डोनाल्‍ड ट्रंप के उम्‍मीदों पर फिरा पानी, मारिया कोरिना को मिला इस बार का ‘नोबेल पीस प्राइज’

Aarti Kushwaha
Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Aarti Kushwaha
Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Nobel Peace Prize 2025: दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित और चर्चित नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान होते ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का सपना चकनाचूर हो गया. क्‍योंकि जिस ‘नोबेल पीस प्राइज’ की वो आस लगाए बैइे थें वो अब मारिया कोरिना मचादो को मिला है.

नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान शुक्रवार को नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में किया गया है. नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी हर साल इस पुरस्कार के लिए ऐसे लोगों या संस्थाओं को चुनती है, जो शांति को बढ़ावा देने, देशों के बीच भाईचारे को मजबूत करने और समाज के लिए काम करने में योगदान देते हैं.

नोबेल प्राइज के लिए काफी बेचैन थे ट्रंप?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ‘नोबेल पीस प्राइज’ के लिए पिछले कई दिनों से काफी बेचैन नजर आ रहे थे. उन्होंने अपनी विदेश नीति की कुछ उपलब्धियों, जैसे शांति समझौतों को लेकर खुद की तारीफ की थी. हालांकि नोबेल विशेषज्ञों का पहले से ही कहना था कि उनके जीतने की संभावना बहुत कम है. जानकारों का मानना है कि कमेटी आमतौर पर उन लोगों या संगठनों को पुरस्कार देती है, जो लंबे समय से शांति के लिए काम कर रहे हों.

कौन हैं मारिया कोरिना मचाडो?

बता दें कि मारिया कोरिना मचाडो वेनेजुएला की प्रमुख विपक्षी नेता और औद्योगिक इंजीनियर हैं.  उन्होंने साल 2002 में वोट निगरानी समूह सूमाते की स्थापना की और वेंटे वेनेजुएला पार्टी की राष्ट्रीय समन्वयक हैं. इसके अलावा, 2011-2014 तक वे वेनेजुएला की नेशनल असेंबली की सदस्य रहीं.  इतना ही नहीं, वह साल 2018 में बीबीसी की 100 प्रभावशाली महिलाओं और 2025 में टाइम पत्रिका की 100 प्रभावशाली व्यक्तियों में शामिल हुईं. वहीं, 2023 में अयोग्यता के बावजूद, उन्होंने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी प्राथमिक चुनाव जीता, लेकिन बाद में उनकी जगह कोरिना योरिस को उम्मीदवार बना दिया गया.

इन नामों की हो रही थी चर्चा

इस बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कई नाम सामने आए थे. इस दौरान पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ओस्लो ने कुछ संभावित विजेताओं का जिक्र किया था, जिनमें शामिल थे:

  • सूडान की इमरजेंसी रिस्पॉन्स रूम्स: यह एक समुदाय आधारित नेटवर्क है, जो सूडान के गृहयुद्ध के दौरान मानवीय सहायता का मजबूत आधार बना हुआ है.
  • इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस और इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट: ये दोनों संस्थाएं वैश्विक न्याय और शांति के लिए काम करती हैं.
  • कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स: यह अमेरिका आधारित संगठन प्रेस की आजादी को बढ़ावा देता है और पत्रकारों की सुरक्षा के लिए काम करता है. बता दें कि यह संगठन उन पत्रकारों की सूची भी तैयार करता है, जो अपने काम के दौरान मारे गए.

क्यों खास है नोबेल शांति पुरस्कार?

नोबेल शांति पुरस्कार दुनिया के सबसे बड़े पुरस्कारों में से एक है. बाकी नोबेल पुरस्कार (जैसे चिकित्सा, भौतिकी, रसायन और साहित्य) स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में दिए जाते हैं, लेकिन शांति पुरस्कार का ऐलान और समारोह ओस्लो में होता है. बता दें कि इस हफ्ते स्टॉकहोम में चिकित्सा, भौतिकी, रसायन और साहित्य के पुरस्कारों का ऐलान हो चुका था जिसके बाद सबकी नजर शुक्रवार के ऐलान पर टिकी थीं. इसके अलावा, अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार सोमवार को घोषित किया जाएगा.

इसे भी पढें:-नोबेल के लिए बौखलाए ट्रंप, पूर्व राष्ट्रपति पर लगाए आरोप, बोले-बिना किसी वजह के मिला था उन्हे यह पुरस्कार!

Latest News

11 October 2025 Ka Panchang: शनिवार का पंचांग, जानिए शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय

11 October 2025 Ka Panchang: हिंदू धर्म में किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ और अशुभ मुहूर्त...

More Articles Like This