Asim Munir : वर्तमान में पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की बढ़ती ताकत के बीच शहबाज शरीफ सरकार संविधान में बड़ा बदलाव करने जा रही है. ऐसे में सरकार ने इसकी पुष्टि की है कि वह जल्द ही 27वां संवैधानिक संशोधन संसद में पेश करेगी, इसके साथ ही इसमें सेना की कमान और नागरिक-सैन्य संबंधों से जुड़े अहम बदलाव बताए जा रहे हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार पाकिस्तान में पहले से ही सेना का नागरिक सरकारों पर प्रभाव रहा है. ऐसे में लोगों को आशंका है कि यह संशोधन सेना प्रमुख आसिम मुनीर की शक्तियों को और बढ़ा देगा और देश में नागरिक नियंत्रण कमजोर पड़ सकता है.
बिलावल भुट्टो के एक ट्वीट से हुई चर्चा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह अटकलें उस वक्त शुरू हुई जब पीपीपी प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी ने सोशल मीडिया पर ट्वीट किया कि सरकार ने उनसे 27वें संशोधन पर समर्थन मांगा है. जानकारी देते हुए बता दें कि उनके ट्वीट के बाद यह मुद्दा तेजी से राजनीतिक बहस में आ गया.
सरकार ने किया पुष्टि-“संशोधन जल्द होगा पेश”
इस मामले को लेकर उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने सीनेट में बोलते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार 27वां संशोधन ला रही है और इसे संविधान और नियमों के मुताबिक ही पेश किया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि संशोधन पर किसी तरह की जल्दबाजी या बिना प्रक्रिया के मतदान नहीं होगा.
पाकिस्तान की सैन्य-सिविल संरचना में बड़ा बदलाव
जानकारी के मुताबिक, सरकार संविधान के अनुच्छेद 243 में बदलाव का प्रस्ताव रख सकती है, जो सेना प्रमुख की नियुक्ति और कमान से जुड़ा है. इतना ही नही बल्कि पूर्व सांसद मुस्तफा नवाज खोल्खर ने दावा करते हुए कहा कि संशोधन में “कमांडर-इन-चीफ” की एक नई संवैधानिक पोस्ट बनाने की बात है और इससे पाकिस्तान की सैन्य-सिविल संरचना में बड़ा बदलाव आ सकता है.
सत्ता में बदलाव की तैयारी
कार्यकारी मजिस्ट्रेट बहाल: प्राप्त जानकारी के अनुसार संशोधन में कार्यकारी मजिस्ट्रेट की भूमिका को वापस लाने का सुझाव है, ताकि प्रशासनिक मामलों में तेजी लाई जा सके.
न्यायाधीशों के तबादले: बता दें कि जजों के ट्रांसफर से जुड़ी प्रक्रिया को भी नई व्यवस्था के तहत बदलने की बात कही जा रही है.
केंद्र को अधिकार देने की कोशिश: मीडिया रिपोर्ट का कहना है कि शिक्षा और जनसंख्या कल्याण मंत्रालय का नियंत्रण प्रांतों से वापस लेकर केंद्र को दिया जा सकता है और इससे प्रांतों की शक्तियां घट सकती हैं.
जानकारी देते हुए बता दें कि पीपीपी के वरिष्ठ नेता रजा रब्बानी ने इस प्रस्ताव को प्रांतों की स्वायत्तता के लिए बड़ा खतरा बताया है. उनका मानना है कि यह संशोधन 18वें संशोधन से हासिल हुए अधिकारों को कमजोर कर देगा.
संसद में समर्थन की स्थिति
बता दें कि नेशनल असेंबली में सरकार के पास दो-तिहाई बहुमत मौजूद है, क्योंकि 336 में से 233 सदस्य उसका समर्थन कर रहे हैं, लेकिन वर्तमान में सीनेट में स्थिति कठिन है, क्योंकि 96 में से सरकार के पास केवल 61 सदस्य हैं, ऐसे में उसे कम से कम तीन विपक्षी सदस्यों के वोट की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में हालातों को देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (फजल) इस संशोधन का समर्थन कर सकती है.
पीटीआई नेता हामिद खान ने कहा
इस मामले को लेकर पीटीआई नेता हामिद खान का कहना है कि उनकी पार्टी इस संशोधन को संविधान के लिए खतरनाक मानती है और वे इसे पूरी तरह रोकने की कोशिश करेंगे.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल
जानकारी देते हुए बता दें कि भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद जब आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाया गया, तब से उनकी अंतरराष्ट्रीय सक्रियता बढ़ गई है. इसके साथ ही वे कई विदेशी दौरों में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, और अमेरिका के साथ व्यापारिक वार्ताओं में उनकी भूमिका की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी प्रशंसा की है.
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