United Nations General Assembly: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में रूस द्वारा युद्ध के दौरान जबरन स्थानांतरित और निर्वासित किए गए यूक्रेनी बच्चों की वापसी की मांग वाले प्रस्ताव पर भारत ने मतदान से परहेज किया. साथ ही इस मसौदा प्रस्ताव से दूरी बनाए रखी. भारत के अलावा ब्राजील, बहरीन, बांग्लादेश, चीन, मिस्त्र, माल्दीव्स, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका ने भी किसी के पक्ष में वोट नहीं दिया. वहीं रूस की डिप्टी स्थायी प्रतिनिधि मारिया ज़ाबोलोत्स्काया ने प्रस्ताव को झूठे आरोपों से भरा बताया.
6395 बच्चों को किया गया निर्वासित और जबरन स्थानांतरित
प्रस्ताव पेश करते हुए यूक्रेन के उप विदेश मंत्री मारियाना बेत्सा ने कहा कि अक्टूबर 2025 तक 6395 बच्चों को निर्वासित और जबरन स्थानांतरित किया गया है. कुल मिलाकर अब तक की छानबीन में 20 हजार ऐसे मामले सामने आए हैं. 193 सदस्यीय महासभा में बुधवार को ये प्रस्ताव पेश किया गया. जिसके पक्ष में 91 मत पड़े, जबकि 12 ने इसके विरोध में मत दिया और 57 ने खुद को इससे अलग रखा. प्रस्ताव में बच्चों पर युद्ध के प्रभाव के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की गई.
अब किसी बच्चे को न बनाया जाए बंधक
कहा गया कि बहुत से यूक्रेनी बच्चे ऐसे भी हैं, जिन्हें 2014 से अपने परिवारों से अलग रहना पड़ रहा है. रूस को तत्काल, सुरक्षित और बिना शर्त सभी यूक्रेनी बच्चों को लौटाना चाहिए, जिन्हें जबरन स्थानांतरित या निर्वासित किया गया है. साथ ही मॉस्को से ये भी अपील की गई कि अब किसी बच्चे को बंधक न बनाया जाए और न ही उसके वैधानिक अभिभावकों से अलग किया जाए.
कई बच्चे युद्ध क्षेत्रों से सुरक्षा कारणों से निकाले गए
उधर, रूस की डिप्टी स्थायी प्रतिनिधि मारिया ज़ाबोलोत्स्काया ने प्रस्ताव को झूठे आरोपों से भरा बताया. उन्होंने कहा कि रूस की आलोचना यह भूल जाती है कि कई कई बच्चे युद्ध क्षेत्रों से सुरक्षा कारणों से निकाले गए या अपने परिवारों से संपर्क खो चुके हैं. उन्होंने कहा कि यूक्रेनी शरणार्थियों को रूसी नागरिकता देने की सरल प्रक्रिया, दुनिया भर के शरणार्थियों के लिए सपने जैसी है और पूर्णतः स्वैच्छिक है. ज़ाबोलोत्स्काया ने कहा कि प्रस्ताव के पक्ष में दिया गया हर वोट झूठ, युद्ध और टकराव के समर्थन में है, जबकि विरोध शांति के पक्ष में वोट है.
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