बांग्लादेश में बड़ा सियासी खेल? शेख हसीना के बयान से पूरा दक्षिण एशिया चौंका

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Bangladesh Politics: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना एक नए राजनीतिक तेवर के साथ सामने आई हैं, इस दौरान उन्‍होंने अपने एक इंटरव्‍यू में कुछ ऐसा बयान दिया, जो न सिर्फ ढाका की राजनीति, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया को चौंका रहे हैं. दरअसल, अगस्त 2024 में सत्ता से हटने के बाद हसीना लगातार अमेरिका और पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराती रही थीं, लेकिन हालिया बयान में उन्‍होंने कहा है कि अब वो किसी एक देश को दोषी नहीं मानती.

शेख हसीना के अनुसार, उन्हें गलत सूचनाएं देकर राजनीतिक हालात बिगाड़े गए और इस पूरी कहानी में मोहम्मद यूनुस की भूमिका ज्यादा अहम रही. हसीना का यह बयान उनके पुराने बयानों से बिल्कुल उलटा है. क्‍योंकि उन्‍होंने तख्‍तापलट के दौरान दावा किया था कि उनकी सरकार अमेरिकी दखल के कारण गिरी.

मोहम्मद यूनुस पर आरोपों से नरम हुईं हसीना

कभी यूनुस को अमेरिका का हथियार बताने वाली हसीना ने हालिया बयान में कहा है कि यूनुस को केवल अमेरिका ही नहीं, बल्कि पश्चिमी देशों का एक बड़ा नेटवर्क समर्थन देता है. साथ ही उन्‍होंने ये भी कहा है कि उन्हें अमेरिका से कोई व्यक्तिगत शिकायत नहीं है. उनका यह रुख संकेत देता है कि वे वाशिंगटन से रिश्ते सुधारने की तैयारी में हैं.

पाकिस्तान को लेकर भी बदली भाषा

बता दें कि हसीना ने तख्तापलट के बाद पाकिस्तान के खिलाफ बेहद कड़े बयान दिए थे, लेकिन अब वे बहुत सीमित टिप्पणी कर रही हैं. उनका कहना है कि ढाका-इस्लामाबाद के बीच राजनयिक संबंधों में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. हसीना का ये यह नरम स्वर दक्षिण एशियाई भू-राजनीति के लिहाज से बड़ा संकेत माना जा रहा है.

सेंट मार्टिन द्वीप पर विवाद से पीछे हटने के संकेत

इसके अलावा, हसीना ने यह भी दावा किया था कि अमेरिका सेंट मार्टिन द्वीप पर अपना दबदबा बढ़ाना चाहता है. कई बार उन्होंने कहा था कि इस दबाव का विरोध करने के कारण ही उनकी सरकार को कमजोर किया गया, लेकिन अब उन्‍होंने इस मुद्दें पर पूरी तरह से चुप्‍पी साध ली है. ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि हसीना के इन बड़े बदलावों के पीछे गहरी रणनीति है.

राजनीतिक समीकरणों को साध रही शेख हसीना

दरअसल, बांग्लादेश में फरवरी 2026 में आम चुनाव होने हैं और हसीना धीरे-धीरे अपने राजनीतिक समीकरण नए सिरे से साध रही हैं. इसके अलावा उनके समर्थक मौजूदा सरकार और यूनुस के खिलाफ खुलकर विरोध कर रहे हैं, जिससे देश की सत्ता व्यवस्था पर दबाव बढ़ा है. दूसरी ओर, बीएनपी और जमात के रास्ते अलग होने से विपक्ष की स्थिति भी बिखरी हुई है, जिससे राजनीतिक तस्वीर और जटिल हो गई है.

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