Supreme Court ने कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से किया इनकार

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति करने वाली कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करने की मांग वाली याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने से इनकार कर दिया है. वकील मैथ्यूज नेदुम्परा ने कहा कि रजिस्ट्रार ने अब इसे खारिज कर दिया है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि रजिस्ट्रार ने कहा है कि एक बार जब संविधान पीठ ने किसी बात पर फैसला दे दिया है, तो अनुच्छेद 32 की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. रजिस्ट्रार आदेश के खिलाफ अन्य उपाय भी हैं. वकील नेदुम्पारा ने कहा, पुनर्विचार याचिका खारिज हो चुकी है. यह इस संस्था की विश्वसनीयता के बारे में है। कॉलेजियम को जाना होगा.

अंकल कल्चर’

बताते चले, कॉलेजियम सिस्टम भाई-भतीजावाद और जातिवाद का ऐसा मिश्रण है कि न्यायिक क्षेत्र में इसे ‘अंकल कल्चर’ कहा जाने लगा है. बाकी क्षेत्रों की तरह केंद्र की मोदी सरकार ने इसमें आवश्यक सुधार करने की कोशिश की. लेकिन, एससी ने खुद को सर्वोच्च ऑथरिटी बताते हुए संसद में बने इस कानून को ही खारिज कर दिया. इसके कारण जनता में पहले से ही बैठी आशंका और मजबूत हो गई कि सुप्रीम कोर्ट आखिर कॉलेजियम में पारदर्शिता तक क्यों नहीं लाना चाहता है.

क्या है कॉलेजियम सिस्टम?

कॉलेजियम सिस्टम सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा खुद से विकसित किया हुआ एक सिस्टम है, जिसके तहत एससी और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति की जाती है. यह नियुक्ति फिलहाल एससी के पाँच वरिष्ठ जजों की अनुशंसा पर ही की जाती है. हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति भी कॉलेजियम कि सलाह पर होती है. इसमें एससी के मुख्य न्यायाधीश, संबंधित हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस और उस राज्य के राज्यपाल शामिल होते हैं.

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