देश में चल रहा है हिन्दी और भारतीय भाषाओं के संवर्धन का दौर: डा. दिनेश शर्मा

Shivam
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राज्यसभा सांसद एवं यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि देश में 2014 के बाद  हिन्दी और भारतीय भाषाओं के संवर्धन का दौर चल रहा  है। इस दौर में  हिन्दी और भारत की क्षेत्रीय भाषाएं  सह यात्री बनकर आगे बढ रही हैं। आजादी के बाद देश में भाषा, सीमा आदि को लेकर तमाम विवाद हुए थे, पर आज इससे हटकर भारत की भाषाओं का सम्मान हो रहा है। भारत जैसे बहुभाषी देश में आज 44 प्रतिशत लोग हिन्दी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं क्योंकि हिन्दी ने अन्य भाषाओं को आत्मसात कर लिया है। हिन्दी आज भारत की सीमाओं से बाहर दूसरे देशों में भी बोली जा रही है।

 

देश के विशालतम सभागार में से एक महात्मा मंदिर कन्वेंशन एवं एग्जिबिशन सेंटर, गांधी नगर, गुजरात में राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय द्वारा हिंदी दिवस, 2025 एवं पांचवां अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में हिंदी संसदीय प्रथम उप समिति के अध्यक्ष एवं सांसद राज्यसभा डॉ दिनेश शर्मा ने  भाषा को व्यक्ति के जीवन  की आत्मा बताते हुए कहा कि  ये  भाषा ही जीवन में उन्नति का द्वार खोलती है।  देश में  मोदी सरकार ने नया प्रयोग किया है कि अब मेडिकल और इंजीनियरिंग की शिक्षा हिन्दी में भी दी जा रही है। तमाम ऐसे क्षेत्र जहां पर केवल अंग्रेजी का प्रयोग होता था वहां पर भी आज हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग हो रहा है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भारत को आजादी मिलने के संघर्ष में  तमाम उतार चढाव आये थे और इस दौर में हिन्दी भाषा में भी बदलाव आए। देश में हिन्दी को  14 सितम्बर को  राज भाषा का दर्जा मिला  था। हिन्दी भाषा के उन्नयन के लिए  तमाम प्रयास हुए हैं। गुजरात में हिन्दी के उत्थान के लिए महात्मा गांधी , सरदार पटेल , और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शानदार प्रयास किए।  भारत सरकार के वर्तमान गृहमंत्री अमित शाह ने हिन्दी के उत्थान के लिए विशेष प्रयास किए है। उनके प्रयासों से आज भारत सरकार के 65 प्रतिशत कार्य हिन्दी भाषा में होते हैं तथा गृह मंत्रालय के कार्य पूरी तरह से हिन्दी में होते हैं। इसका कारण है कि मोदी सरकार ने भारतीय भाषाओं को बढाने एवं सम्मान देने का काम किया है। आज अर्थ प्रबंधन से लेकर नव प्रयोग तक हर जगह अपनी भाषाओं को प्रयोग हो रहा है। अब  भारतीय भाषाओं में आने वाले पत्रों का उत्तर भी  उसी भाषा में दिया जा रहा है। ये भारत की भाषाओं के सम्मान और उत्थान का दौर है।
डा शर्मा ने कहा कि देश में 22 भाषाओं को आठवीं अनुसूची में सम्मिलित करते हुए राजभाषा का एवं  11 भाषाओं को  शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला है। भारतीय भाषाओं के हिन्दी के साथ समन्वय की पहल हुई है जिसके सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं। आज देश में तमिल और बांग्ला और हिंदी संगम हो रहे हैं। बंगाल के लोग हिन्दी भाषी क्षेत्रों में जाकर हिन्दी के सम्पर्क में आ रहे हैं और हिन्दी भाषी लोग बंगाल और तमिलनाडु तथा अन्य प्रदेशों में जाकर वहां की क्षेत्रीय भाषा के सम्पर्क में आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि  बदले हुए समय में व्यक्ति के पास समय कम हुआ है। वह आज भी आने वाले कल के लिए सोंचता है और कल भी आने वाले कल के लिए ही सोंचता है। जो लोग कल के लिए ही सोंचते रहते हैं वे आज का आनन्द नहीं ले पाते हैं। जीवन में आज का आनन्द लेने के लिए सुख की अनुभूति स्वयं करनी होगी। धन जीवन में सुख की गारन्टी नहीं हो सकता है पर इंसानियत जीवन में सुख की गारन्टी जरूर देती है। जीवन में  तमाम उतार चढाव आते हैं।कवि नीरज ने कहा है कि” कर्म अगर अच्छा है तेरा, किस्मत तेरी दासी है ,दिल है तेरा साफ़ तो प्यारे घर में मथुरा काशी है।”
उन्होंने गुजरात में राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय द्वारा हिंदी दिवस, 2025 एवं पांचवां अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में देशभर से पधारे विभिन्न संस्थाओं के हिंदी अधिकारियों, विद्वानों एवं हिंदी भाषा के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वाले महानुभावों को सम्मानित किया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल एवं वैज्ञानिक आनंद रंगनाथन ने भी अपने विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम में भारत सरकार की राजभाषा विभाग की सचिव श्रीमती अंजली आर्य, विशेष सचिव मंजू शर्मा भी उपस्थित थी।
गांधीनगर, गुजरात में हिंदी दिवस एवं राजभाषा सम्मेलन 2025 के सफल आयोजन के उपरांत विभिन्न संस्थाओं एवं संगठनों के प्रतिनिधियों व अधिकारियों ने उद्बोधन एवं कार्यक्रम की सफलता की बधाई दी।
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