महासागर का कैसर! समुद्र में दिखी 8,850 KM लंबी भूरी लाइन, वैज्ञानिकों की बढ़ी टेंशन  

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Atlantic Ocean: हमारे ब्राह्माड लगातार परिवर्तन होते रहते है, जो कभी धरती पर रह रहे जीवों के लिए अच्छा होता है, तो वहीं, कभी कभी से बदलाव बहुत ही आश्चर्यचकित कर देते है. कुछ ऐसा ही इस वक्‍त समुद्र में हो रहा है, जिसे देखकर खुद वैज्ञानिक भी हैरान है. दरअसल समुद्र में पिछले 15 वर्षो से शैवालों की एक विशाल पट्टी विकसित हो रही है, जिसे अंतरिक्ष से अगर देखा जाए तो यह एक भूरे रंग के रिबन की तरह दिखाई देती है.

समुद्र में विकसित हो रही ये भूरे रंग की रिबन अफ्रीका के पश्चिमी तट को मेक्सिको की खाड़ी से जोड़ती है, जिसकी लंबाई 8,850 किलोमीटर तथा वजन 37.5 मिलियन टन है. बता दें कि शैवालों की इस पट्टी के फैलाव की घटना को ग्रेट अटलांटिक सरगासम बेल्ट (GASB) कहा जाता है. दरअसल, साल 2011 में पहली बार इसमें बढ़ोतरी देखी गई थी, उसके बाद से ये लगातार बढ़ रहा है और इसकी चौड़ाई भी काफी ज्यादा है.

कहां पाई जाती है ये पट्टी?

सार्गासम आम तौर पर सार्गासो सागर के अल्पपोषी या पोषक तत्वों से रहित, गर्म और खारे पानी में रहता है. हालांकि इसके पोषक तत्‍वों से प्रेरित तेजी से विकास के कारण, यह अब पोषक तत्वों से भरपूर पानी में पाया जाता है जिसमें नाइट्रोजन और फास्फोरस की मात्रा अधिक होती है और यह सीधे पोषक तत्वों से प्रेरित शैवाल के उछाल से जुड़ा हुआ है.

वैज्ञानिकों की परेशानी क्या है?

ऐसे में चिंता की बात ये है कि सार्गासम बेल्ट न सिर्फ वैज्ञानिकों के लिए परेशानी है बल्कि ये पर्यावरण और अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचाता है. ये समुद्र में मौजूद मछली, केकड़ा, झींगा, मकड़ियों, ईल, कछुओं जैसे जीवों और अन्य प्रजातियों के लिए एक विविध और जटिल पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करता है.

वहीं, इसका तेजी से विस्‍तार वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा रहा है, क्‍योंकि ये सूरज की रोशनी को मूंगा चट्टानों (कोरल रीफ्स) तक पहुंचने से रोकता है, जिससे उनकी फोटोसिंथेसिस प्रभावित होती है. वहीं, इसका सड़ना हाइड्रोजन सल्फाइड, मीथेन और अन्य ग्रीनहाउस गैसें छोड़ता है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है. यह कार्बन सिंक (जो कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं) को नष्ट कर सकता है.

आर्थिक प्रभाव क्या पड़ते हैं?

वैज्ञानिकों के मुताबिक, जब यह शैवाल तटों पर जमा होता है, तो यह तटीय क्षेत्रों को नुकसान पहुंचाता है और पर्यटन, मछली पकड़ने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है. वहीं, इसे साफ करने की प्रक्रिया महंगी और बुनियादी ढांचे के लिए हानिकारक है.

1991 में पड़ा था नकारात्मक प्रभाव

बता दें कि साल 1991 में, फ्लोरिडा तट पर सार्गासम के जमाव के कारण एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा था. जैसे-जैसे महासागर गर्म होंगे, ये बेल्ट के विकास के लिए एक श्रेष्ठ तापमान सीमा भी प्रदान करेंगे. ऐसे में वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ग्रेट अटलांटिक सार्गासम बेल्ट में बड़े पैमाने पर वृद्धि होगी. साथ ही जलवायु परिवर्तनशीलता, हवा और धाराओं में परिवर्तन के कारण सार्गासो सागर के सुदूर उत्तर में सार्गासम बेल्ट का विस्तार हो सकता है.

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