Taiwan: अमेरिका ने ताइवान के साथ यूक्रेन जैसा खेल खेला है. दरअसल, जिस तरह अमेरिका में राष्ट्रपति बनते ही डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के लिए यूक्रेन को अलग-थलग करने की कोशिश की. उसी तरह अब राष्ट्रपति ट्रंप चीन से रिश्ते सुधारने के प्रयास में ताइवान के साथ खेल कर रहे हैं. फाइनेंसियल टाइम्स के अनुसार, चीन से रिश्ते खराब न हो, इसके लिए अमेरिका ने बैक टू बैक दो झटका ताइवान को दिया है. अमेरिका के इस झटके से ताइवान बैकफुट पर है.
रक्षा मंत्री के साथ मीटिंग रद्द
- सूत्रों के हवाले सेफाइनेंसियल टाइम्स ने बताया कि जून 2025 के आखिर में ताइवान के रक्षा मंत्री और पेंटागन के उपसचिव के बीच एक बैठक प्रस्तावित थी, लेकिन मीटिंग होने से ठीक पहले इसे रद्द कर दिया गया. ताइवान को इसका वजह भी नहीं बताया गया. इस मीटिंग में चीन के आगामी हमले को लेकर रणनीति और हथियार पर बात होने वाली थी. बैठक रद्द होने के बाद ताइवान के रक्षा मंत्री चुपचाप अपने देश वापस लौट गए.
- ताइवान के राष्ट्रपति अगस्त 2025 के शुरुआत में अमेरिका सहित 3 देशों की यात्रा पर जाने वाले थे. ताइवान के राष्ट्रपति इस बैठक के माध्यम से रक्षा नीति को मजबूत करना चाह रहे थे, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति से उन्हें मिलने का समय नहीं मिला. आखिर में ताइवान के राष्ट्रपति ने अपना दौरा रद्द कर दिया है.
बिना गोली चलाए कब्जे का प्लान बना रहा चीन
चीन ताइवान पर बिना गोली चलाए ही कब्जा करने का प्लान बना रहा है. चीन 2027 तक ताइवान पर पूरी तरह से कब्ज़ा करने की कोशिश में है. टाइम्स मैगजीन के अनुसार, चीन की कोशिश ताइवान के लोगों में पश्चिम देशों के प्रति नफरत भरने की है. हालिया ताइवान पब्लिक ओपिनियन फाउंडेशन के एक सर्वे के अनुसार, 49 प्रतिशत ताइवान के लोग पश्चिमी देशों के मुकाबले चीन को बेहतर बता रहे हैं. 43 फीसदी लोगों ने चीन को खराब बताया है. यानी चीन को चाहने वाले लोगों की संख्या 6 अधिक ज्यादा है. चीन पहले भी कह चुका है कि वो ताइवान पर गोले नहीं बरसाएगा, क्योंकि वहां लोग उनके अपने हैं. चीन की असल दिक्कत जापान और फिलिपींस से है.
ये भी पढ़ें :- सीरिया की अंतरिम सरकार से भारत की पहली आधिकारिक मुलाकात, इन मुद्दों पर हुई चर्चा