आखिर आजकल क्यों आ रहे इतने भूकंप? अमेरिकी रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा, वैश्विक सुरक्षा को लेकर बढ़ी चिंता

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Earthquake Secret: इन दिनों लगातार किसी न किसी देश से भूकंप की खबरें सामने आ रही है, जिसे लेकर भूकंप वैज्ञानिकों ने एक चौकाने वाला रिपोर्ट पेश किया है, जिसने वैश्विक सुरक्षा के क्षेत्र में नई चिंता खड़ी कर दी है. दरअसल, वाशिंगटन से आए इस रिपोर्ट में लॉस एलामोस नेशनल लेबोरेटरी के भूकंप वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च स्टडी में दावा किया है कि कुछ भूकंप वास्तव में सीक्रेट न्यूक्लियर टेस्ट भी हो सकते हैं.

बता दें कि यह रिसर्च जोशुआ कारमाइकल के नेतृत्व में की गई है और इसे अमेरिका के सीस्मोलॉजिकल सोसायटी के बुलेटिन में प्रकाशित किया गया है. स्टडी के मुताबिक, भूकंप से लगने वाले झटकों और सीक्रेट न्यूक्लियर ब्लास्ट के झटकों के बीच अंतर करना मुश्किल है.

भू-वैज्ञानिकों ने उत्तर कोरिया का दिया उदाहरण

दरअसल, भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि भले ही तकनीक ने काफी प्रगति कर ली है, फिर भी जब भूकंप और परमाणु विस्फोट एक साथ होते हैं या उनके संकेत मिल जाते हैं तो सबसे आधुनिक डिजिटल डिटेक्शन तकनीक भी सही पहचान नहीं कर पाती. इसके लिए उन्‍होंने उत्तर कोरिया का प्रमुख उदाहरण दिया है.

उत्तर कोरिया का उदाहरण लिया गया

रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 20 साल में उत्तर कोरिया ने छह परमाणु परीक्षण किए हैं. इस दौरान परीक्षण स्थलों के आसपास भूकंप निगरानी उपकरणों की संख्या बढ़ाने के बाद पता चला कि इन क्षेत्रों में लगातार छोटे-छोटे भूकंप आते रहे हैं, जिसे साफ स्‍पष्‍ट होता है कि परमाणु परीक्षण और भूकंप के संकेत एक-दूसरे में इतने अधिक घुल सकते हैं कि अंतर कर पाना कठिन हो जाता है.

मुद्दे को सुलझाने के लिए किया एक्सपेरिमेंट

ऐसे में जोशुआ कारमाइकल और उनकी टीम ने इस मसले को सुलझाने के लिए पी-तरंगों और एस-तरंगों के रेसियो का विश्लेषण किया. इसके लिए उन्होंने एक तकनीक विकसित की, जो 1.7 टन के गुप्त दबे हुए विस्फोट का 97 प्रतिशत सटीक पता लगा सकती है. मगर जब भूकंप के झटके और विस्फोट की शॉकवेव 100 सेकंड के भीतर और 250 किलोमीटर के दायरे में आती है तो इसी तकनीक की भी सटीकता घटकर महज 37 प्रतिशत रह जाती है.

शोध का सबसे बड़ा नतीजा 

हालांकि इस शोध का सबसे बड़ा नतीजा यह है कि जब भूकंप के झटके और परमाणु परीक्षण के झटके एक साथ मिलते हैं तो सबसे अच्छे सिग्नल डिटेक्टर को भी चकमा दे सकते है. ऐसे में भू-वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जिन क्षेत्रों में अक्सर भूकंप आते हैं वहां गुप्त परमाणु परीक्षण करना और उन्हें छिपाना पहले से कहीं अधिक आसान हो जाएगा.

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