‘मत करो चैटजीपीटी पर विश्वास’, AI कंपनी के सीईओ का बड़ा बयान, कहा- जरूरत से ज्‍यादा भरोसा…

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Sam Altman AI Trust Issues: आज के समय में बढ़ती टेक्‍नोलॉजी एक ओर जहां लोगों के कामों को काफी आसान बना रही है, वहीं, सुरक्षा के मामले में उतना ही खतरा भी उत्‍पन्‍न कर रही है. ऐसे में ही ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने खुद अपने एक इंटरव्यू के दौरान चैटजीपीटी के उपयोगकर्ताओं को अहम चेतावनी दी है.

ऑल्‍टमैन ने कहा है कि कभी कभी लोग इस एआई चैटबॉट पर जरूरत से ज्यादा भरोसा कर बैठते हैं, लेकिन यह हमेशा सही नहीं होता. चैटजीपीटी कभी-कभी गलत या अधूरी जानकारी भी दे सकता है, जिससे गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

एआई की सीमाएं और भरोसे की समस्या

इस दौरान सैम ऑल्टमैन ने स्‍पष्‍ट रूप से कहा कि एआई तकनीक पर भरोसा करते समय सावधानी बरतना बेहद जरूरी है. “एआई परफेक्ट नहीं है, इसमें भी गलतियां हो सकती हैं, तथ्य गड़बड़ा सकते हैं और यह मनगढ़ंत बातें भी बना सकता है.” ओपनएआई का यह बयान एक गंभीर चुनौती की तरफ इशारा करता है कि यूजर्स को चैटजीपीटी की बातों को बिना जांचे-परखे सच मान लेना उचित नहीं है.

चैटजीपीटी में नई अपडेट और प्राइवेसी की चिंता

इंटरव्‍यू के दौरान सैम ऑल्टमैन ने बताया कि हाल ही में चैटजीपीटी में मेमोरी सर्विस जैसी नई सुविधाएं जोड़ी गई हैं, जो यूजर्स की प्राथमिकताओं को याद रखती हैं और उनके अनुभव को बेहतर बनाती हैं. लेकिन इस दौरान उन्‍होंने ये भी कहा कि इस नई सुविधा के साथ प्राइवेसी की चिंताएं भी उत्पन्न होती हैं. ओपनएआई के लिए यूजर्स के साथ पूरी ईमानदारी से अपनी ताकत और कमजोरियों को साझा करना बेहद जरूरी है.

कानूनी जटिलताएं और कॉपीराइट विवाद

ओपनएआई के सामने आ रही कानूनी चुनौतियों पर भी सैम ऑल्टमैन ने कहा कि द न्यू यॉर्क टाइम्स जैसे बड़े मीडिया हाउस कंपनी के खिलाफ केस कर रहे हैं, जिनका आरोप है कि ओपनएआई ने उनके कंटेंट का बिना अनुमति के इस्तेमाल किया. हालांकि ऑल्टमैन ने इस विवाद को गंभीरता से लेते हुए टेक्नोलॉजी की सीमाओं को स्वीकार किया.

नई तरह के डिवाइसेज की जरूरत

इसके साथ ही उन्‍होंने ये भी माना कि आज के कंप्यूटर आधुनिक एआई की दुनिया के लिए पूरी तरह से अनुकूल नहीं हैं. इस दौरान उन्‍होंने संकेत दिया कि आने वाले समय में एआई के बेहतर उपयोग के लिए नई तरह के डिवाइसेज की जरूरत महसूस होगी, जो इस तकनीक की पूरी क्षमता को समझ सकें और उसे बेहतर ढंग से इस्तेमाल कर सकें.

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