Indian Air Force : वर्तमान समय में भारतीय एयरफोर्स अपने मिग-21 की विदाई करने जा रही है. ऐसे में भारतीय एयरफोर्स को काफी नुकसान होगा और फाइटर जेट की भारी कमी हो जाएगी, इसी कारण से अगले 2 महीनों में IAF सरकार से 114 मल्टी रोल फाइटर जेट खरीदने की मंजूरी चाहती है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इंडियन एयरफोर्स फ्रांस के राफेल खरीदेगी या फिर अमेरिका या रूस.
सरकार ने बताया 42 स्क्वाड्रन की आवश्यकता
जानकारी देते हुए बता दें कि भारतीय एयरफोर्स उन विमानों को अपने बेड़े से हटाने के बाद 114 मल्टी रोल फाइटर जेट (MRFA) खरीद कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए प्रारंभिक सरकारी स्वीकृति (AoN) प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. प्राप्त जानकारी के अनुसार इस डील की अनुमानित लागत 15 से 20 अरब डॉलर है. इसके साथ ही इसे मेक इन इंडिया के तहत लागू किया जाएगा. फिलहाल वर्तमान समय में IAF के पास केवल 31 स्क्वाड्रन हैं जबकि संभावित संघर्ष को देखते हुए सरकार ने 42 स्क्वाड्रन की आवश्यकता बताई है.
भारत बन रहा आत्मनिर्भर
बता दें कि MRFA कार्यक्रम केवल विमानों की खरीद तक नहीं, बल्कि यह मेक इन इंडिया पहल का अहम हिस्सा भी है. ऐसे में IAF का कहना है कि इस फाइटर जेट को लाने से तकनीकी हस्तांतरण, स्वदेशी निर्माण और भारत के रक्षा-औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र भी मजबूत होगी. जानकारी के मुताबिक, भारतीय कंपनियों को निर्माण और असेंबली प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा. इससे भारत लंबे समय तक फाइटर जेटों की मेंटेनेंस और अपग्रेडिंग में भी आत्मनिर्भर बन पाएगा.
कौन सा फाइटर जेट खरीदेगा भारत?
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, आज के समय में इंडियन एयरफोर्स मल्टी रोल फाइटर जेट्स चाहती है, जो फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन, अमेरिका की बोइंग और लॉकहीड मार्टिन, स्वीडन की SAAB, यूरोप की यूरोफाइटर कंसोर्टियम और रूस के मिग और सुखोई बनाती हैं.
- डसॉल्ट एविएशन (फ्रांस) – राफेल (IAF के पास पहले से ही 36 राफेल फाइटर जेट हैं, जिससे इसका बड़ा फायदा है)
- यूरोफाइटर कंसोर्टियम (यूके, जर्मनी, इटली, स्पेन) – टाइफून.
- रूस – मिग-35 और सु-
- बोइंग (अमेरिका) – F/A-18 सुपर हॉर्नेट और F-15EX ईगल II
- लॉकहीड मार्टिन (अमेरिका) – F-21 (विशेष रूप से भारत के लिए डिजाइन किया गया F-16 का एडवांस वर्जन)
- साब (स्वीडन) – ग्रिपेन E
भविष्य में कौन-कौन से होंगे फाइटर जेट्स?
जानकारी देते हुए बता दें कि ये विमान हवाई श्रेष्ठता सुनिश्चित करने के साथ ज़मीनी हमलों, टोही मिशनों और आधुनिक युद्धक रणनीतियों में अच्छी भूमिका निभाने की क्षमता करते हैं. इस मामले को लेकर मीडिया रिपोर्ट का कहना है कि 2028 तक इस डील पर हस्ताक्षर हो जाएंगे और इसके बाद तीन से चार साल में विमानों की डिलीवरी शुरू होगी. भविष्य में इन विमानों की तैनाती से भारत की युद्धक क्षमता और भी मजबूत होगी.
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