चीन का ‘रहस्यमई ड्रैगन’ दुनिया के लिए ओपन चैलेंज, अमेरिका के इस जेट से भी एडवांस

China GJ-11 Drone : वर्तमान में चीन ने अपने नए और अत्याधुनिक स्टील्थ ड्रोन GJ-11 का ताजा वीडियो जारी कर ग्लोबल लेवल पर हलचल मचा दी है. प्राप्‍त जानकारी के अनुसार यह वीडियो चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) की तरफ से साझा किया गया है, जिसमें यह चीन के J-20 स्टील्थ फाइटर और J-16D इलेक्ट्रॉनिक अटैक जेट के साथ उड़ता नजर आ रहा है. ऐसे में रक्षा विशेषज्ञ इसे चीन की नई सैन्य नीति का गेम-चेंजर कदम मान रहे हैं.

जानकारी देते हुए बता दें कि चीन के GJ-11 को रहस्यमई ड्रैगन या फैंटेसी ड्रैगन कहा जाता है. इसके साथ ही यह दुश्मन के इलाके में घुसकर गुप्त मिशन चलाने के साथ जासूसी करने और सटीक हमले करने में सक्षम है. चीन के इस ड्रोन की उड़ान से यह साबित होता है कि चीन अब पारंपरिक लड़ाकू विमानों से आगे बढ़कर मानवरहित स्टील्थ स्क्वाड्रन बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है.

अमेरिका के F-35 जेट भी एडवांस चीन का GJ-11

बता दें कि GJ-11 का आकार चमगादड़ जैसा है. उन्‍होंने बताया कि इसके निर्माण में रडार से बचने की तकनीक, हाई-स्पीड उड़ान और लॉन्ग-रेंज अटैक सिस्टम शामिल हैं. इस मामले को लेकर रक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि इस ड्रोन की क्षमता अमेरिका के F-35 जेट से भी अधिक एडवांस है. ऐसे में अगर इसकी खासियत की बात करें तो यह न केवल हमले कर सकता है बल्कि इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में भी बड़ी भूमिका निभा सकता है.

चीन की नई सैन्य रणनीति

इसके साथ ही चीन की नई सैन्य रणनीति के तहत J-20 फाइटर जेट और GJ-11 ड्रोन मिलकर मिशन पर काम करेंगे. इतना ही नही बल्कि J-20 का दो सीटों वाला वर्जन इन ड्रोन को रिमोटली कंट्रोल करेगा और साथ ही इंसान और मशीन के बीच तालमेल बनाएगा.

चीन के एयरबेस पर देखे गए तीन GJ-11 ड्रोन

अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट का कहना है कि चीन के तिब्बत क्षेत्र में स्थित शिगात्से एयरबेस पर चीन द्वारा बनाए गए तीन GJ-11 ड्रोन देखे गए हैं. जानकारी देते हुए बता दें कि चीन का यह बेस भारत-चीन सीमा से कुछ ही दूरी पर है. ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि चीन इन ड्रोन का उपयोग सीमावर्ती निगरानी और हवाई अभियानों की तैयारी के लिए कर रहा है. माना जा रहा है कि यह भारत के लिए भी एक नया खतरा बन सकता है.

2019 में पेश किया गया GJ-11 मॉडल

प्राप्‍त जानकारी के मुताबिक, GJ-11 का पहला प्रोटोटाइप वर्ष 2013 में बनाया गया था. इसके साथ ही छह साल बाद 2019 की बीजिंग सैन्य परेड में इसका अत्याधुनिक मॉडल पेश किया गया. बता दें कि नए वर्जन में ऐसा रियर डिजाइन और एग्जॉस्ट सिस्टम है. क्‍योंकि यह रडार सिग्नल को पूरी तरह छिपा देता है, जिसकी वजह से यह ड्रोन दुश्मन की निगाहों से लगभग अदृश्य हो जाता है.

अमेरिका की प्रतिक्रिया

ये भी बता दें कि अमेरिका अपने नेक्स्ट-जेनरेशन स्टील्थ ड्रोन प्रोजेक्ट्स को गुप्त रखता है, इस मामले को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि GJ-11 की क्षमताओं ने अमेरिकी रक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है. क्‍योंकि अमेरिका भी अब समान श्रेणी के हाई-टेक UCAV सिस्टम पर काम तेज कर रहा है. इसका मुख्‍य कारण है कि भविष्य के हवाई युद्ध में संतुलन बनाए रखा जा सके.

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