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श्रीरणछोड़ दास जी महाराज श्रीपयहारीजी के प्रति रखते थे गुरु भाव: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, गुरुतत्व की महिमा- श्रीनाभागोस्वामीजी ने श्रीभक्तमालजी में गुरु जी की परिभाषा सबसे पीछे किया। क्यों कि गुरु का अर्थ होता है भारी, वजनदार। गुरुतत्व वो तत्व है, जिसके सामने...

भक्त, भक्ति, भगवन्त और गुरु इन चारों तत्वों की करनी चाहिए उपासना: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भक्त भक्ति भगवन्त गुरु चतुर नाम वपु एक। तिनके पद वंदन किये नासै विघ्न अनेक।। श्रीभक्तमाल जी में श्रीनाभागोस्वामीजी कह रहे हैं कि- यह चार तत्व हैं। भक्त, भक्ति, भगवन्त...

जो भगवान के अस्तित्व को प्रकट करते हैं, उन्हीं को कहा जाता है संत: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवत प्राप्ति की इच्छा क्यों उत्पन्न नहीं हो रही है? कथा भी सुन रहे हैं, सेवा भी कर रहे हैं, फिर भी क्या कारण है जो भगवान के दर्शन...

भगवत प्राप्ति की उत्कट अभिलाषा ही है भगवत दर्शन का मूल्य: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मनुष्य जन्म का फल है, भगवत प्राप्ति, भगवत साक्षात्कार, भगवत दर्शन, यही मनुष्य जन्म का फल है। भगवत प्राप्ति कैसे हो? प्राप्ति का मूल्य क्या है? प्राप्ति का मूल्य...

मनुष्य जन्म का फल है भगवान की प्राप्ति: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मनुष्य जन्म का फल क्या है? मनुष्य जन्म का फल है भगवान की प्राप्ति। मानव धर्म के प्रणेता श्रीमनुजी महाराज व्याकुल होकर कहते हैं- श्रीरामचरितमानस में वर्णन आता है। होय...

जो भगवान से विमुख हैं उनको मनुष्य जन्म की दुर्लभता मालूम नहीं: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भक्तमाल की गंध को लेत भक्त अलिआय।भेंक विमुख ढ़िग ही बसें रहें कीच लपटाय।। भक्त कौन है? भक्त की उपमा भ्रमर से दी गयी है। सरोवर में कमल खिलता है,...

भारत की भूमि आध्यात्मिक दृष्टि से स्वर्ग से भी है श्रेष्ठ: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, न यत्र वैकुण्ठकथासुधापगा, न साधवो भागवतास्तदाश्रयाः। न यत्र यज्ञेशमखा महोत्सवाः, सुरेशलोकोऽपि न वै स सेव्यतां।। भारत की भूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है- श्रीमद् भागवत महापुराण में देवता का...

भारत में जन्म लेने से सहजतापूर्वक प्राप्त हो जाता है भगवान की भक्ति करने का अवसर: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, हम लोग बड़े भाग्यशाली हैं, हम सबका जन्म पवित्र धरा पर हुआ। ऋषि मुनियों की तपस्थली भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण की प्राकट्य भूमि, पवित्र भारतवर्ष में हम सबका जन्म...

सुख-शांति के लिए तन, मन, धन से करनी चाहिए ईश्वर की आराधना: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जद्यपि सम नहिं राग न रोषू। गहहिं न पाप पुण्य गुन दोषू।।तदपि करहिं सम विषम बिहारा। भगत अभगत ह्रदय अनुसारा।।मानत सुख सेवक सेवकाई। सेवक वैर वैरु अधिकाई।। संत सेवा को...

भगवान के नाम का जाप करने मात्र से भी होगा हमारा कल्याण: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, तीर्थगुरु श्रीपुष्करराजजी में निवास करने की भी बहुत महिमा है। भक्ति के चार चरण हैं - नाम, रूप, लीला, धाम। भगवान का नाम जपना भक्ति का एक चरण है।...
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