वंदे मातरम बंगाल ही नहीं, दुनियाभर में भारत की पहचान है- गृहमंत्री अमित शाह

New Delhi: गृहमंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि वंदे मातरम को बंगाल चुनाव से जोड़कर देखना गलत है. यह गीत बंगाल ही नहीं, पूरे देश की धड़कन है और दुनियाभर में भारत की पहचान है. अमित शाह ने संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार को राज्यसभा में वंदे मातरम पर विशेष चर्चा के दौरान यह बयान दिए. गृहमंत्री शाह ने कहा कि वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं बल्कि देश की आजादी, राष्ट्रीय चेतना और मां भारती के प्रति समर्पण का शक्तिशाली मंत्र है.

वंदे मातरम ने आजादी की लड़ाई में भरा जोश

उन्होंने कहा कि इस विषय को किसी राजनीतिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि यह भारत के गौरव और राष्ट्रभक्ति से जुड़ा है. अमित शाह ने कहा कि वंदे मातरम ने आजादी की लड़ाई में ऐसा जोश भरा कि यह नारा देशभर में स्वतंत्रता का उद्घोष बन गया. कुछ लोग इस चर्चा पर सवाल उठा रहे हैं. जिन्हें समझ नहीं आ रहा कि वंदे मातरम पर चर्चा क्यों हो रही है. उन्हें अपनी समझ पर नए सिरे से विचार करना चाहिए.

वंदे मातरम पहली बार सार्वजनिक हुई

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि यह गीत आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना स्वतंत्रता संग्राम के दौरान था और जब 2047 में भारत विकसित राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहा होगा, तब भी वंदे मातरम की भावना उतनी ही मजबूत रहेगी. सदन में जानकारी दी गई कि 7 नवंबर 1875 को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की अमर रचना वंदे मातरम पहली बार सार्वजनिक हुई थी. शुरू में इसे एक बेहतरीन साहित्यिक रचना माना गया, लेकिन धीरे-धीरे यह देशभक्ति का प्रतीक बनकर आजादी के आंदोलन की पहचान बन गई.

वंदे मातरम ने देश को जागरूक किया

बंकिमचंद्र की इस रचना ने उस दौर में देश को चेतना और साहस दिया. शाह ने कहा कि वंदे मातरम ने देश को जागरूक किया. युवाओं को प्रेरित किया और शहीदों के लिए यह अंतिम मंत्र बनाए. जिसने उन्हें अगला जन्म भी इसी भारत भूमि पर लेने की प्रेरणा दी. सदन में अमित शाह ने कहा कि वंदे मातरम भारत के पुनर्जागरण का मंत्र है. यह गीत मां भारती की वंदना है, भक्ति है और राष्ट्र के प्रति हमारे कर्तव्य का स्मरण है.

एक पवित्र संघर्ष का प्रतीक था वंदे मातरम

इससे पहले सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में वंदे मातरम पर चर्चा की शुरुआत की थी. उन्होंने कहा था कि यह केवल एक गीत या राजनीतिक नारा नहीं था बल्कि स्वतंत्रता संग्राम और मातृभूमि की आजादी के लिए एक पवित्र संघर्ष का प्रतीक था.

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