Church Converted in Temple: आपने आज से पहले कई बार लोगों के धर्म परिवर्तन होने या करने के बारे में तो सुना होगा. हालांकि कई बार ये धर्म परिवर्तन स्वेच्छा से होता है तो कई बार डरा-धमकाकर या कोई लालच देकर इसे कराया जाता है. लेकिन हाल ही में अमेरिका से जो धर्म परिवर्तन का मामला सामने आया है, वो इनसे बिल्कुल ही अलग है.
दरअसल, अमेरिका के ओहवो राज्य के क्लीवलैंड में एक 100 साल पुराना चर्च था, जिसे पहले स्वामी नारायण संप्रदाय ने 180 करोड़ रुपए में खरीदा और फिर दो साल के अंदर इस चर्च को मंदिर में बदल दिया. खास बात ये है कि इस चर्च को मंदिर में बदलने के दौरान इसकी वास्तुकला में कोई परिवर्तन नहीं किया गया. साथ ही इस मंदिर में भारतीय मंदिरों जैसे गुंबद और शिखर जैसी स्थापिय शैली का इस्तेमाल किया गया है.
4.13 एकड़ में फैला मंदिर परिसर
कुल 4.13 एकड़ में फैला ये मंदिर 19 हजार वर्ग फुट में फैला एक चर्च था, लेकिन अब इसमें भगवान स्वामीनारायण सहित सभी हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हो चुकी हैं और हिंदुओं ने पूजा पाठ शुरू भी कर दिया है. इस पुराने भवन को मंदिर बनाने में लगभग 1 मिलियन डॉलर की लागत आई, जबकि चर्च की वास्तुकला में कोई बदलाव नहीं किया गया.
वड़ताल संस्था ने भेजी मूर्तियां
अमेरिका में बने मंदिरों के बारे में जानकारी देते हुए वड़ताल गादी के अध्यक्ष डॉ. संतवल्लभ स्वामी ने बताया कि क्लीवलैंड, ओहियो में नित्य स्वरूप स्वामी सरदार, रैले, नॉर्थ कैरोलिना में भक्तिप्रकाश स्वामी और फ़्रेमोंट, सैन जोस में देव प्रकाश दास जी स्वामी द्वारा मंदिरों का निर्माण किया गया. इन मंदिरों में मूर्तियां और सिंहासन भारत में तैयार करके वड़ताल संस्था द्वारा भेजे गए हैं. वहीं, इन मंदिरों में राकेश प्रसाद जी महाराज प्राण-प्रतिष्ठा समारोह संपन्न कराएंगे.
मंदिर निर्माण के लिए इन सरकारी स्वीकृतियों की आवश्यकता
ज़ोनिंग स्वीकृति
बिल्डिंग परमिट
अग्नि सुरक्षा अनुपालन
जल एवं स्वच्छता विभाग
निर्माण
योजना स्वीकृति
विद्युत स्वीकृति
छत स्वीकृति
कांच की मोटाई स्वीकृति
जल अनुमति
जल निकासी अनुमति
लैंडस्केप अनुमति
पार्किंग अनुमति (यातायात प्रबंधन)
सरकारी अधिकारी (बिल्डिंग विभाग के सदस्य) आते हैं, जिसके बाद सीओ (प्रमाणपत्र) जारी किया जाता है, और फिर मंदिर उपयोग की अनुमति दी जाती है.
वडतालधाम हिंदू मंदिर से वहां रहने वाले गुजरातियों को मिलेगा ये लाभ
धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध स्थापित होंगे
संतों का आशीर्वाद और दैनिक आध्यात्मिक मार्गदर्शन मिलेगा
बच्चों और युवाओं को नैतिक शिक्षा मिलेगी
सामुदायिक संबंध और संस्कृति संरक्षित रहेगी
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