भारत-पाकिस्‍तान तनाव के बीच चीन ने चली बड़ी चाल! CPEC को लेकर लागू किया नया प्लान

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Pakistan-Taliban Meeting On CPEC: भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के बीच चीन ने अपना चाल चलना शुरू कर दिया है. वो अब रणनीतिक घेरेबंदी की नीति पर काम कर रहा है, जिसका स्पष्ट उदाहरण हाल ही में सामने आया. दरअसल, पाकिस्तान और चीन के विशेष दूतों ने अफगानिस्तान का दौरा किया है. इस दौरान उन्‍होंने तालिबान सरकार से BRI (Belt and Road Initiative) के तहत China-Pakistan Economic Corridor (CPEC) पर विस्तार पर बातचीत की.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के इशारों पर पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के लिए विशेष दूत मुहम्मद सादिक खान की नियुक्ति की. वहीं, हाल ही में किए गए इस दौरे के दौरान चीन के विशेष प्रतिनिधि यू शियाओयोंग के साथ अफगान नेताओं से मुलाकात की. साथ ही तालिबान के गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी और विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से सीधी बातचीत हुई.

तीनों देशों की बैठक में इन मुद्दों पर हुई चर्चा  

चीन और अफगानिस्‍तान के इस बैठक में BRI में अफगानिस्तान की भागीदारी, CPEC विस्तार, आर्थिक सहयोग और सुरक्षा साझेदारी जैसे अहम मुद्दों पर सहमति बनी. यह बैठक तीनों देशों के बीच पांचवें त्रिपक्षीय संवाद की कड़ी थी और इसका उद्देश्य आगामी छठे दौर की तैयारियों, व्यापार बढ़ाने और सुरक्षा तंत्र को मज़बूत करना था. बैठक में तालिबान के गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी ने कहा कि  क्षेत्रीय संबंधों को आगे बढ़ाना और आपसी सम्मान के साथ रचनात्मक सहयोग करना अफगानिस्तान की प्राथमिकता है.

अफगानिस्तान तक CPEC का विस्तार

बता दें कि CPEC पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है, जो भारत के लिए पहले से ही जियोपॉलिटिकल चुनौती रहा है. वहीं, अब ये चीनी परियोजना अफगानिस्तान तक विस्तार की ओर अग्रसर है. इस दौरान पाकिस्‍तान के दूत मुहम्मद सादिक ने पुष्टि की कि तीनों देश CPEC को अफगानिस्तान तक विस्तारित करने पर सहमत हुए हैं और अब इसके लिए वाणिज्यिक सहयोग और निवेश के नए अवसर तलाश रहे हैं.

CPEC का भारत पर क्‍या पड़ेगा प्रभाव?

दरअसल, जानकारों का मानना है कि CPEC का अफगानिस्तान तक विस्तार भारत को पश्चिमी सीमा पर और अधिक कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने की कोशिश है. तालिबान की चीन और पाकिस्तान के करीब जाती नीति भारत के साथ उसके ऐतिहासिक-सांस्कृतिक रिश्तों को कमजोर कर सकती है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे है कि CPEC जैसे प्रोजेक्ट्स आतंकी नेटवर्क के लिए आवरण भी बन सकते हैं. BRI को अफगानिस्तान में स्थापित करना चीन को मध्य एशिया के प्राकृतिक संसाधनों तक सीधा रास्ता देगा, जहां भारत की मौजूदगी सीमित है.

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