6G Sensor Technology: मोबाइल नेटवर्क करेगा सेंसर का काम, खतरे से पहले बजेगी घंटी

6G Sensor Technology: दुनिया में अभी 5G ने सही तरीके से कदम जमाया ही नहीं था कि 6G ने भी दस्‍तक दे दी. बता दें कि टेलीकॉम कंपनियों ने 6जी सेंसर टेक्नोलॉजी विकसित किया है. इस टेक्‍नोलॉजी के माध्‍यम से आप आने वाले खतरे को पहले ही जान सकते है.

उदाहरण के तौर पर आप अपनी गाड़ी से पहाड़ या जंगल के किसी घने रास्ते से गुजर रहे हैं और आगे की सड़क पर हाथी बैठा है या कोई जंगली जानवर सड़क पर आ गया है तो इसकी जानकारी आपको उस स्थान पर पहुंचने से पहले ही मिल जाएगी. इतना ही नहीं, किसी भी व्यक्ति से लेकर बस, ट्रक, कार तक के लोकेशन को भी आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा. वहीं, अपराधियों को भी पकड़ने में 6जी सेंसर टेक्नोलॉजी मदद करेगा.

Nokia और Ericsson ने प्रदर्शित की 6G सेंसर टेक्नोलॉजी

बता दें कि शुक्रवार को इंडिया मोबाइल कांग्रेस में नोकिया व इरिक्सन ने 6G Sensor Technology को प्रदर्शित किया. नोकिया की आरएंडडी निदेशक पोनी कृष्णामूर्ति ने बताया कि 6जी सेंसर टेक्नोलॉजी के अंतर्गत सभी नेटवर्क सेंसर का काम करेंगे. यह सेंसर पहले किसी भी व्यक्ति, जानवर या आइटम को सेंसर से महसूस करेगा और उसके बारे में सूचना देगा. 6G Sensor पियानो की तरह बजने का काम करेगा.

2030 तक हो सकेगा सार्वजनिक इस्तेमाल

पोनी कृष्णामूर्ति ने बताया कि 6G Sensor Technology  को विकसित कर लिया गया है. हालांकि इसका सार्वजनिक इस्तेमाल साल 2030 तक शुरू किया जा सकता है.

वहीं, 6जी सेंसर टेक्नोलॉजी की नुमाइश में इरिक्सन ने मोबाइल कांग्रेस में 6जी सेंसर वाले टी-शर्ट को दिखाया, जो सेंसर के माध्यम से सभी प्रकार के डाटा को कैप्चर करने का काम करता है. इसमें लगाए जाने वाले सेंसर घाव पर चिपकाए जाने वाले बैंडेड की तरह  दिखाई देता है.

इन कामों की करेगा निगरानी

आपको बता दें कि इस सेंसर का उपयोग कई रूप में किया जा सकता है. सेंसर की मदद से अस्पतालों में एक साथ कई मरीजों की निगरानी रख सकते है. वहीं यदि सड़कों पर ट्रैफिक की मामले में बात करें तो इस टेक्‍नोलॉजी के जरिए कार या अन्य वाहन में लगाने से उस वाहन मालिक को सभी प्रकार के अलर्ट पहले ही भेजे जा सकेंगे.  

हालांकि, इन डि‍वाइस के सार्वजनिक उपयोग में अभी कुछ वक्त लगेगा. वहीं, एयरटेल ने तो इलेक्टि्रक वाहनों के लिए बैट्री मैनेजमेंट डि‍वाइस विकसित किया है, जिसकी मदद से बैट्री से होने वाले नुकसान से भी बचा जा सकेगा और बैट्री की लाइफ भी बढ़ेगी.

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