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पतिव्रता और सती माता के इतिहास से भरा है राजस्थान का इतिहास: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, विदुर चरित- भगवान श्री कृष्ण का शांति दूत बनकर हस्तिनापुर पधारना, दुर्योधन ने भगवान से कहा तेरह वर्षों में हमने बहुत शक्ति अर्जित किया है, पांडव हमारा सामना नहीं कर...

शाश्वत परमात्मा की तरफ चलने से व्यक्ति का जीवन हो जाता है सफल: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान सच्चिदानंद है। सूर्य, चंद्र, तारामंडल अनेकों बार बना और मिटा, लेकिन परमात्मा कभी नहीं मिटते, इसलिए परमात्मा को सत कहते हैं। संसार इस चेतन से चल रहा है जैसे-...

जीते जी बैकुंठ देती है भागवत की कथा: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत महापुराण के माहात्म्य में चार मंत्रों में अमृत की चर्चा की गई है। जिस अमृत के लिए देवासुर संग्राम हुआ, बहुत वीरों का संहार हो गया, कितना भयानक युद्ध...

जो स्वयं को संकट में डालकर हमारे प्राण की रक्षा करे, उसी का नाम है माता: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भागवत माता, रामायण माता, गीता माता, भारत माता, जो स्वयं को संकट में डालकर हमारे प्राण की रक्षा करे, उसी का नाम माता है. गंदगी लगी हो तो पिता नहीं...

सर्वत्र और सबमें भगवान का दर्शन करने वाला होता है महात्मा सुदुर्लभ: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मीराबाई से पूछा गया, आपको भगवान मिल गया। मीराबाई ने पूंछे के थाने भगवान मिलग्या। मीराबाई ने हंसते हुए जवाब दिया- अनबोल्या दिन बीतन लाग्या, काहे की कुशलात। भक्त शिरोमणि...

भक्त की मधुर भावना को देखकर भगवान भक्त का करते हैं कल्याण: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत महापुराण में तीन श्लोक का वर्णन आता है। श्लोक, पुण्यश्लोक, उत्तमश्लोक। श्लोक तो हम आप सुनते ही हैं। श्रीमद्भागवत महापुराण में अठारह हजार श्लोक हैं। पुण्यश्लोक संत जन है।- पुण्यश्लोको नलो...

ईश्वर के स्मरण से जगत की बुराइयों का करना है विस्मरण: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, विपदो नैव विपदः सम्पदो नैव सम्पदः। विपद विस्मरणं विष्णो सम्पद नारायणस्मृतिः।। पूजा-पाठ, तीर्थयात्रा, सत्संग-कीर्तन से आनंद क्यों आता है। कथा-कीर्तन में जगत का विस्मरण होता है। जगत के विस्मरण में आनंद...

सत्संग, कथा, कीर्तन, भजन से छंट जाती हैं हमारी बुराइयां: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, एक ही शहर के, एक ही गली के, एक ही मकान में, मैं और वो दोनों रहते हैं। पर पता नहीं, क्यों न मिले हम? क्यों न मिला वो? तड़प...

सत्पुरुषों में जो आसक्ति है, वही है सत्संग: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, गोवर्धन पूजा- भगवान दो रूप में हो गये. एक रूप में भगवान बृजवासियों के साथ पूजन कर रहे हैं और दूसरे रूप में गिरिराज जी पर प्रकट होकर पूजन स्वीकार...

व्यक्ति का त्याग ही उसके सम्मान का होता है कारण: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्री कृष्ण के सखा सुदामा, बड़े त्यागी-तपस्वी थे। अपने नित्य धर्म में लगे रहते थे। वेद का पठन, पाठन, यही इनका परम धर्म था। भगवान की इच्छा से कोई वस्तु...
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