‘यह ऑस्ट्रेलियाई नेतृत्व की नरमी का परिणाम’, बॉन्डी बीच नरसंहार पर पूर्व IDF के प्रवक्ता ने दिए बयान

Must Read

New Delhi: ऑस्ट्रेलिया के बॉन्डी बीच पर हुए भयावह गोलीकांड के बाद देश से लेकर विदेशों में इस पर चर्चा शुरू हो गई है. पूर्व इज़राइली रक्षा बल (IDF) के प्रवक्ता जोनाथन कॉनरिकस का कहना है कि यह वर्षों से चले आ रहे ग्लोबलाइज द इंतिफादा जैसे नारों, यहूदी-विरोधी प्रदर्शनों और ऑस्ट्रेलियाई नेतृत्व की कथित नरमी का परिणाम है. उन्होंने आरोप लगाया कि 7 अक्टूबर के बाद सिडनी में यहूदियों के खिलाफ आपत्तिजनक नारे लगे, आराधनालयों पर हमले हुए लेकिन किसी भी आरोपी को सज़ा नहीं मिली.

आखिर इस हिंसा की पृष्ठभूमि क्या थी?

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस तेज हो गई है. विशेषज्ञों का कहना है कि आखिर इस हिंसा की पृष्ठभूमि क्या थी? इस मुद्दे पर कॉनरिकस और अमेरिकी पत्रकार माइकल ट्रेसी के बीच हुई चर्चा ने अलग-अलग दृष्टिकोण सामने रखे हैं. इसी पर कॉनरिकस ने अपनी बात रखी. कॉनरिकस ने यह भी कहा कि वह इस हमले से हैरान नहीं थे.

अमेरिका जैसे देशों में फिलिस्तीन को मान्यता नहीं दी

कॉनरिकस के अनुसार इससे यहूदी समुदाय ने खुद को राजनीतिक रूप से उपेक्षित और सुरक्षा के लिहाज से असुरक्षित महसूस किया. वहीं पत्रकार माइकल ट्रेसी ने इस तर्क को चुनौती दी. उन्होंने सवाल उठाया कि यदि फिलिस्तीन को मान्यता देना ही हिंसा की वजह है तो अमेरिका जैसे देशों में जहां फिलिस्तीन को मान्यता नहीं दी गई यहूदी-विरोधी घटनाएं क्यों हो रही हैं?

नफरत और ध्रुवीकरण को बढ़ाया

ट्रेसी के अनुसार गाज़ा युद्ध की भयावह तस्वीरों और वैश्विक आक्रोश ने दुनिया भर में नफरत और ध्रुवीकरण को बढ़ाया है. ट्रेसी ने यह भी कहा कि भड़काऊ नारे कई देशों में अभिव्यक्ति की आज़ादी के दायरे में आते हैं. भले ही वे नैतिक रूप से निंदनीय हों. उनका तर्क था कि अत्यधिक सख्ती से नागरिक स्वतंत्रताओं को नुकसान पहुंच सकता है.

सख्त कार्रवाई के बिना हिंसा बढ़ सकती है

दोनों पक्ष इस बात पर सहमत दिखे कि सोशल मीडिया, दुष्प्रचार और झूठी खबरों ने हालात को और गंभीर बनाया है. जहां कॉनरिकस को डर है कि सख्त कार्रवाई के बिना हिंसा बढ़ सकती है. वहीं ट्रेसी चेतावनी देते हैं कि अति-प्रतिक्रिया लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर सकती है.

घटना केवल एक आतंकी हमला नहीं

विशेषज्ञों का मानना है कि बॉन्डी बीच की घटना केवल एक आतंकी हमला नहीं बल्कि यह संकेत है कि विदेश नीति, युद्ध और घरेलू सामाजिक तनाव किस तरह एक-दूसरे से जुड़ते जा रहे हैं. यह बहस अब ऑस्ट्रेलिया तक सीमित नहीं रहीए बल्कि वैश्विक नेतृत्व के लिए एक चेतावनी बन गई है.

इसे भी पढ़ें. जनता दर्शन: CM योगी ने सुनीं लोगों की समस्याएं, समाधान का भरोसा दिलाया

Latest News

क्रिसमस के लिए इन रंगों को माना जाता है पारंपरिक रंग, जानें प्रतीक और महत्व

Christmas 2025 Colors : क्रिसमस का पर्व ईसाई समुदाय के लोग बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं. बता दें...

More Articles Like This