Islamabad: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि हमारा चीन के साथ संबंध दशकों पुराना है. वह हमारा भरोसेमंद दोस्त है. ख्वाजा आसिफ ने स्वीकार किया कि चीन हमारे हथियारों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है. हमारी वायुसेना, पनडुब्बियां और कई बड़े रक्षा उपकरण वहीं से आते हैं. अमेरिका जैसे देशों की अविश्वसनीयता की वजह से चीन के साथ हमारा सहयोग और भी मजबूत हुआ है.
अमेरिका के साथ संबंध लेन-देन वाले और थोड़े चोचलेबाजी जैसे
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने साफ कहा कि पाकिस्तान का रणनीतिक भविष्य चीन के साथ ही जुड़ा हुआ है हालांकि, अमेरिका के साथ संबंध लेन-देन वाले और थोड़े चोचलेबाजी जैसे रहे हैं. एक पत्रकार को दिए एक साक्षात्कार में ख्वाजा आसिफ ने खुले तौर पर स्वीकार किया कि देश में शासन का संचालन हाइब्रिड मॉडल के तहत होता है, जहां सेना और नागरिक सरकार मिलकर फैसले लेती है. उन्होंने साफ कहा कि पाकिस्तान की सत्ता में सेना का दखल है और निर्णय सहमति से लिए जाते हैं.
पाकिस्तान में सेना प्रमुख का प्रभाव इतना ज्यादा क्यों?
जब ख्वाजा आसिफ से पूछा गया कि पाकिस्तान में सेना प्रमुख का प्रभाव इतना ज्यादा क्यों है कि रक्षा मंत्री भी उसके अधीन दिखाई देते हैं. इस पर आसिफ ने कहा कि यह पूरी तरह समान नहीं है लेकिन फैसले सहमति से लिए जाते हैं. असहमत हो सकते हैं लेकिन अंत में सामूहिक निर्णय ही लागू होता है. जब उनसे तुलना की गई कि अमेरिका में रक्षा मंत्री के पास जनरलों को बर्खास्त करने का अधिकार होता हैए जबकि पाकिस्तान में ऐसा नहीं है, तो आसिफ ने अमेरिका की व्यवस्था को डीप स्टेट कहकर टाल दिया.
यही व्यवस्था देश के लिए बेहतरीन कर रही है काम
पाकिस्तानी अखबार के मुताबिक आसिफ ने पहले भी इस हाइब्रिड शासन प्रणाली की तारीफ करते हुए इसे पाकिस्तान की आर्थिक और प्रशासनिक समस्याओं को हल करने के लिए व्यावहारिक आवश्यकता बताया. उनका कहना था कि यह आदर्श लोकतंत्र नहीं है लेकिन मौजूदा हालात में यही व्यवस्था देश के लिए बेहतरीन काम कर रही है. आसिफ ने सऊदी अरब के साथ हाल ही में हुए समझौते पर भी बात की. इस समझौते के तहत किसी एक देश पर हमले को दोनों पर हमला माना जाएगा.
भाषण का बड़ा हिस्सा अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की तारीफ में समर्पित
हालांकि जब उनसे पूछा गया कि क्या पाकिस्तान की परमाणु सुरक्षा छत्रछाया सऊदी अरब को भी कवर करेगी तो उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. व्हाइट हाउस बैठक के एक दिन बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण का बड़ा हिस्सा अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की तारीफ में समर्पित किया. उन्होंने ट्रंप को मैन ऑफ पीस बताते हुए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने की बात कही.
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