रुस के दावे को अमेरिका ने बताया गलत, भारत के लोकसभा चुनाव में हस्तक्षेप के आरोपों को किया खारिज

Abhinav Tripathi
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Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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International News: भारत में हो रहे लोकसभा चुनाव को लेकर रूस ने एक बड़ा बयान देते हुए अमेरिका पर आरोप लगाया था. रूस ने अमेरिका पर आरोप लगाते हुए कहा था कि भारत में हो रहे लोकसभा चुनावों में अमेरिका हस्तक्षेप कर रहा है. हालांकि, रूस के इन आरोपों को अमेरिका ने गुरुवार को खारिज कर दिया. इस संबंध में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने प्रेस वार्ता में कहा कि कतई नहीं. हम न ही भारत में जारी चुनावों में शामिल हैं और न ही दुनिया में कहीं भी होने वाले चुनाव में. भारत की जनता निर्णय करेगी.

रूस ने लगाया था आरोप

दरअसल, विगत बुधवार को रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने अमेरिका पर एक बड़ा आरोप लगाया था. रुस द्वारा कहा गया था कि अमेरिका भारत के घरेलू मामलों और मौजूदा चुनावों में हस्तक्षेप कर रहा है. रूस द्वारा लगाए इसी आरोप को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर से एक सवाल किया गया था.

कहां से शुरु हुआ मामला

आपको बता दें कि हाल ही में अमेरिका के समाचार पत्र ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ में प्रकाशित एक लेख में आरोप लगाए गए थे कि ‘रिसर्च एंड एनालिसिस विंग’ के एक अधिकारी अमेरिकी धरती पर खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की कथित हत्या की योजना बनाने में शामिल थे. अमेरिका में छपे इस लेख को लेकर ही रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अमेरिका नई दिल्ली के खिलाफ नियमित रूप से निराधार आरोप लगाता रहता है.

उन्होंने आगे कहा कि हम देखते हैं कि वे न केवल भारत बल्कि कई अन्य देशों पर भी धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने के आधारहीन आरोप लगाते हैं जो दर्शाता है कि अमेरिका भारत की राष्ट्रीय सोच को नहीं समझता, उसे भारत के विकास के ऐतिहासिक संदर्भ की समझ नहीं है और वह एक देश के रूप में भारत का सम्मान नहीं करता. इसके बाद अमेरिका का जवाब सामने आया है.

जानिए क्या था रूस का आरोप

ज्ञात हो कि रूसी विदेश प्रवक्त ने कहा था कि अमेरिका की मानसिकता औपनिवेशिक काल जैसी है. उन्होंने कहा था कि वे (अमेरिका) आम संसदीय चुनावों को जटिल बनाने के लिए भारत की आंतरिक राजनीतिक स्थिति को असंतुलित करने का प्रयास कर रहे हैं. यह भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का तरीका है. घरेलू और अंतरराष्ट्रीय, दोनों मामलों में वाशिंगटन से अधिक दमनकारी शासन की कल्पना करना कठिन है.

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