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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
अपने दो दिवसीय जम्मू-कश्मीर दौरे पर बुधवार को श्रीनगर पहुंचे केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि हम कश्मीर को ‘बियोंड द कश्मीर’ लेकर जाएंगे, जिससे लोग श्रीनगर, गुलमर्ग और सोनमर्ग में बाहर निकलकर कश्मीर के अन्य जगहों के ऐतिहासिक वैभव को भी देख सकें। मीडिया से रू-ब-रू होते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जम्मू- कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पिछले साल तक कश्मीर में पर्यटकों के आगमन में काफी स्थिरता देखने को मिली। 2 करोड़ 20 लाख से अधिक पर्यटक यहां आए। ऐसा लग रहा था कि कश्मीर में सबकुछ बदल गया है। लोगों का रोजगार और आजीविका बदल गई थी। यहां समृद्धि आने लगी थी, लेकिन पहलगाम की क्रूर घटना के बाद यहां की चहल-पहल थम सी गई थी, लेकिन अब इसमें स्थिरता लौटने लगी है। शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से हम लोग इस दिशा में दोबारा प्रयास कर रहे हैं और अब कश्मीर में शांति है।
पर्यटकों की सुरक्षा सबसे जरूरी
शेखावत ने कहा कि पर्यटकों की सुरक्षा सबसे जरूरी चीज है, जिसे फिर से स्थापित किया जा रहा है, जिससे भविष्य में पहलगाम जैसी घटना न हो सके। उन्होंने कहा कि भारत ने जिस तरह का जवाब दिया है, उससे आने वाले कई दशकों तक इस तरह की घटना को अंजाम देने की हिमाकत आतंकवादी नहीं कर पाएंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह सजग है, चाहे श्रद्धालु अमरनाथ गुफा की यात्रा करें, या वैष्णो देवी की यात्रा, उन्हें किसी भी तरह की खरोंच तक नहीं आएगी।
इको टूरिज्म को बढ़ावा दें पर्यटक
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चाहे श्रद्धालु अमरनाथ गुफा की यात्रा करें, या वैष्णो देवी की यात्रा या अन्य स्थलों की, उन्हें संबंधित जगहों के इको टूरिज्म को बढ़ावा देने पर ध्यान देना होगा, वो किसी तरह का कचरा न फैलाएं, जिससे हमारे ये स्थल सदियों तक इसी रूप में आने वाले पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रह सकें।
माता खीर भवानी व नरनाग मंदिर में नवाया शीश
केंद्रीय मंत्री ने गांदरबल के तुलमुल गांव स्थित प्रसिद्ध माता खीर भवानी मंदिर में सपत्नीक दर्शन कर शीश नवाया। शेखावत ने कहा कि मां राग्न्या देवी के इस पावन स्थल ने उन्हें आध्यात्मिक शांति से भर दिया। उन्होंने बताया कि यह मंदिर कश्मीरी पंडितों की कुलदेवी को समर्पित है और इसका उल्लेख त्रेतायुग तथा सनातन धर्म ग्रंथों में भी मिलता है। यह स्थल धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। शेखावत गांदरबल जिले में वंगथ घाटी में भगवान शिव को समर्पित ‘नरनाग मंदिर’ भी गए और सपत्नीक दर्शन किए। उन्होंने बताया कि इसका निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ था। यह कभी अध्यात्म, तप और तंत्र का एक केंद्र भी था। आज भी शिवभक्त इसे तीर्थ की श्रेणी में रखते हैं। मंदिर का अद्भुत स्थापत्य प्राचीन भारत के निर्माण कौशल का प्रमाण है। एएसआई ने इसे संरक्षित किया है।