मंगल ग्रह पर बर्फ की खोज ने वैज्ञानिकों को किया हैरान, भविष्य के लिए अहम साबित होगी ये खोज

Divya Rai
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Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Water Frost On Mars: आज के दौर में वैज्ञानिकों के लिए कोई भी खोज असंभव नहीं है. एक बार फिर ऐसा ही कुछ देखने को मिला है. दरअसल, अभी तक जिस चीज को खुद वैज्ञानिक भी असंभव मान रहे थे, उन्होंने उसकी खोज की है. मंगल ग्रह पर इक्वेटर के पास पहली बार वाटर फ्रॉस्ट यानी बर्फ देखा गया है. बर्फ की खोज वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह पर पानी की मौजूदगी को लेकर अहम जानकारी दे सकती है. ये खोज भविष्य में मंगल मिशनों से संबंधित सबसे अहम खोज साबित हो सकती है.

दो स्पेसक्राफ्ट्स ने देखा है वाटर फ्रॉस्ट

जानकारी के मुताबिक, यूरोपियन स्पेस एजेंसी के 2 स्पेसक्राफ्ट्स ने मंगल ग्रह पर बर्फ को देखा है. साल 2016 में वाटर फ्रॉस्ट की खोज मंगल पर पहुंचे ExoMars Trace Gas Orbiter ने की थी. इसके बाद मार्स एक्सप्रेस मिशन ने भी बर्फ को देखा. बता दें कि ये साल 2003 से ही लाल मार्स यानी मंगल की परिक्रमा कर रहा है. इस फ्रॉस्ट की खोज स्विट्जरलैंड की बर्न यूनिवर्सिटी के पीएचडी स्कॉलर एडम वैलेन्टिनास ने की थी. अब एडम वैलेन्टिनास ब्राउन यूनिवर्सिटी में पोस्टडॉक्टोरल रिसर्चर हैं. एडम और उनकी टीम के रिसर्च के नतीजे कल यानी 10 जून को Nature Geoscience जर्नल में छपे हैं.

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धूप में वाष्पित हो जाते हैं वाटर फ्रॉस्ट

ये बर्फ मंगल के सबसे बड़े ज्वालामुखी क्षेत्र थर्सिस मोंटेस क्षेत्र में मिली है. यहां 12 सबसे बड़ी ज्वालामुखी हैं, जिसमें ओलम्पस मोन्स (Olympus Mons) का भी नाम शामिल है. बता दें कि ओलम्पस मोन्स पूरे सौरमंडल की सबसे बड़ी चोटी (25 किमी) है और ये 6 किमी ऊंचे स्कार्प से घिरी हुई है. वाटर फ्रॉस्ट कुछ समय के लिए ही दिखाई देते हैं. धूप आते ही ये धब्बे वेपर बन जाते हैं. ये बर्फ इंसान के बाल जितने पतले होते हैं. इसके बावजूद भी ये काफी बड़े इलाके में फैल हैं, जिसमें 11 करोड़ लीटर से ज्यादा पानी हो सकता है.

Frost on the caldera floor of the Ceraunius Tholus volcano. The frames show (A) a view of Ceraunius Tholus from NASA’s Mars Reconnaissance Orbiter’s Context Camera, with early morning observations made by CaSSIS overlaid within the blue-toned rectangle. This rectangle is shown close-up in frame (B). The white rectangle marking out an even more zoomed-in image is shown in frame (C). It shows ubiquitous frost on the caldera floor, but none on the caldera rim. (D) shows a CaSSIS image of the same region acquired at a different time of day, when there is no frost present. The frosty regions appear blue due to the way in which CaSSIS constructs its images, using both near-infrared and visible channels. It is a so-called ‘NPB’ image, for which the instrument's near-infrared (N), panchromatic (P) and blue (B) filters are combined.

वैज्ञानिक भी इसे मान रहे थे असंभव

एडम वैलेन्टिनास ने बताया कि, ‘हमने सोचा था कि मंगल की भूमध्य रेखा के आसपास पाला पड़ना असंभव है, क्योंकि धूप और पतले वायुमंडल के मिश्रण से सतह और पहाड़ की चोटी दोनों पर तापमान अपेक्षाकृत अधिक रहता है. यह पृथ्वी से उलट है जहां आप पाले से ढकी चोटियों की अपेक्षा कर सकते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘यहां इसकी मौजूदगी रोमांचक है और यह संकेत देता है कि यहां असाधारण प्रक्रियाएं चल रही हैं, जो बर्फ के बनने में सहायक हैं.’

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