देश में जब भी त्रासदी आई तो उम्मीद की किरण बनकर सामने आए गौतम अडानी, मदद के लिए बढ़ाया हाथ

Upendrra Rai
Upendrra Rai
Chairman & Managing Director, Editor-in-Chief, The Printlines | Bharat Express News Network
Must Read
Upendrra Rai
Upendrra Rai
Chairman & Managing Director, Editor-in-Chief, The Printlines | Bharat Express News Network

दुर्भाग्य को भला कौन टाल पाया है. इससे अक्सर हमें दुखद आघात मिलता है. कमजोर और हाशिए पर रहने वालों को तो यह और दीन-हीन बना देता है. ओडिशा के बालासोर जिले में भयानक ट्रिपल-ट्रेन दुर्घटना के मामले में ऐसा ही हुआ, जिसने कई मासूम बच्चों से उनके माता-पिता का प्यार, सुरक्षा और सुविधाएं छीन लीं. इस दर्दनाक मंजर के बीच अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी के रूप में आशा की एक किरण उभरी है, जिसने इन बच्चों की स्कूली शिक्षा का संकल्प लेते हुए अपना कदम आगे बढ़ाया है. संक्षेप में कहें तो यह सक्रियता अडानी के परोपकारी दर्शन की एक अभिव्यक्ति जो करुणा, दायित्व और स्थिरता को आपस में बड़ी ही खूबसूरती से एक-दूसरे में पिरोती है.

गौतलब अडानी का परोपकार का दर्शन शिक्षा की परिवर्तनकारी विश्वास के साथ शुरू होती है. वह शिक्षा को गरीबी को कम करने और सामाजिक प्रगति को गति देने के लिए एक महत्वपूर्ण टूल के रूप में देखते हैं. पीड़ित और प्रभावित बच्चों की शिक्षा का जिम्मा लेकर अडानी ने युवा पीढ़ी को सशक्त बनाने की अपनी निष्ठा को मजबूत किया है. यह काम एक पुरानी चीनी कहावत को चरिथार्थ करता है, “एक आदमी को एक मछली दोगे तो वह सिर्फ एक दिन ही खा पाएगा. लेकिन, अगर उसे मछली पकड़ना सिखाते हो तो वह जीवन भर खाएगा.”

मोरबी ब्रिज हादसे से अनाथ हुए बच्चों की आर्थिक मदद

साल 2022 में गुजरात के भीतर मोरबी ब्रिज हादसा हुआ. इस त्रासदी में भी अडानी फाउंडेशन आगे आया और 5 करोड़ रुपये से उन 20 बच्चों के लिए शिक्षा और उनके रहने का इंतजाम किया, जिनके माता-पिता इस घोर त्रासदी के शिकार हो गए थे. घ्यान रहे कि इसमें एक बच्चा ऐसा भी था जो अभी मां के गर्भ में था.

मोरबी शरह में 1880 में बना एक केबल ब्रिज 30 अक्टूबर को गिर गया. इस दौरान ब्रिज पर सवार लोग मछ्छू नदी में गिर गए. हादसे में कुल 135 लोग मारे गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे. इस हादसे में 100 से ज्यादा लोग घायल भी हुए थे.

उस दौरान अडानी फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉक्टर प्रीति जी अडानी (Dr. Priti G Adani) ने कहा था, “हादसे के चलते सबसे गंभीर रूप से प्रभावित होने वालों में बच्चे हैं, जिनमें से अधिकांश को यह अभी सूचित करना है कि उनके माता, पिता या दोनों कभी भी घर नहीं लौटेंगे. इस भारी पीड़ा और दुख की घड़ी में कम से कम हम ये कर सकते हैं कि इन बच्चों को पालन-पोषण और शिक्षा सही ढंग से मुहैया करा सकें. यही वजह है कि हमने उनके लिए एक आर्थिक कोष बनाया है, जिससे इनका जीवन आगे सही ढंग से बढ़ सके.”

इसी तरह नवंबर 2022 में गौतम अडानी ने मनुश्री नाम की एक छोटी लड़की के इलाज में मदद की. यह लड़की लखनऊ के एक अस्पताल में अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रही थी.

अडानी का परोपकारी नजरिया रुपये-पैसे के दान से परे है. वास्तव में यह एक ऐसा दृष्टिकोण है जो सतत विकास को बढ़ावा देता है. यह रणनीति हाल की प्रतिबद्धता में स्वाभाविक रूप से साफ दिखाई देती है. मसलन, तत्काल राहत प्रदान करने के बजाय, अडानी ने इन बच्चों की लंबी अवधि की भलाई और विकास में निवेश करना चुना है. इस तरह से बच्चों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए तैयार किया जाएगा. कुल मिलाकर यह अडानी के इस विश्वास को दर्शाता है कि परोपकार का सार स्थायी परिवर्तन लाने की क्षमता में निहित है, इसलिए “विकासात्मक परोपकार” की अवधारणा के प्रति उनका झुकाव है.

अडानी का पूरे भारत में फ्री स्कूल वाली सुविधा

अधिक से अधिक बच्चों को कम पैसे में गुणवत्ता-प्रधान शिक्षा मुहैया करने की अडानी फाउंडेशन के दृढ़ संकल्प के परिणामस्वरूप पूरे भारत में मुफ्त और सब्सिडी वाले स्कूलों की स्थापना की गई है. कई स्मार्ट लर्निंग प्रोग्राम, साथ ही सरकारी स्कूलों को गोद लेने की योजनाओं को दूरस्थ स्थानों पर लागू किया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बच्चों का विकास उनके क्षमता के मुताबिक पूरा हो सके.

अडानी विद्या मंदिर

अडानी विद्या मंदिर पूरी तरह से मुफ्त उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा के साथ-साथ आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि के योग्य बच्चों को मुफ्त परिवहन, यूनिफॉर्म, किताबें और पौष्टिक भोजन मुहैया कराता है. अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा और सुविधाओं से लैस ये स्कूल फिलहाल गुजरात के अहमदाबाद और भद्रेश्वर के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के सरगुजा में चल रहे हैं.

अदानी फाउंडेशन निम्नलिखित स्कूलों के माध्यम से 3,300 से अधिक छात्रों को सब्सिडी वाली गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता है: जिनमें,

• अडानी पब्लिक स्कूल (मुंद्रा, गुजरात)
• अडानी विद्यालय (तिरोरा, महाराष्ट्र)
• अडानी विद्यालय (कवई, राजस्थान)
• नवचेतन विद्यालय (गुजरात)
• अडानी डीएवी पब्लिक स्कूल (धामरा, ओडिशा)
• नवयुग वर्ल्ड स्कूल (कृष्णापट्टनम, आंध्र प्रदेश)

अडानी पब्लिक स्कूल: गुजरात के मुंद्रा में स्थित यह स्कूल अंग्रेजी मीडियम है और CBSE से मान्यताप्राप्त है. यह कच्छ और सौराष्ट्र क्षेत्र का पहला स्कूल है, जिसे NABET की मान्यता हासिल है.

अडानी विद्यालय: यह स्कूल महाराष्ट्र के तिरोरा और राजस्थान के कवई में आस-पड़ोस में रहने वाले बच्चों को शिक्षा प्रदान करता है.

नवतेचन विद्यालय: यह स्कूल गुजरात के हजीरा में स्थित है. स्थानीय आबादी के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने में यह स्कूल काफी अहम किरदार अदा कर रहा है. यह बच्चों के मुफ्त खाने-पीने की व्यवस्था से लेकर यूनिफॉर्म, नोटबुक्स, वर्कबुक्स, टेक्स्टबुक और स्टेशनरी प्रदान करता है.

अडानी DAV पब्लिक स्कूल: ओडिशा के भद्रक जिले में यह स्कूल स्थित है और स्थानीय समुदाय के लोगों को शिक्षा प्रदान करता है. अंतरराष्ट्रीय स्तर का यह स्कूल डीएवी कॉलेज ट्रस्ट और अडानी फाउंडेशन के सहयोग से चलाया जा रहा है.

नवयुग वर्ल्ड स्कूल: आंध्र प्रदेश के कृष्णापट्टनम में स्थित यह अंग्रेजी मीडियम स्कूल सीबीएसई बोर्ड से जुड़ा है. यह विद्यालय विशेष रूप से स्पोर्ट्स और प्रोजेक्ट आधारित शिक्षा पर बल देता है.

जिम्मेदारियां

उत्तरदायित्व अडानी की फिलॉसफी की एक और मजबूत आधारशिला है. अडानी समूह की प्रतिबद्धता उसके कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी का स्पष्ट उदाहरण है. यह एक ऐसा सिद्धांत है, जो सालों से अडानी के व्यवसाय के केंद्र में रहा है. उन्होंने कई मर्तबा कहा है कि व्यवसाय खास तौर पर बड़े कॉरपोरेशनों को सामजिक चुनौतियों से लोहा लेना चाहिए. उनका वर्तमान में उठाया गया उनके उस सिद्धांत को दर्शाता है, जिसके मुताबिक बिजनेस का उद्देश्य लाभ कमाने के दायरे से आगे बढ़कर लोक-कल्याण के लिए काम करना है.

ज्ञानोदय

ज्ञानोदय एक अदानी फाउंडेशन द्वारा संचालित एक ऐसी पहल है जो झारखंड के गोड्डा जिले में ग्रामीण बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दिलाती है. गोड्डा जिला प्रशासन और एकोवेशन प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर यहां स्मार्ट कक्षाओं के जरिए एक अध्याधुनिक इंटरैक्टिव कोस प्रदान किया जा रहा है, जो उच्च शिक्षा की ओर आगे बढ़ रहा है.

सबसे बड़ी बात ये है कि ज्ञानोदय के चलते स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में कमी देखी गई है. छात्रों की स्कूलों में उपस्थिति की दर में बढ़ोतरी हुई है. यही नहीं परीक्षा में सकारात्मक रिजल्ट भी मिले हैं. 2018 में शुरू हुई यह योजना जिले के 276 स्कूलों में 70,000 बच्चों तक पहुँच चुकी है. 2019-20 कक्षा 10 बोर्ड परीक्षा में गोड्डा जिले का उत्तीर्ण प्रतिशत 75% तक पहुंच गया, जो 2018-19 में 66% और 2017-18 में 50% था. इसके अलावा, प्रोजेक्ट ने 2021-22 की तैयारी के लिए 330 स्कूलों के प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित किया है. राज्य सरकार ने इस जिले में बच्चों द्वारा प्राप्त सीखने के परिणामों के आधार पर ज्ञानोदय मॉडल को पूरे राज्य में लागू करने का निर्णय लिया है.

कोरोनोवायरस के चलते प्रतिबंधों के बावजूद, ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली ने लाखों युवाओं को घर बैठे विषय को समझने और सीखने में सक्षम बनाया है. इसके अलावा छात्रों के दरवाजे तक ‘ज्ञानोदय रथ’ एक अनोखी और कारगर पहल साबित हो रही है. अच्छी तरह से सुसज्जित वैन उन क्षेत्रों में छात्रों तक शिक्षा लेकर पहुंचती है, जहां पर नेटवर्क मौजूद नहीं है. इस वैन के जरिए डिजिटल एजुकेशन पहुंचाया जा रहा है.

COVID19 के दौरान, इस योजना ने 276 स्कूलों के 70,000 से ज्यादा बच्चों तक शिक्षा पहुंचाई. वहीं, दूरदर्शन झारखंड के माध्यम से 30 लाख बच्चों तक शिक्षा का प्रसार किया गया.

बालासोर जिले के बच्चों पर आई त्रासदी को एक सामूहिक विफलता के रूप में स्वीकार करते हुए, अडानी ने उन लोगों को आशा और सुरक्षा की भावना प्रदान की है, जिन्हें लग रहा है कि उनका जीवन उजड़ गया है. उनका एक्शन सहानुभूति, करुणा, धन और सफलता के साथ आने वाली जिम्मेदारियों के प्रति गहरी जागरूकता को दर्शाती है.

आखिर में गौतम अडानी का परोपकार शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी के महत्व, स्थायी हस्तक्षेपों की आवश्यकता और सकारात्मक बदलाव लाने की उनकी जिद दान के एक मात्र कार्य से आगे निकल जाता है. बालासोर ट्रेन दुर्घटना में अनाथ हुए बच्चों के लिए अडानी समूह की हालिया प्रतिज्ञा इस दर्शन का एक शानदार उदाहरण पेश करती है.

जबकि परोपकार इस तरह की भयावह घटना के कारण होने वाले दर्द और पीड़ा को मिटा नहीं सकता है, यह पीड़ितों को अपने जीवन के पुनर्निर्माण के लिए एक जीवन रेखा प्रदान कर सकता है. संवेदनशीलता और दयालुता के इस काम के जरिए गौतम अडानी न केवल भौतिक सहायता प्रदान करते हैं, बल्कि प्रभावित बच्चों के लिए उम्मीद का एक संदेश भी देते हैं. उनकी कोशिश निराशा के बीच यह आशा दे रही है कि मानवता अभी भी उज्ज्वल रूप में चमक सकती है.

Latest News

Pakistan: पाकिस्तान की राजधानी दुनिया का दूसरा सबसे खतरनाक शहर, जानिए किसका है पहला नंबर

Karachi: आतंकवादियों को पनाह देने को लेकर पाकिस्‍तान पहले से ही बदनाम है और ऐसे में ही फोर्ब्स एडवाइजर...

More Articles Like This