चीनी वैज्ञानिकों का कारनामा, बनाया एक्सिडेंट रोकने वाला रनवे

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

China Foam Concrete: दुनियाभर में प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग और एक्सिडेंट के बीच चीन ने नया कारनामा कर दिया है. चीन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो इन हादसों को काफी हद तक टाल सकती है. चीन की चाइना बिल्डिंग मटीरियल्स एकेडमी (CBMA) और सिविल एविएशन साइंस एंड टेक्नोलॉजी एकेडमी ने मिलकर एक अनोखा मार्शमैलो कंक्रीट तैयार किया है. नाम से ही पता चलता है कि ये कंक्रीट आम कंक्रीट जैसा नहीं, बल्कि हल्का, नर्म और झटके को सोखने वाला है.

कैसा है ये मार्शमैलो कंक्रीट?

ये खास तरह का फोम-कंक्रीट है, जिसमें 80 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ हवा है यानी इसका घनत्व (डेंसिटी) बेहद कम है. महज 200 किलो प्रति घन मीटर. ये आम कंक्रीट के तुलना में 10 गुना हल्का है. लेकिन इसकी खासियत है कि जब कोई भारी चीज, जैसे 100 टन का प्लेन इससे टकराए, तो ये क्रश होकर बिना झटका लिए उसकी गति को धीरे-धीरे रोकता है.

बिना भारी नुकसान के होगी इमरजेंसी लैंडिंग

अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार, हर रनवे के बाद कम से कम 90 मीटर का सेफ्टी जोन जरूरी होता है. अब तक इसमें मिट्टी, घास या पानी जैसे प्राकृतिक उपाय किए जाते थे. लेकिन इनके भी खतरे हैं. जैसे पानी जम जाता है, जानवर आ जाते हैं, मिट्टी मौसम के हिसाब से कमजोर हो जाती है. अब चीन ने इस ‘मार्शमैलो कंक्रीट’ को रनवे के आखिरी हिस्से पर लगाना शुरू कर दिया है ताकि यदि प्लेन लैंडिंग में फिसल भी जाए, तो वो धीरे-धीरे रुक सके. बिना आग, धमाके या भारी नुकसान के.

कैसे तैयार होता है ये हल्का और मजबूत कंक्रीट?

इस कंक्रीट की ताकत अधिक नहीं बल्कि बेहद संतुलित होती है. आमतौर पर कंक्रीट जितना मजबूत हो उतना अच्छा माना जाता है, लेकिन यहां इसका उल्टा है- ताकत कम लेकिन नियंत्रित होनी चाहिए, ताकि टक्कर पर धीरे-धीरे टूटे. इस फोम कंक्रीट को तैयार करने के लिए वैज्ञानिकों ने इसे बबल्स यानी बुलबुलों से भर दिया. इन बुलबुलों को मजबूत करने के लिए रोसिन-बेस्ड एयर एजेंट का प्रयोग किया गया, जो बुलबुले की दीवार को कवच जैसा बनाता है.

छोटे एयरपोर्ट्स के लिए भी फायदेमंद

दुनियाभर में इस्तेमाल हो रहे विकल्प काफी महंगे हैं और कुछ तो वक्त के साथ पाउडर में बदल जाते हैं. लेकिन चीन की ये टेक्निक सस्ती, टिकाऊ और आसानी से उपलब्ध सीमेंट से बनी है. यही वजह है कि छोटे और मझोले एयरपोर्ट्स के लिए भी ये सस्‍ता है. इस तकनीक को फिलहाल चीन के 14 एयरपोर्ट्स पर लगाया जा चुका है. तिब्बत के निंगची एयरपोर्ट से मिले डेटा के अनुसार, साल भर बाद भी इस कंक्रीट की ताकत में सिर्फ 3 प्रतिशत की कमी आई. जबकि 10 प्रतिशत तक गिरावट डिज़ाइन के हिसाब से स्वीकार्य मानी जाती है.

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