Varanasi: योगी सरकार दीपावली में महिलाओं द्वारा निर्मित स्वदेशी उत्पादों को नया बाजार दे रही है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) से जुडी महिलाएं स्वावलंबी बनते हुए , इस अभियान को आत्मनिर्भर भारत की नई मिसाल बना रही है। काशी के 8 विकासखंड में खुले 32 काशी प्रेरणा मार्ट और विकास भवन में खुले आकांक्षा प्रेरणा मार्ट में दीपावली के ख़ास अवसर पर गाय के गोबर से निर्मित गणेश लक्ष्मी की मूर्ति ,शुद्ध देसी घी का लड्डू ,भगवान जी के वस्त्र चुनरी व मिट्टी के दिए तैयार कर बेचा जा रहा है l 30 स्वयं सहायता समूह की लगभग 150 महिलाओं द्वारा इस मार्ट में स्वदेशी उत्पादों की सप्लाई की जा रही है।
शुद्ध देशी घी से बने लड्डू की मिठास हो या गाय के गोबर से बनी पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियों की आकर्षक चमक, हर उत्पाद में ग्रामीण भारत की आत्मनिर्भरता और महिलाओं का स्वावलम्बन की झलक दिख रही है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत संचालित यह पहल न केवल स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा दे रही है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को सीधे बाजार से जोड़ रही है। मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने बताया कि विकास भवन परिसर में स्थित मुख्य आकांक्षा मार्ट और 8 विकास खंडों में फैले 32 काशी प्रेरणा मार्टों पर महिलाएं स्वयं अपने हाथों से तैयार उत्पाद कर बेच रही हैं।
उपायुक्त स्वतः रोजगार पवन कुमार सिंह ने बताया कि , यह मार्ट ग्रामीण स्वयं सहायता समूह को बाजार उपलब्ध कराने का महत्वपूर्ण कदम है। “यह केवल बिक्री का माध्यम नहीं, बल्कि महिलाओं की कला, लगन और मेहनत को प्रोत्साहन देने का मंच है। इससे न केवल उनकी आय बढ़ रही है, बल्कि स्वदेशी आंदोलन को मजबूती मिल रही है, उन्होंने बताया कि जिले में 32 मार्टों के माध्यम से विभिन्न उत्पादों को बनाने वाली और बेचने वाली सैकड़ों महिलाएं जुड़ी हुई हैं, और आने वाले समय में बिक्री को और बढ़ाने की योजना है।
जिला मिशन प्रबंधक श्रवण कुमार सिंह ने कहा कि काशी प्रेरणा मार्ट अब वाराणसी का नया स्वदेशी उत्पादों का केंद्र बन चुका है। यदि आप भी शुद्ध और पर्यावरण-अनुकूल उत्पाद खरीदना चाहें, तो विकास भवन परिसर या नजदीकी विकास खंड काशी प्रेरणा मार्ट जरूर पहुंचें। यह न केवल खरीदारी है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं की मेहनत का सम्मान भी होगा
चिरईगावं की एसएचजी सदस्य अमृता मौर्या व शगुफ्ता खुशी जाहिर करते हुए बताती कि, पहले हमारे उत्पाद गांव तक सीमित थे, अब विकास भवन जैसे बड़े बाजार में बिक रहे हैं। एनआरएलएम ने हमें नई जिंदगी दी है।” यह पहल- मोदी-योगी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान से से प्रेरित है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बना रही है।