Firozabad : वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश पुलिस ने फ़िरोज़ाबाद की हज़रतपुर ऑर्डनेंस इक्विपमेंट फ़ैक्ट्री में “सुरक्षा उल्लंघन और की गई तोड़फोड़” की जाँच शुरू कर दी है. प्राप्त जानकारी के अनुसार यह मामला उस समय गंभीर हो गया जब यह खबर सामने आयी कि एक अमेरिकी एयरोस्पेस और डिफ़ेन्स कंपोनेंट निर्माता कंपनी का दक्षिण अफ़्रीकी कर्मचारी थॉमस फ़र्डिनेंड ऐडलम (60) बिना किसी आधिकारिक अनुमति के फैक्ट्री परिसर में प्रवेश कर गया था. जानकारी के मुताबिक हिम्मतलाल और विपिन कठियार पर आरोप है कि इन्होंने बिना अनुमति के विदेशी नागरिक को फैक्ट्री में प्रवेश दिलाया.
गगनयान अंतरिक्ष परियोजना में दे रही योगदान
जानकारी देते हुए बता दें कि यह फ़ैक्ट्री भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 विमान के लिए ब्रेक पैराशूट तकनीक पर काम करने के साथ गगनयान अंतरिक्ष परियोजना के कार्यक्रमों में भी योगदान दे रही है. इस दौरान यह सुरक्षा उल्लंघन के लिए गहरी चिंता का विषय है. ऐसे में मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ऐडलम 24 से 28 फ़रवरी तक भारत में टूरिस्ट वीज़ा पर मौजूद था. इसके साथ ही पूर्व नौसेना अधिकारी राघव शर्मा ने अदालत में शिकायत दर्ज कराई कि ऐडलम को दो वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत से अंदर लाया गया.
अनुमति न देने पर दबाव बनाने की कोशिश
बताया जा रहा है कि जब सुरक्षा अधिकारी शर्मा ने ऐडलम को अनुमति देने से मना करने के दौरान कुमावत ने उन पर दबाव बनाने की कोशिश की. बता दें कि दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि हिम्मतलाल कुमावत ने कथित रूप से राघव शर्मा पर उनके कार्यालय में हमला कर दिया. इसके साथ ही गार्ड और अनुबंध कर्मियों को बीच-बचाव करना पड़ा.
नियम के खिलाफ पूरी तरह प्रतिबंधित
मीडिया रिपोर्ट ने जानकारी दी कि यह घटना उस समय हुई जब फैक्ट्री से जुड़े चार्जमैन रविंद्र कुमार को एटीएस ने 14 मार्च को गिरफ्तार किया. बता दें कि इस पर आरोप है कि इसने अपने मोबाइल से संवेदनशील दस्तावेज़ पाकिस्तान की खुफ़िया एजेंसी आईएसआई से जुड़े एजेंट को भेजे. इसके साथ ही जांच के बाद यह भी पता चला कि इसने पहले भी कर्मचारियों को फ़ैक्ट्री परिसर में मोबाइल फ़ोन इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी, जबकि यह नियम के खिलाफ पूरी तरह प्रतिबंधित है.
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने कहा
प्राप्त जानकारी के अनुसार 8 अगस्त को फ़िरोज़ाबाद के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नरेश कुमार दिवाकर ने सुनवाई के दौरान बताया कि बिना किसी अनुमति के किसी विदेशी को रक्षा प्रतिष्ठान में प्रवेश दिलाना संज्ञेय अपराध है. इस दौरान इस मामले को लेकर अदालत ने तत्काल एफआईआर दर्ज कर 24 घंटे में रिपोर्ट माँगने का आदेश दिया. बता दें कि टुंडला थाने को यह आदेश 22 अगस्त को ही मिली, लेकिन उसने भी क़ानूनी कार्रवाई करने में देरी की.
अदालत के आदेश के बाद भी कार्रवाई में देरी
ऐसे में अदालत के आदेश देने के बाद पुलिस की कार्रवाई करने में देरी करना इस बात का संकेत देती है कि सुरक्षा मामलों को लेकर संवेदनशीलता की कमी है. अदालत का कहना है कि एक अमेरिकी डिफ़ेन्स कंपनी का कर्मचारी, दक्षिण अफ़्रीकी नागरिक, टूरिस्ट वीज़ा पर रक्षा प्रतिष्ठान में पहुँचना केवल व्यक्तिगत लापरवाही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय खुफ़िया गतिविधियों से जुड़े होने की संभावना को भी जगाता है. इस दौरान इस मामले को लेकर उनका कहना है कि अगर समय रहते सख़्त कार्रवाई नही की गई तो भारत की रक्षा परियोजनाएँ गंभीर ख़तरे में पड़ सकती हैं.
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