राजनीतिक उथल-पुथल से घिरी यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, विश्वास मत के बाद मध्यावधि चुनाव की आहट?

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Christian Lindner: यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था इस वक्‍त राजनीतिक उथल-पुथल से घिरी हुई है. महीनों की अंदरूनी कलह के बाद आखिरकार स्कोल्ज़ का तीन-पक्षीय गठबंधन टूट गया. ऐसे में जर्मन संसद में चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ का विश्वास मत हारना लगभग तय माना जा रहा है. बता दें कि देश में आखिरी बार किसी जर्मन चांसलर ने लगभग 20 साल पहले विश्वास मत मांगा था. .

इस दिन हो सकती है वोटिेंग

रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मन नेता ओलाफ स्कोल्ज़ 16 दिसंबर को बुंडेस्टाग के सदस्यों से वोट करने के लिए कह सकते हैं, जिसमें उनके हारने की प्रबंल संभावनाएं दिख रही है. ऐसे में जर्मन राष्ट्रपति फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर महीनेभर में ही संसद को भंग कर रकते है, जिससे 23  फरवरी की शुरुआत में आकस्मिक चुनाव का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा.

गठबंधन तोड़ने की योजना

बता दें कि अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार जीत दर्ज करने के कुछ घंटे बाद ही जर्मन सरकार गिर गई, वहीं एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान ऐसी भी खबरें सामने आई थी कि जर्मन वित्त मंत्री क्रिश्चियन लिंडनर की पार्टी ने गठबंधन तोड़ने की पूर्व-योजना बनाई थी, और कुछ लोकप्रियता प्राप्‍त करने के लिए समय से पहले चुनाव कराने के अपने सर्वोत्तम प्रयासों के बाद भी, चिंताएं हैं कि उदारवादी (एफडीपी) ऐसा नहीं करेंगे.

नए चुनावों में दांव पर लगे…

रिपोर्ट के मुतबिक, जर्मनी की अर्थव्‍यवस्‍था लगातार स्थिर बनी हुई है क्योंकि वोक्सवैगन, थिसेनक्रुप और बॉश जैसी प्रमुख कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों समेत हजारों नौकरियों और बाजारों को खत्म करने की योजना बना रही हैं, इसाथ ही वो एशियाई बाजारों की ओर रूख कर रही है. ऐसे में संभावना है कि राजनीतिक अस्थिरता अर्थव्यवस्था को हतोत्साहित कर सकती है.

वहीं, फंके का मानना है कि राजनीतिक दल दबाव महसूस कर रहे हैं. ऐसे में ऑटोमोटिव और स्टील उद्योगों के साथ-साथ आपूर्तिकर्ताओं के बीच गंभीर संकट को देखते हुए, अन्य देशों की अपेक्षा असाधारण रूप से कम विकास की संभावनाओं के साथ, ढाई महीने में चुनाव से पहले कुछ उपायों को लागू करने का महत्वपूर्ण दबाव है.

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