Air India Plane Crash: भारतीय विमानन के इतिहास का वो काला अध्याय, जब अरब सागर में समा गई थी 213 जिंदगियां

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Air India Plane Crash: गुजरात में अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल हवाई अड्डे से लंदन जाने वाला एयर इंडिया का विमान AI 171 उड़ान भरने के कुछ देर बाद ही हादसे का शिकार हो गई. हादसे के दौरान इस विमान में 169 भारतीय नागरिक, 53 ब्रिटिश नागरिक, 1 कनाडाई नागरिक और 7 पुर्तगाली नागरिक सवार थें, जिनमें 2 पायलट और 10 केबिन क्रू मेंबर्स शामिल थे. वहीं, विमान की कमान कैप्टन सुमीत सभरवाल के पास थी और उसके साथ फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर थे.

क्‍या हुआ था 1 जनवरी 1978 की शाम?

बता दें कि कुछ ऐसा ही 1 जनवरी 1978 की शाम हुआ था. नए के शुरुआत पर मुंबई का सांता क्रूज़ एयरपोर्ट रोज़ की तरह व्यस्त था. इस दौरान एयर इंडिया की फ्लाइट 855 दुबई के लिए रवाना हुई. उस वक्‍त विमान में 190 यात्री और 23 क्रू सदस्य सवार थे. नए साल के पहले दिन उड़ान भरते ही यात्रियों की आंखों में नई उम्मीदें और सपने थे, लेकिन किसी को क्या पता था कि यह उड़ान उनकी ज़िंदगी की आख़िरी होगी.

दरअसल, उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों के अंदर ही विमान समुद्र के ऊपर था जब अचानक पायलटों को नेविगेशन उपकरण में कुछ गड़बड़ी महसूस हुई. हालांकि शुरुआती जांचों में बताया गया कि कृत्रिम क्षितिज संकेतक (Artificial Horizon) की खराबी ने पायलटों को भ्रमित किया, जिससे उन्होंने विमान को झुकाव में नियंत्रित करने में चूक की. लेकिन कुछ ही पलों में विमान ने नियंत्रण खो दिया और अरब सागर में जा गिरा. इस भयंकर दुर्घटना में विमान में सवार सभी 213 लोग मारे गए. पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई.

भारतीय विमानन के इतिहास का काला अध्याय

यह हादसा भारतीय विमानन के इतिहास में एक काला अध्याय बन गया. वहीं, सरकारी जांचों ने तकनीकी गड़बड़ी, मानव भूल और पर्याप्त बैकअप सिस्टम की कमी को इस त्रासदी के लिए ज़िम्मेदार ठहराया. हालांकि इस हादसे के बाद भारत में एविएशन सुरक्षा मानकों को सुदृढ़ करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए.

अनुभवी पायलट्स और इंजीनियर्स के हाथों में थी विमान की कमान

बता दें कि 1 जनवरी 1978 की रात दुबई जाने के लिए तैयार बोइंग 747-237B विमान का नाम था ‘Emperor Ashoka’, जो 1971 में एयर इंडिया के बेड़े में शामिल हुआ था. हादसे के दौरानकॉकपिट में थे तीन अत्यंत अनुभवी एविएटर कप्तान मदन लाल कुकार, जिनके पास 18,000 घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव था, अधिकारी इंदू वीरमानी जिनके पास 4,500 घंटों की उड़ान का अनुभव और फ्लाइट इंजीनियर अल्फ्रेडो फारिया, जो 11,000 घंटों की उड़ान का अनुभव रखते थे. लेकिन उडान भरने के महज 101 सेकंड बाद, सब कुछ बदल गया, हंसते मुस्‍कुराते चेहरे हमेशा के लिए शांत हो गए.

अरब सागर के ऊपर अनियंत्रित हुआ था विमान

हादसे के दौरान विमान अरब सागर के ऊपर था, अंधेरे और समुद्री क्षितिज के बीच था, तभी पायलटों को नेविगेशन उपकरणों में असामान्यता का अहसास हुआ. मुख्य कृत्रिम क्षितिज संकेतक (attitude indicator) में तकनीकी खराबी आ गई थी, जिससे पायलटों को विमान की स्थिति का सही अनुमान नहीं हो सका. उन्होंने महसूस किया कि विमान दाईं ओर झुक रहा है, जबकि वास्तव में वह बाईं ओर गिर रहा था.

इस दौरान कॉकपिट में भ्रम की स्थिति थी. हालांकि कप्तान ने विमान पर नियंत्रण पाने की काफी कोशिश की लेकिन ‘Attitude Director Indicator’ (ADI) द्वारा सही जानकारी न मिल पाने की वजह से सबकुछ हाथ से निकल गया. कुछ ही क्षणों में, विशाल विमान संतुलन खो बैठा और समुद्र की ओर गिरने लगा. और चंद सेकंड के भीतर, ‘Emperor Ashoka’ अरब सागर में समा गया, और उसके साथ ही विमान में सवार सभी 213 लोगों की सांसे भी सागर में डूब गई.

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