Islamabad: पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को लेकर चल रहे राजनीतिक उथल-पुथल और तनाव को देखते हुए पाकिस्तान अंदर से लेकर बाहर तक उलझा हुआ है. वहीं एक्सपर्ट का मानना है कि इमरान खान के साथ कथित तौर पर हुए बुरे बर्ताव को लेकर बढ़ता गुस्सा पाकिस्तान के लिए आखिरी तिनका साबित हो सकता है. यह पाकिस्तान के लिए बडा नुकसान होगा. यह देश पहले से ही कई विद्रोहों और घटते हुए खजाने का सामना कर रहा है. ऐसे में यह मुसीबत पाकिस्तान को तबाह कर सकती है.
पहले से ही हो रहे हैं जनजातीय अशांति और कथित आतंकी हमले
उधर, अफगानिस्तान की सीमा से लगे खैबर पख्तूनख्वा में पहले से ही जनजातीय अशांति और कथित आतंकी हमले हो रहे हैं. पाकिस्तान के कब्जे वाले पीओके और बलूचिस्तान जैसे आस-पास के इलाकों में लोग बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं. दमन का विरोध कर रहे हैं और यहां तक कि लोग अलग होने की भी मांग कर रहे हैं. इसकी परेशानियों को और बढ़ाते हुए जिस मिलिशिया को इस्लामाबाद ने अफगानिस्तान में पुरानी सोवियत सेनाओं से लड़ने के लिए बनाया था, उसने काबुल पर कब्जा कर लिया है.
पाकिस्तान-अफगान सीमा पर उतार-चढ़ाव
किसी भी धमकी के आगे झुकने से इनकार कर दिया है. हर पाकिस्तानी हमले का जवाब अपने हमले से दे रहा है. पाकिस्तान-अफगान सीमा पर उतार-चढ़ाव बना हुआ है. लगभग दो महीने से व्यापार बंद है. इस बीच देश के वित्त मंत्रालय के अनुसार जून 2025 तक इस्लामाबाद का कुल सरकारी कर्ज 287 बिलियन डॉलर के करीब पहुंच गया, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी है.
घरेलू कर्ज में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी
कर्ज से जीडीपी अनुपात लगभग 70 प्रतिशत तक बढ़ गया था, जहां घरेलू कर्ज में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई. वहीं बाहरी कर्ज में छह फीसदी की बढ़ोतरी हुई. ऑफिशियल फाइनेंशियल डेटा ने पाकिस्तान पर बढ़ते कर्ज के बोझ को दिखाया है. ज्यादा बाहरी कर्ज, कम फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व और कमजोर ग्रोथ ने मिलकर इस्लामाबाद के लिए भुगतान संतुलन और राजकोषीय दबाव को गंभीर बना दिया है.
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