Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवतमहापुराण में कथा आती है कि पांच नृत्यांगनाओं ने दुराचारी धुंधकारी का धन लूट लिया और बाद में मार डाला। धुंधकारी को प्रेत योनि प्राप्त हुई। उसके उद्धार के...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, साधु के लिए कण और क्षण- दोनों ही एक जैसे कीमती हैं. इसीलिए जो दोनों को कीमती मानकर सावधानी से इनको काम में लेता है, वही सच्चा संत है....
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भागवत की कथा केवल सुन लेने की चीज नहीं है। वह तो श्रवण के बाद सतत मनन द्वारा हृदय में सुरक्षित रखने एवं आचरण की चीज है। भागवत की...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, संतान हीनता के दुःख से दुःखी होकर आत्महत्या करने के लिए गये हुये आत्मदेव को प्रभु-प्रदत्त परिस्थिति में संतोष मानने का उपदेश देने पर जब कोई फल न निकला,...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भक्तों की भगवद्मयता जब ऊँचे शिखरोंको छू लेती है, तब परमात्मतत्त्व उनकी इच्छा के अधीन बन जाता है।सच्चे भक्त भगवान को प्रेम-बंधन में इस प्रकार बांध लेते हैं कि...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीकृष्ण के बिरह में तड़पती हुई गोपियों को ज्ञान प्रदान करने के लिए जब उद्धव ने ज्ञान की बातें-कुछ कही, तब सतत कृष्ण-स्मरण के कारण कृष्णमय बनी हुई गोपियां...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, आजकल के लोग ज्ञान-वैराग्य की बातें तो बहुत करते हैं, किन्तु जरा-सा नुकसान देखकर क्रोध में जल उठते हैं।शान्ति की बातें करने वाले ज्ञानियों का दिमाग यदि ठण्डी चाय...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवतमहापुराण यह नहीं कहता है कि घर त्याग करोगे तभी भगवान प्राप्त होंगे। वह तो कहता है कि भगवान को प्राप्त करने के लिए घर छोड़ने की आवश्यकता नहीं...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, गोकुल में नंगे पांव घूमने वाले श्रीकृष्ण कंस-वध के पश्चात एकाएक मथुरेश्वर (मथुराधिपति) बन गये। उनके चरणों में अपार ऐश्वर्य लोट रहा था, फिर भी वे अपने सुख-दुःख के...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मानव देह क्षणभंगुर है। यह पानी के बुदबुदे के समान पैदा होती है और फूट जाती है। फिर भी संतों और शास्त्रों ने ' दुर्लभो मानुषो देहो ' कहकर...