New Delhi: बैडमिंटन की दिग्गज खिलाड़ी ताई त्जू-यिंग ने संन्यास का एलान कर दिया है. टोक्यो ओलंपिक की रजत पदक विजेता ताई के सन्यास की घोषणा के साथ ही एक ऐसा युग खत्म हुआ, जिसे प्रशंसक हमेशा याद करेंगे. उनके संन्यास पर उनकी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी भारत की दो बार की ओलंपिक पदक विजेता पीवी. सिंधू की ओर से आई जिन्होंने ताई के साथ पिछले एक दशक में कई यादगार मुकाबले खेले. बैडमिंटन की दुनिया की बेहतरीन महिला खिलाड़ियों में से एक ताई त्जू-यिंग ने शनिवार को संन्यास की घोषणा की.
अपनी कलाई की जादूगरी के लिए जानी जाती थीं खिलाड़ी
ताई-त्जू वो नाम हैं जिसने कोर्ट पर हर स्ट्रोक के साथ आगे की तरफ कदम बढ़ाए और महान खिलाड़ियों में नाम लिखवाने के बाद इस खेल को अलविदा कह दिया. 31 वर्षीय यह शटलर अपनी कलाई की जादूगरी, अद्भुत फुर्ती और रचनात्मक खेल शैली के लिए जानी जाती थीं. उस खिलाड़ी ने लगातार बनी रहने वाली चोटों को अपने संन्यास का कारण बताया. उनका आखिरी बीडब्ल्यूएफ खिताब 2024 के इंडिया ओपन में आया था. ताई ने अपना इंस्टाग्राम पर एक भावुक पोस्ट लिख संन्यास की जानकारी दी.
एक खूबसूरत अध्याय अब समाप्त
इंस्टाग्राम पोस्ट में भावनात्मक शब्दों में लिखा कि एक खूबसूरत अध्याय अब समाप्त हो गया है. धन्यवाद बैडमिंटन, उन सब चीजों के लिए जो तुमने मुझे दीं. आखिरकार, मेरी चोटों ने मुझे कोर्ट छोड़ने पर मजबूर कर ही दिया. मैं अपने करियर को उस तरह खत्म नहीं कर पाई जैसा मैंने सोचा था और इसे स्वीकार करने में मुझे वक्त लगा. टीटीवाई युग अब समाप्त हो गया है लेकिन मैं उम्मीद करती हूं कि टीटीवाई की भावना हमेशा आपके साथ रहे.
शांति को गले लगाना चाहती हैं
साउथ ताइवान के काओशुंग शहर में जन्मीं पूर्व विश्व नंबर-1 ताई पिछले साल से चोटों से जूझ रही थीं और अंतरराष्ट्रीय सर्किट से दूर थीं. दो बार की विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता इस खिलाड़ी ने कहा कि अब वह वर्षों की भागदौड़ और मेहनत के बाद मिलने वाली शांति को गले लगाना चाहती हैं. उन्होंने लिखा कि मैंने अभी यह तय नहीं किया है कि आगे क्या करूंगी, लेकिन फिलहाल मैं बिना अलार्म घड़ी वाले जीवन का आनंद लेने जा रही हूं.
जिसने मुझे हर बार मेरी सीमाओं तक धकेला
उनके संन्यास पर बैडमिंटन जगत से प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई. उनकी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी भारत की दो बार की ओलंपिक पदक विजेता पीवी. सिंधू ने अपने X अकाउंट पर लिखा कि 15 सालों से भी ज्यादा समय तक तुम वो प्रतिद्वंद्वी रहीं, जिसने मुझे हर बार मेरी सीमाओं तक धकेला. मेरे जीवन के दो सबसे अहम पदक-रियो 2016 का सिल्वर और 2019 विश्व चैम्पियनशिप का गोल्ड. तुम्हारे खिलाफ खेले गए उन लंबे, रोमांचक मैचों के बाद ही आए. रियो में हम प्री-क्वार्टर फाइनल में मिले थे, बेसल में क्वार्टर फाइनल में और दोनों बार मुझे अपनी पूरी ताकत झोंकनी पड़ी.
मुझे तुम्हारे खिलाफ खेलना बिल्कुल आसान नहीं लगता था
फिर 2021 के सेमीफाइनल में तुमने मुझे हरा दिया और मुझे एशियाई खेलों का स्वर्ण जीतने से रोक दिया. मैं आज भी उस मैच को मुस्कुराते हुए याद करती हूं. सिंधु ने लिखा कि मैं मानती हूं, मुझे तुम्हारे खिलाफ खेलना बिल्कुल आसान नहीं लगता था. तुम्हारी कलाई की चालें, छल और जीनियस जैसी खेल शैली ने मुझे मेरी सीमाओं तक पहुंचाया. तुम्हारे खिलाफ खेलना ही मुझे एक बेहतर एथलीट बना गया. कोच बता सकते हैं कि हम तुम्हारे खिलाफ खेलने से पहले कितनी तैयारी करते थे.
अपनी यात्रा का एक हिस्सा खत्म हो गया हो
लेकिन प्रतिद्वंद्विता से परे हमने कुछ और भी खूबसूरत पाया और वो है एक गहरी दोस्ती, आपसी सम्मान और वो रिश्ता जो केवल वर्षों की उन लड़ाइयों से बनता है जिन्हें सिर्फ हम ही समझ सकते हैं. तुम्हें खेल से जाते देखना ऐसा लगता है जैसे मेरी अपनी यात्रा का एक हिस्सा खत्म हो गया हो. खेल तुम्हारे जादू को मिस करेगा, और मैं भी. अब एहसास हो रहा है कि हमारी पीढ़ी के खिलाड़ी धीरे-धीरे रिटायर हो रहे हैं और इसके लिए कोई भी तैयार नहीं होता.
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