Islamabad: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तीसरे दौर की वार्ता भी विफल हो गई है. जानकारी के मुताबिक तीन दौर की वार्ता में आतंकवाद से निपटने पर कोई समझौता नहीं हो सका, जिसके कारण दोनों देशों के बीच तनाव बरकरार है. सात नवंबर को इस्तांबुल में हुई तीसरे दौर की वार्ता अफगानिस्तान की धरती का आतंकवादियों द्वारा हमला करने के लिए इस्तेमाल करने संबंधी पाकिस्तान की मुख्य चिंता के समाधान पर किसी समझौते के बिना समाप्त हो गई.
पाकिस्तान द्विपक्षीय मतभेदों को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध
पाकिस्तान में विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी से द्विपक्षीय संबंधों की वर्तमान स्थिति के बारे में कहा कि वह संबंधों को वर्णित करने के लिए शब्दों का चयन करते समय बहुत सावधान रहेंगे. स्पष्ट रूप से वार्ता में एक गतिरोध है. उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान बातचीत के माध्यम से द्विपक्षीय मतभेदों को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है. पाकिस्तान की मुख्य सुरक्षा को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की धरती से उत्पन्न आतंकवाद नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों की जान ले रहा है.
शांति वार्ता की विफलता के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार
उधर, अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने सीमा पर कई दिनों की झड़पों के बाद हाल ही में हुई शांति वार्ता की विफलता के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है. साथ ही इस्लामाबाद की मांगों को अवास्तविक और अनुचित बताया. काबुल में एक सभा को संबोधित करते हुए मुत्ताकी ने पुष्टि की कि तुर्की में वार्ता के नवीनतम दौर के बिना किसी प्रगति के समाप्त होने के बाद अफगान प्रतिनिधिमंडल स्वदेश लौट आया है.
पाकिस्तान पर दोष दूसरे पर मढ़ने का आरोप
मुत्तकी ने पाकिस्तान पर अफ़ग़ानिस्तान की संप्रभुता का बार-बार उल्लंघन करने और अपनी आंतरिक सुरक्षा विफलताओं का दोष दूसरे पर मढ़ने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों में इस्लामाबाद द्वारा बार-बार उल्लंघन के कारण दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है. मुत्ताकी ने कहा कि अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र और संप्रभुता का उल्लंघन किया गया. अफगान नागरिकों, दुकानों और बाजारों पर बमबारी की गई.
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