HAL Prachand Helicopter: भारत लगातार अपने सैन्य शक्तियों को बढ़ाने में जुटा हुआ है. ऐसे में ही हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने हाल ही में कॉम्बैट हेलीकॉप्टर प्रचंड के लिए डील की घोषणा की थी, जिसके मिलने के बाद भारत के डिफेंस सेक्टर को और मजबूती मिलेगी.
सूत्रों के मुताबिक, 156 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए 62 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक की डील को मंजूरी दी गई, जिनका निर्माण कर्नाटक के बेंगलुरु और तुमकुर में किया जाएगा. इन हेलीकॉप्टर के जरिए चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर संचालन मजबूत करने में मदद करेगी. एचएएल की तरफ से भारत में डिजायन और निर्माण किया गया ये एक मल्टी रोल कॉम्बैट हेलीकॉप्टर है. ऐसे में चलिए जानते कि भारतीय सेना के लिए प्रचंड हेलीकॉप्टर क्यों जरूरी है और इसकी क्षमता क्या है.
एयर डिफेंस सिंस्टम को भी कर सकता है तबाह
कॉम्बैट हेलीकॉप्टर प्रचंड दुनिया का एकमात्र स्टेल्थ हेलीकॉप्टर है जो 16 हजार 400 फीट की ऊंचाई पर उतर सकता है और उड़ान भी भर सकता है, जिसके चलते इसको हिमालय की सीमाओं और क्षेत्रों में भी आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है. इसमें एयर-टू-एयर मिसाइल्स, एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल्स और रॉकेट्स लगाए जा सकते हैं. इतना ही नहीं, ये दुश्मन के एयर डिफेंस सिंस्टम को तबाह करने की ताकत भी रखता है.
रात में भी हमला करने में सक्षम
इसके अलावा इसमें नाइट विजन और इन्फ्रारेड सिस्टम लगे हैं, जिससे ये अंधेरे में भी सटीक हमला कर सकता है. बदलती टेक्नोलॉजी को ध्यान में रखते हुए इसे रडार वार्निंग रिसीवर, मिसाइल अप्रोच वार्निंग सिस्टम और लेजर वार्निंग सिस्टम जैसे उन्नत डिफेंस सिस्टम से सुसज्जित रखा गया है.
463 किमी प्रति घंटा की रफ्तार
इसकी अधिकतम स्पीड 288 मील प्रति घंटा यानि लगभग 463 किमी प्रति घंटा तक होगी. हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर का पहला प्रोटोटाइप मार्च 2010 में पहली बार उड़ान भरा था और इसने सियाचिन ग्लेशियर सहित ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उतरने और उड़ान भरने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया था. इन हेलीकॉप्टरों के मिलने के बाद भारत अपने दुश्मन देश चीन और पाकिस्तान के खिलाफ रणनीतिक बढ़त हासिल कर लेगा.
मार्च डिलीवर होगा पहला बैच
दरअसल, भारत में बनने से प्रचंड विदेशी हेलीकॉप्टरों की तुलना में काफी सस्ता है. साथ ही जरूरतों और लागत के लिहाज से भी काफी बेहतर है. वहीं, एचएएल ने पुष्टि की है कि मार्च 2028 से इसका पहला बैच डिलीवर होना शुरू हो जाएगा. कुल 156 प्रंचड बनाए जाएंगे जिसमें 66 भारतीय वायुसेना को और 90 थलसेना को दिए जाएंगे. एचएएल ने टारगेट रखा है कि साढ़े पांच साल से लेकर 6 साल में ये सभी हेलीकॉप्टर डिलीवर कर दिए जाएं.
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