आर्थिक स्वावलंबन के साथ-साथ आत्मविश्वास का भी स्रोत बन रही है।
सरकार की प्रतिबद्धता – ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करना
डबल इंजन की सरकार की यह पहल न केवल कुम्हार समुदाय को सशक्त कर रही है। बल्कि पूर्वांचल की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान कर रही है। इलेक्ट्रिक सोलर चाक पर्यावरण-अनुकूल होने के साथ-साथ ऊर्जा-कुशल भी है। जो कुम्हारों के लिए लागत को और कम करता है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग के प्रयासों से कुम्हारों को प्रशिक्षण और बाजार से जोड़ने की दिशा में भी काम किया जा रहा है।
वित्तीय वर्ष 2016 -17 से अब तक वितरित इलेक्ट्रिक चाक की संख्या
वित्तीय -वर्ष इलेक्ट्रिक चाक की संख्या
2016 -17-20
2017-18 -40
2018-19 -1260
2019-20 —520
2020-21 —550
2021-22 —583
2022-23— 180
2023 -24 –500
2024 -25 –800
2025 -26 –300 (अब तक )