चीन–जापान में बढ़ी तनातनी, पीएम ताकाइची की टिप्पणी पर गहराया विवाद, बीजिंग ने जारी की चेतावनी

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

China-Japan Relations: पूर्वी एशिया में सामरिक तनाव ने एक नया मोड़ लिया है. चीन ने जापानी प्रधानमंत्री साने ताकाइची की हालिया टिप्पणी के बाद अपने नागरिकों को जापान की यात्रा से बचने की सलाह जारी कर दी है.  ताकाइची ने कहा था कि ताइवान पर किसी संभावित संघर्ष की स्थिति में जापान “सैनिकों की तैनाती पर विचार कर सकता है.” बीजिंग ने इस बयान को “उकसावे वाला” और “अत्यंत आपत्तिजनक” बताया है. इसके बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है, और क्षेत्र में नई अस्थिरता की आशंका बढ़ गई है.

 जापान की यात्रा योजना पर करें पुनर्विचार

चीनी विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि जापानी पीएम की यह टिप्पणी उचित नहीं है.  बीजिंग ने दावा किया कि यह बयान एशिया-प्रशांत क्षेत्र की शांति और स्थिरता को नुकसान पहुंचाता है. इसके बाद चीन ने अपने नागरिकों से कहा कि वे जापान की यात्रा योजना पर पुनर्विचार करें, भीड़भाड़ वाले स्थानों से बचें, और सुरक्षा को प्राथमिकता दें. यह सलाह ऐसे वक्त आई है जब दोनों देशों के बीच व्यापार, तकनीक, और समुद्री सुरक्षा को लेकर पहले से ही कई मतभेद मौजूद हैं.

क्‍या है पूरा मामला

दरअसल, 7 नवंबर को पीएम ताकाइची ने संसद में जो कहा उस पर ही क्रिया और प्रतिक्रिया का दौर जारी है. जापानी पीएम के बयान को लेकर ओसाका में चीनी महावाणिज्य दूत जू जियान ने एक “अनुचित” (और अब हटा दी गई) ऑनलाइन पोस्ट की थी. इसके बाद चीन के राजदूत को तलब किया गया था.

राजदूत को अवांछित घोषित करने का आह्वान

सोशल मीडिया पर अब हटाए जा चुके बयान में, जू ने “उस गंदी गर्दन को (काटने)” के बारे में पोस्ट किया था, जो स्पष्ट रूप से ताकाइची के संदर्भ में था. जापान की सत्तारूढ़ पार्टी ने तब से एक प्रस्ताव पारित कर राजदूत को अवांछित व्यक्ति घोषित करने का आह्वान किया.

वहीं, बीजिंग इस बात पर बल देता आया है कि ताइवान उसका हिस्सा है और उसने नियंत्रण हासिल करने के लिए बल प्रयोग से इनकार नहीं किया है. चीन और जापान प्रमुख व्यापारिक साझेदार हैं, लेकिन क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता और सैन्य खर्च को लेकर ऐतिहासिक अविश्वास और टकराव अक्सर इन संबंधों की परीक्षा लेते हैं. एक रूढ़िवादी और चीन समर्थक ताकाइची ने पिछले महीने पदभार ग्रहण करने के बाद से अपनी बयानबाजी में नरमी बरती है, लेकिन पिछले हफ्ते उनकी टिप्पणी ने दोनों देशों के बीच मतभेद पैदा कर दिए हैं.

अमेरिका और जापान के बीच संबंध मजबूत

जापान ने इस चेतावनी को “अनुचित और राजनीतिक रूप से प्रेरित” बताया है. टोक्यो का कहना है कि पीएम ताकाइची का बयान सिर्फ जापान की रक्षा रणनीति को समझाने के लिए था, जिसकी पृष्ठभूमि ताइवान स्ट्रेट में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियां हैं. जापान यह भी बार-बार कहता रहा है कि उसके लिए ताइवान स्ट्रेट की स्थिरता अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यहीं से उसकी व्यापारिक समुद्री लाइनें गुजरती हैं.

विवाद की तीव्रता इस बात से भी बढ़ी है कि जापान हाल के वर्षों में अमेरिका के साथ अपने सुरक्षा गठजोड़ को मजबूत कर रहा है, जबकि चीन इसे क्षेत्रीय “घेराबंदी” के रूप में देखता है.

ताइवान मामले में “हस्तक्षेप” कर रहा जापान

इस कूटनीतिक टकराव के बीच दोनों देशों ने अपने दूतावासों के माध्यम से आपसी आरोप-प्रत्यारोप भी तेज कर दिए हैं.  चीन का कहना है कि जापान इतिहास और संधियों की अनदेखी कर ताइवान मामले में “हस्तक्षेप” कर रहा है, जबकि जापान का आरोप है कि चीन “तथ्य तोड़-मरोड़” कर स्थिति को गलत ढंग से पेश कर रहा है.

हालांकि संवाद के दरवाजे पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं.  अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से अमेरिका और आसियान देशों, ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है.  लेकिन स्पष्ट है कि ताइवान मुद्दा अब फिर से पूर्वी एशिया की राजनीति के केंद्र में आ गया है.

इसे भी पढें:-चीन के जंगी जहाज ‘सिचुआन’ का समुद्री परीक्षण शुरू, ताइवान, अमेरिका और जापान में दहशत, बढ़ीं सुरक्षा चिंता

Latest News

दिल्ली ब्लास्ट मामले में बडी कार्रवाई, तीन डॉक्टरों के लाइसेंस रद्द, जांच में मिली थी संलिप्तता

New Delhi: दिल्ली ब्लास्ट मामले में बडी कार्रवाई हुई है. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने इस मामले से जुड़े...

More Articles Like This

Exit mobile version