Explainer: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरी कार्यकाल की पहली एशिया यात्रा के दौरान मलेशिया के साथ एक ऐतिहासिक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर किया है. बता दें कि दोनों देशों के बीच यह डील दक्षिण-पूर्व एशिया में अमेरिकी व्यापार को मजबूत करने के साथ चीन की बढ़ती आर्थिक आक्रामकता के खिलाफ एक रणनीतिक कदम भी साबित होगी. प्राप्त जानकारी के अनुसार अब ट्रंप की नजर जापान और दक्षिण कोरिया पर है, जहां वे इसी तरह के समझौतों से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिकी वर्चस्व को पुनर्स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं.
मलेशिया के साथ डील है खास
जानकारी के मुताबिक, ट्रंप ने कुआलालंपुर में मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के साथ जिस समझौते पर हस्ताक्षर किए, उसके दो मुख्य हिस्से हैं. बताया जा रहा है कि इसमें व्यापार विस्तार और महत्वपूर्ण खनिजों पर सहयोग शामिल है. प्राप्त जानकारी के अनुसार 2024 में दोनों देशों का व्यापार 87 अरब डॉलर का था और इसमें अमेरिका का 25 अरब डॉलर का घाटा था. लेकिन मलेशिया ने उन्नत सेमीकंडक्टरों की चीन तस्करी रोकने का वादा किया है.
दुर्लभ भू-तत्वों पर अमेरिका की गहरी निगाह
बता दें कि दोनों देशों के बीच इस समझौते का दूसरा हिस्सा दुर्लभ पृथ्वी तत्वों पर केंद्रित है. माना जा रहा है कि इस पर अमेरिका की गहरी निगाह है और इसका मुख्य कारण है कि अब तक चीन वैश्विक रेर अर्थ्स का 80% हिस्से पर अपना नियंत्रण रखता है. इतना ही नही बल्कि कुछ ही समय पहले उसने निर्यात प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी और डिफेंस टेक प्रभावित हो रहे हैं. बता दें कि मलेशिया के प्रधानमंत्री इब्राहिम अनवर ने इसे दो “राष्ट्रों के बीच संबंधों को व्यापार से आगे ले जाने वाला मील का पत्थर” कहा.
ट्रंप की एशिया यात्रा का मकसद
जानकारी देते हुए बता दें कि ट्रंप ने अपने 5 दिवसीय यात्रा की शुरुआत थाईलैंड-कंबोडिया युद्ध विराम विस्तार से की. इसके साथ ही दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप की मलेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया के देशों की पहली यात्रा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा युद्धविराम विस्तार की मेजबानी की, जो उनकी गर्मियों की शुल्क धमकी से संभव हुआ. प्राप्त जानकारी के अनुसार ये कदम दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ शिखर के दौरान उठाए गए, जहां ट्रंप ने कनाडा को भी शुल्क चेतावनी दी.
अमेरिका की रणनीति
वर्तमान में अमेरिका दक्षिण-पूर्व एशिया में अपनी व्यापारिक पैठ को गहरा करके चीन को घेरने के फिराक में है और इसे अमेरिका का ‘ट्रंप मॉडल’ बताया जा रहा है, जो कि ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति का केंद्र है. ऐसे में ट्रंप ने इसे कूटनीतिक हथियार बना लिया है. जानकारी के मुताबिक, पहले कार्यकाल में USMCA और चाइना फेज-1 डील इसी से निकली. अब दूसरी कार्यकाल में इंडो-पैसिफिक पर ट्रंप का पूरा फोकस है. इसके साथ ही दक्षिण कोरिया पर चिप्स के समान पर टैरिफ की चेतावनी दी है. ताकि इन दोनों देशों के साथ भी ट्रंप इस धमकी के बहाने द्विपक्षीय डील्स को मजबूर कर सकें.
दोनों देशों के बीच वैश्विक प्रभाव
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप की यह रणनीति अमेरिकी विनिर्माण को बूस्ट देगी, लेकिन साथ ही वैश्विक महंगाई बढ़ा सकती है और माना जा रहा है कि इससे मलेशिया जैसे देश लाभान्वित होंगे, वहीं छोटे निर्यातक प्रभावित हो सकते हैं. इतना ही नही बल्कि भारत जैसे सहयोगी K-चेन में शामिल हो सकते हैं. उम्मीद जताई जा रहा है कि जापान-कोरिया में सफलता मिली तो इंडो-पैसिफिक का नक्शा बदल जाएगा. तब चीन अकेला पड़ सकता है. मगर क्या इससे स्थायी शांति आएगी या नया ट्रेड वॉर शुरू हो जाएगा.
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